Khabarwala 24 News New Delhi : 2025 Vikat Sankashti Chaturthi हिन्दू धर्म में भगवान गणेश को समर्पित एकादंता संकष्टी चतुर्थी ज्येष्ठ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाई जाती है। भगवान गणेश को सभी बाधाओं और संकटों को हरने वाला माना जाता है। ‘संकष्टी’ का अर्थ ही संकटों से मुक्ति दिलाना है। इस विशेष चतुर्थी को एकादंता संकष्टी चतुर्थी कहा जाता है। एकादंता भगवान गणेश के बत्तीस स्वरूपों में से एक हैं, जिनका एक दांत है। कुछ क्षेत्रों में, महिलाएं इस व्रत को अपनी संतान की लंबी आयु और उनकी रक्षा के लिए रखती हैं। संतान प्राप्ति की कामना करने वाले दंपत्ति भी इस व्रत को श्रद्धापूर्वक करते हैं।
ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि (2025 Vikat Sankashti Chaturthi)
इस दिन किए गए धार्मिक कार्यों का विशेष फल मिलता है और जीवन में आने वाली बाधाओं से मुक्ति मिलती है। पंचांग के अनुसार, ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि 16 मई दिन शुक्रवार को तड़के 04 बजकर 03 मिनट पर शुरू होगी और अगले दिन 17 मई दिन शनिवार की सुबह 05 बजकर 13 मिनट तक रहेगी। संकष्टी चतुर्थी की पूजा शाम को चंद्रोदय के समय की जाती है, इसलिए ये व्रत 16 मई दिन शुक्रवार को ही किया जाएगा।
एकादंता संकष्टी चतुर्थी की पूजा विधि (2025 Vikat Sankashti Chaturthi)
सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त होकर भगवान गणेश के समक्ष व्रत का संकल्प लें। पूजा के स्थान को साफ करें और भगवान गणेश की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें। भगवान गणेश का आह्वान करें और उन्हें स्थापित करें। भगवान गणेश की प्रतिमा का गंगाजल या शुद्ध जल से अभिषेक करें। उन्हें पीले या लाल वस्त्र अर्पित करें और चंदन, कुमकुम, हल्दी आदि से श्रृंगार करें। भगवान गणेश को पीले या लाल फूल और दूर्वा घास अवश्य अर्पित करें। दूर्वा उन्हें अत्यंत प्रिय है।
मिष्ठान्न का भोग, घी का दीपक जलाएं (2025 Vikat Sankashti Chaturthi)
भगवान गणेश को मोदक, लड्डू फल और अन्य मिष्ठान्न का भोग लगाएं। घी का दीपक जलाएं और धूप जलाकर आरती करें। भगवान गणेश के मंत्रों का जाप करें। जैसे “ॐ गं गणपतये नमः” या “ॐ वक्रतुण्डाय हुं”। व्रत कथा सुनें। इस व्रत में चंद्रमा का दर्शन करना महत्वपूर्ण है। शाम को चंद्रमा निकलने के बाद पूजा करें और उसे अर्घ्य दें. चंद्रमा के दर्शन और पूजा के बाद ही व्रत खोला जाता है। सात्विक भोजन ग्रहण करें। अपनी क्षमतानुसार गरीबों और जरूरतमंदों को दान-पुण्य करें।
एकादंता संकष्टी चतुर्थी की व्रत कथा (2025 Vikat Sankashti Chaturthi)
एकादंता संकष्टी चतुर्थी की कई कथाएं प्रचलित हैं। एक लोकप्रिय कथा के अनुसार, एक बार मदासुर नामक राक्षस ने देवताओं को बहुत परेशान किया तब देवताओं ने भगवान गणेश की शरण ली। भगवान गणेश ने एकादंता रूप धारण करके मदासुर का वध किया और देवताओं को उसके अत्याचार से मुक्ति दिलाई इसलिए, इस दिन भगवान गणेश के एकादंता स्वरूप की पूजा करने से भक्तों को सभी प्रकार के संकटों से मुक्ति मिलती है।
चंद्रोदय का समय, मनोकामनाएं पूर्ण (2025 Vikat Sankashti Chaturthi)
16 मई दिन शुक्रवार को चंद्रोदय का संभावित समय लगभग रात 10 बजकर 39 मिनट है। हालांकि, यह समय आपके शहर के अनुसार थोड़ा भिन्न हो सकता है। इसलिए स्थानीय पंचांग अवश्य देखें। एकादंता संकष्टी चतुर्थी भगवान गणेश की कृपा प्राप्त करने और जीवन के सभी विघ्नों को दूर करने के लिए एक महत्वपूर्ण दिन है। इस दिन श्रद्धापूर्वक पूजा और व्रत करने से भक्तों की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।