khabarwala24 news Bulandshahr: उत्तर प्रदेश के बुलंदशहर (Bulandshahr) जिले के एक होनहार कबड्डी खिलाड़ी ब्रजेश सोलंकी (Brijesh Solanki) की रेबीज (Rabies) के कारण दुखद मौत हो गई। 24 वर्षीय ब्रजेश ने मार्च 2025 में एक कुत्ते के पिल्ले को नाले से बचाने की कोशिश की थी। इस दौरान पिल्ले ने उनके दाएं हाथ की उंगली में काट लिया। ब्रजेश ने इसे मामूली समझकर एंटी-रेबीज इंजेक्शन (Anti-Rabies Injection) नहीं लिया, जिसका खामियाजा उन्हें अपनी जान देकर भुगतना पड़ा।
मार्च से जून: रेबीज (Rabies) ने दिखाया खतरनाक रूप
ब्रजेश की मौत 26 जून 2025 को हुई, लेकिन इसकी शुरुआत मार्च में हुई। गांव की नाली में गिरे पिल्ले को बचाने के दौरान हुए इस हादसे के बाद ब्रजेश को कोई लक्षण नहीं दिखे। लेकिन 26 जून की सुबह उनके दाएं हाथ में सुन्नपन (Numbness) शुरू हुआ, जो दोपहर तक पूरे शरीर में फैल गया। परिवार ने तुरंत उन्हें अलीगढ़ के जीवन ज्योति अस्पताल में भर्ती कराया। वहां से उन्हें मेडिकल कॉलेज रेफर किया गया।
हालत बिगड़ने पर परिवार उन्हें मथुरा के एक आयुर्वेदिक केंद्र ले गया, जहां थोड़ी राहत मिली। लेकिन हालत फिर बिगड़ गई। आखिरकार, दिल्ली के जीटीबी अस्पताल (GTB Hospital) में डॉक्टरों ने रेबीज की पुष्टि की और इलाज संभव न होने की बात कही। 27 जून को घर लौटते समय रास्ते में ही ब्रजेश ने तड़प-तड़पकर दम तोड़ दिया।
मौत से पहले तड़पता यह व्यक्ति कोई और नहीं बल्कि बुलंदशहर का स्टेट लेवल कबड्डी प्लेयर बृजेश सोलंकी है। कुछ दिन पहले एक पिल्ले को बचाने के दौरान पिल्ले ने उसे काट लिया था। बृजेश ने लापरवाही बरती और रेबीज का इंजेक्शन नहीं लगवाया। ऐसे में रेबीज शरीर में फैलने से गोल्ड मेडलिस्ट ब्रजेश… pic.twitter.com/nhSZk52JvE
— SANJAY TRIPATHI (@sanjayjourno) July 2, 2025
स्टेट लेवल चैंपियन थे ब्रजेश सोलंकी (Bulandshahr)
ब्रजेश सोलंकी (Brijesh Solanki) एक प्रतिभाशाली कबड्डी खिलाड़ी (Kabaddi Player) थे। फरवरी 2025 में उन्होंने स्टेट लेवल पर गोल्ड मेडल (Gold Medal) जीता था। इसके अलावा, उन्होंने कई अन्य प्रतियोगिताओं में मेडल हासिल किए थे। वह प्रो कबड्डी लीग 2026 (Pro Kabaddi League 2026) की तैयारी में जुटे थे। उनकी इस उपलब्धि ने पूरे गांव को गर्व से भर दिया था, लेकिन इस हादसे ने सभी को झकझोर दिया।
रेबीज (Rabies) से बचाव का महत्व
रेबीज (Rabies) एक घातक बीमारी है, जो कुत्ते के काटने से फैलती है। विशेषज्ञों के अनुसार, कुत्ते के काटने के तुरंत बाद एंटी-रेबीज इंजेक्शन लेना जरूरी है। ब्रजेश की मौत ने एक बार फिर रेबीज के प्रति जागरूकता (Rabies Awareness) की जरूरत को उजागर किया है।
परिवार और गांव में शोक की लहर (Bulandshahr)
ब्रजेश की असामयिक मृत्यु से उनके परिवार और गांव में शोक की लहर है। उनकी कहानी हमें सिखाती है कि छोटी-सी लापरवाही कितनी भारी पड़ सकती है। रेबीज जैसी बीमारी से बचने के लिए समय पर इलाज और जागरूकता बेहद जरूरी है।
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