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Pakistan Chenab river water level पाकिस्तान की बेबसी, जल संकट में भारत से गुहार, चिट्ठियों का सिलसिला शुरू

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Khabarwala 24 News New Delhi: Pakistan Chenab river water level पाकिस्तान इस समय अपने इतिहास के सबसे गंभीर जल संकट से जूझ रहा है, जिसका प्रमुख कारण भारत द्वारा सिंधु जल संधि के तहत जल आपूर्ति में भारी कटौती को माना जा रहा है। स्थानीय जल विशेषज्ञों के अनुसार, चिनाब नदी का प्रवाह 92% तक कम हो चुका है, जिससे पंजाब और सिंध जैसे प्रमुख कृषि क्षेत्रों में फसलें तबाही के कगार पर पहुंच गई हैं। इस संकट ने 6.5 करोड़ लोगों के जीवन को प्रभावित किया है और खाद्य सुरक्षा के लिए गंभीर खतरा पैदा कर दिया है।

चिनाब नदी का जलस्तर ‘डेड लेवल’ से नीचे (Pakistan Chenab river water level)

रिपोर्ट्स के मुताबिक, 29 मई 2025 को चिनाब नदी का प्रवाह 98,200 क्यूसेक था, जो अब घटकर मात्र 7,200 क्यूसेक रह गया है। नदी का जलस्तर ‘डेड लेवल’ से भी नीचे चला गया है, जिसके परिणामस्वरूप 40% से अधिक खरीफ फसलें सूख चुकी हैं। शेष फसलों पर भी संकट मंडरा रहा है, विशेष रूप से कपास, मक्का और धान जैसी जल-गहन फसलों पर। यह स्थिति पंजाब और सिंध के किसानों के लिए विनाशकारी साबित हो रही है, जहां सिंचाई के लिए चिनाब नदी पर निर्भरता अधिक है।

6.5 करोड़ लोग प्रभावित, किसानों का इस्लामाबाद कूच का ऐलान (Pakistan Chenab river water level)

पंजाब और सिंध की लगभग 6.5 करोड़ आबादी अपनी सिंचाई आवश्यकताओं के लिए चिनाब नदी पर निर्भर है। जल की कमी और फसलों की बर्बादी से त्रस्त किसान संगठनों ने अब इस्लामाबाद की ओर कूच करने की चेतावनी दी है। किसान नेताओं का कहना है कि सरकार न तो कोई राहत प्रदान कर रही है और न ही भारत के खिलाफ ठोस कूटनीतिक कदम उठा रही है। उनका आरोप है कि सरकार की निष्क्रियता ने संकट को और गहरा कर दिया है।

4,500 अरब रुपये का नुकसान, भूजल संकट गहराया (Pakistan Chenab river water level)

पाकिस्तान कृषि संगठन (पीआरए) और सिंचाई विभाग के आंकड़ों के अनुसार, बारिश की कमी और जल आपूर्ति में कटौती के कारण अब तक 4,500 अरब रुपये का आर्थिक नुकसान हो चुका है। भूजल स्तर भी खतरनाक रूप से गिर गया है, और हजारों ट्यूबवेल सूख चुके हैं। यह स्थिति न केवल कृषि को प्रभावित कर रही है, बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में पेयजल की उपलब्धता पर भी संकट पैदा कर रही है।

बांधों का जलस्तर खतरे में, खाद्य संकट की आशंका (Pakistan Chenab river water level)

मंगला और टरबेला जैसे प्रमुख बांधों का जलस्तर भी खतरे की रेखा से नीचे पहुंच गया है। विशेषज्ञ चेतावनी दे रहे हैं कि यदि यही स्थिति बनी रही तो पाकिस्तान को राष्ट्रीय स्तर पर खाद्य संकट का सामना करना पड़ सकता है। खरीफ फसलों की बर्बादी से पहले ही खाद्य पदार्थों की कीमतें बढ़ने लगी हैं, जिससे गरीब और मध्यम वर्ग की आबादी पर अतिरिक्त बोझ पड़ रहा है।

भारत से जल आपूर्ति की अपील: चार पत्र भेजे गए (Pakistan Chenab river water level)

पाकिस्तान ने सिंधु जल संधि को बहाल करने और जल आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए भारत को अब तक चार औपचारिक पत्र भेजे हैं। एनडीटीवी की एक रिपोर्ट के अनुसार, इनमें से एक पत्र “ऑपरेशन सिंदूर” के बाद भेजा गया था। ये पत्र पाकिस्तान के जल संसाधन मंत्रालय के सचिव सैयद अली मुर्तजा द्वारा भारत के जल शक्ति मंत्रालय को भेजे गए, जिन्हें बाद में विदेश मंत्रालय को अग्रेषित किया गया। हालांकि, इन पत्रों का अभी तक कोई ठोस जवाब नहीं मिला है।

‘ग्रीन पाकिस्तान’ पर किसानों का आक्रोश

पंजाब और सिंध के किसान सरकार की ‘ग्रीन पाकिस्तान’ पहल को ‘कागजी ढकोसला’ करार दे रहे हैं। उनका कहना है, “हमें कागजों की हरियाली नहीं, खेतों में पानी चाहिए।” किसानों का आरोप है कि सरकार दिखावटी योजनाओं पर ध्यान दे रही है, जबकि सिंचाई व्यवस्था को सुधारने और जल प्रबंधन को मजबूत करने की तत्काल आवश्यकता है। इस पहल की आलोचना करते हुए किसान नेताओं ने कहा कि यह योजना वास्तविक समस्याओं को संबोधित करने में पूरी तरह विफल रही है।

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