Khabarwala 24 News Hapur: (साहिल अंसारी) Hapur आर्य कन्या स्नातकोत्तर महाविद्यालय में क्रीड़ा विभाग, आंतरिक गुणवत्ता आश्वासन प्रकोष्ठ, तथा सुश्री सुभद्रा कुमारी चौहान कल्चरल क्लब के संयुक्त तत्वावधान में योग शिविर(yoga tips)/ कार्यशाला का आयोजन किया गया। योग प्राचीन भारतीय ऋषि मुनियों एवं तत्ववेत्ताओं द्वारा प्रतिपादित एक विशिष्ट आध्यात्मिक प्रक्रिया है। ऋषि पतंजलि ने चित्त की वृत्तियों के निरोध को योग कहा है। जबकि व्यास ने समाधि को ही योग माना है। योग वाशिष्ठ के अनुसार योग वह युत्ति है जिसके द्वारा संसार से मोक्ष प्राप्त किया जा सकता है।
कार्यक्रम का किया शुभारंभ
क्रीड़ा विभाग की अध्यक्षा एवं कार्यक्रम की संचालिका प्रोफेसर सरोजिनी ने कार्यक्रम का शुभारंभ करते हुए सर्वप्रथम मुख्य योगाचार्य डॉ.सुधाराणा(पूर्वी दिल्ली पतंजलि योगपीठ की पूर्व महिला प्रभारी, भारत स्वाभिमान की अध्यक्षा, पतंजलि की संस्थापक सदस्या, गीता परिवार में शिक्षिका), आशा सोमानी (पतंजलि योगपीठ हापुड़ की जिला प्रभारी) ईश्वर कुमारी सिसोदिया (पतंजलि योगपीठ हापुड़ शाखा की उपाध्यक्ष एवं क्रीड़ा भारती योगाचार्य) महाविद्यालय की प्राचार्या प्रोफेसर साधना तोमर एवं प्राध्यापिकाओं को वाग् देवी की आराधना हेतु आमंत्रित किया। संगीत विभाग की अध्यक्षा प्रोफेसर जया शर्मा ने दीप गान को स्वर दिया। तत्पश्चात प्राचार्या ने अतिथियों को अंग वस्त्र देकर सम्मानित किया।

योगासन के बारे में दी जानकारी
सर्वप्रथम सुश्री ईश्वर कुमारी सिसोदिया ने योगासन के विषय में अपना वक्तव्य देते हुए सहज सरल आसनों की प्रस्तुति दी। योगाचार्य आशा सोमानी ने प्राणायाम एवं योग के फायदे को बताते हुए प्रस्तुति दी तथा सभी को नियमित आसन एवं प्राणायाम करने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने अपने अनुभव को भी उपस्थित शिक्षिकाओं से साझा किया तथा उनके प्रश्नों का उत्तर दिया एवं शंकाओं का समाधान भी किया शिक्षिकाओं ने आसनों का अनुसरण किया।
योग के फायदों की दी जानकारी
मुख्य योगाचार्य सुधा राणा, ने ॐ की ध्वनि के साथ अपना वक्तव्य प्रारंभ किया। अपने वक्तव्य में उन्होंने यम, नियम, आसन, समाधि की विस्तार पूर्वक चर्चा की। उनका मानना है कि योग साधनाओं द्वारा मन को नियंत्रित ,संयमित तथा आत्मा का परमात्मा से मिलन संभव है। शांति सुख तथा आनंद की अनुभूति है योग। अहिंसा ,अस्तेय, अपरिग्रह, इंद्रियों पर नियंत्रण योग से ही संभव है। कपालभाति, अनुलोम- विलोम तथा सूर्य नमस्कार की प्रस्तुति देते हुए इसके तमाम फायदों को भी रेखांकित किया। शीर्षासन की मुद्रा का अत्यंत सहजता के साथ उन्होंने प्रदर्शन किया। अनेक बीमारियों से जुड़ी योग मुद्राओं की प्रस्तुति दी। उन्होंने स्पष्ट किया कि योग हमें प्रसन्नता देती है और प्रसन्नता ही जीवन का मूल मंत्र है।
योग भगाए रोग
प्राध्यापिकाओं के पश्चात तीनों योगाचार्यों ने महाविद्यालय की छात्राओं को भी योग के गुर सिखाए तथा प्रतिदिन योग करने के लिए प्रेरित किया। महाविद्यालय की प्राचार्या प्रोफेसर साधना तोमर ने अपने संबोधन भाषण में ‘योग भगाए रोग’ को रेखांकित करते हुए सभी को योग निद्रा के लिए प्रेरित किया तथा साथ ही उन्होंने स्पष्ट किया की 15 मिनट का यह आसन 5 घंटे की नींद पूरी कर देता है। योग निद्रा की प्रस्तुति भी उन्होंने दी। योगाचार्यों का उन्होंने हृदय से धन्यवाद व्यक्त किया तथा उन्हें पुनः आने के लिए आमंत्रित किया। कार्यक्रम में महाविद्यालय की प्राध्यापिकाएं तथा छात्राएं उपस्थित रहीं। कार्यक्रम की समाप्ति पर संचालिका प्रोफेसर सरोजिनी ने योग की उपयोगिता पर अपने विचार रखते हुए सभी का आभार व्यक्त किया।

