नई दिल्ली, 7 अक्टूबर (khabarwala24)। आज की तेज-तर्रार जिंदगी में अक्सर हम अपनी सेहत को नजरअंदाज कर देते हैं, जिससे हमारी त्वचा, बाल और नाखून कमजोर होने लगते हैं। खासकर नाखून, जो हमारी सेहत का आईना होते हैं, कई बार कमजोर हो जाते हैं और टूटने लगते हैं, या फिर पीले पड़ जाते हैं।
आयुष मंत्रालय के अनुसार, नाखूनों की समस्या का सीधा संबंध हमारे शरीर में रक्त संचार की कमी और कुपोषण से जुड़ा होता है। अगर शरीर के विभिन्न अंगों तक खून सही मात्रा में नहीं पहुंचता, तो नाखूनों को जरूरी पोषण नहीं मिल पाता, जिससे उनकी मजबूती प्रभावित होती है। ऐसे में योगासन एक बेहद सरल और प्राकृतिक उपाय है, जो न केवल रक्त संचार को बेहतर बनाता है बल्कि नाखूनों की जड़ों तक पोषण पहुंचाने में मदद करता है।
आयुष मंत्रालय की गाइडलाइंस के अनुसार, नियमित योगाभ्यास से शरीर में रक्त प्रवाह बढ़ता है, जिससे हाथ-पैर और खासतौर से नाखूनों तक पोषण की आपूर्ति बेहतर होती है। रक्त संचार में सुधार होने से नाखूनों की बनावट मजबूत होती है।
मार्जरासन: मार्जरासन को कैट पोज भी कहा जाता है। इसे आयुष मंत्रालय ने नाखूनों के लिए अत्यंत लाभकारी बताया है। इस आसन में शरीर को अपनी रीढ़ की हड्डी के माध्यम से आगे-पीछे झुकाया जाता है, जिससे पीठ के साथ-साथ हाथों और पैरों में रक्त का संचार बेहतर होता है। खासकर हाथों की उंगलियों तक बेहतर रक्त प्रवाह होता है, जिससे नाखूनों की जड़ों तक पोषण पहुंचता है। इससे नाखून मजबूत होते हैं और उनकी बढ़ोतरी भी स्वस्थ होती है।
पदहस्तासन: यह आसन शरीर के निचले हिस्से से लेकर हाथों तक रक्त प्रवाह को सक्रिय करता है। आयुष मंत्रालय ने कहा है कि इस आसन से न केवल पैरों के रक्त संचार में सुधार आता है बल्कि शरीर के लचीलेपन में भी वृद्धि होती है। जब हम अपने हाथों से पैरों को छूने की कोशिश करते हैं, तो नाखूनों वाले अंगों में खून की आपूर्ति तेज होती है, जिससे नाखूनों को आवश्यक पोषण मिलता है। इससे नाखूनों की चमक बढ़ती है और वे टूटने से बचते हैं।
भुजंगासन: इस आसन को कोबरा पोज के नाम से जाना जाता है। यह नाखूनों के स्वास्थ्य के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। इस आसन में पेट के बल लेटकर शरीर के ऊपरी हिस्से को उठाया जाता है, जिससे छाती और हाथों तक रक्त संचार तेज होता है। आयुष मंत्रालय ने बताया है कि भुजंगासन से रक्त में ऑक्सीजन का प्रवाह बढ़ता है। इस आसन से न केवल नाखून बल्कि त्वचा और बाल भी स्वस्थ होते हैं।
बालासन: इस आसन को शिशु मुद्रा भी कहा जाता है। यह मानसिक और शारीरिक तनाव को कम करने में मदद करता है। तनाव कम होने से हार्मोनल संतुलन बना रहता है, जो नाखूनों की वृद्धि के लिए आवश्यक है। बालासन रक्त संचार को संतुलित करता है, जिससे नाखूनों तक पोषण बेहतर तरीके से पहुंचता है। इस आसन में शरीर की मांसपेशियां आराम करती हैं, जिससे रक्त प्रवाह सुचारू होता है और नाखून मजबूत होते हैं।
चतुरंग दंडासन: यह आसन शरीर की सभी मुख्य मांसपेशियों को सक्रिय करता है। आयुष मंत्रालय ने इस आसन को शरीर की ऊर्जा बढ़ाने और रक्त प्रवाह सुधारने वाला बताया है। जब हम इस मुद्रा में शरीर को नीचे लाते हैं, तो हाथों और कंधों की मांसपेशियां सक्रिय होती हैं, जिससे नाखूनों वाले अंगों में बेहतर रक्त संचार होता है। इससे नाखूनों की मजबूती बढ़ती है और उनका स्वास्थ्य बेहतर होता है।
Source : IANS
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