CLOSE AD

Rahu Temple in India: अगर कलयुग के राजा के कोप से बचना है तो भारत के इन पवित्र मंदिरों के करें दर्शन, मिलेगी विशेष कृपा

Join whatsapp channel Join Now
Join Telegram Group Join Now

Khabarwala24 News Rahu Temple in India: भारतीय ज्योतिष शास्त्र में नवग्रहों का विशेष महत्व है। इनमें राहु और केतु को छाया ग्रह कहा जाता है। राहु को कलयुग का राजा माना गया है, क्योंकि इस युग की विशेषताएं जैसे भौतिकवाद, इच्छाएं, भ्रम और छल, राहु के स्वभाव से मेल खाती हैं। अगर कुंडली में राहु की स्थिति मजबूत हो, तो यह अप्रत्याशित सफलता और राजयोग जैसा सुख देता है। लेकिन अगर राहु खराब स्थिति में हो, तो यह जीवन में कष्ट, भ्रम, स्वास्थ्य हानि, धन नुकसान और पारिवारिक क्लेश जैसी समस्याएं लाता है।

राहु के दुष्प्रभाव से बचने के लिए राहु शांति पूजा और कुछ खास मंदिरों में दर्शन करना बहुत जरूरी माना जाता है। भारत में कुछ चुनिंदा मंदिर ऐसे हैं, जहां राहु, केतु और शनि जैसे ग्रहों के दोषों से मुक्ति पाई जा सकती है। इन मंदिरों में मां सरस्वती, भगवान शिव, हनुमान जी, भगवान गणेश और भगवान विष्णु की पूजा से राहु के प्रभाव को शांत किया जा सकता है। आइए, जानते हैं इन प्रमुख मंदिरों (Rahu Temple) के बारे में, जो राहु दोष निवारण के लिए प्रसिद्ध हैं।

राहु को क्यों कहा जाता है कलयुग का राजा?

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, राहु एक छाया ग्रह है जो कुंडली में अपनी स्थिति के आधार पर जीवन को प्रभावित करता है। कलयुग में भौतिक सुखों की लालसा, महत्वाकांक्षा और अराजकता का बोलबाला है, जो राहु के गुणों से मेल खाता है। अगर राहु की दशा, अंतर्दशा या प्रत्यंतरदशा खराब हो, तो यह निम्नलिखित समस्याएं पैदा करता है:

  • स्वास्थ्य समस्याएं: मानसिक तनाव, भय और नींद की कमी।
  • आर्थिक नुकसान: धन हानि और करियर में रुकावटें।
  • पारिवारिक क्लेश: रिश्तों में तनाव और संतान सुख में कमी।
  • भ्रम और छल: अपनों से धोखा और गलत निर्णय लेना।
  • जिद्दी स्वभाव: जिसके कारण जीवन में परेशानियां बढ़ती हैं।

ऐसे में राहु के दुष्प्रभाव से बचने के लिए राहु मंत्र जाप, दान और खास मंदिरों (Rahu Temple) में पूजा करना लाभकारी होता है। मां सरस्वती को राहु की अधिष्ठात्री देवी माना जाता है। इसके अलावा शिव पूजा, हनुमान चालीसा पाठ और विष्णु सहस्रनाम का जाप भी राहु दोष को कम करता है।

भारत के प्रमुख राहु मंदिर: जहां मिलती है राहु दोष से मुक्ति 

भारत में कई मंदिर ऐसे हैं, जहां राहु और केतु के दोषों को शांत करने के लिए विशेष पूजा-अर्चना की जाती है। इनमें से कुछ मंदिरों को राहु मंदिर (Rahu Temple) के नाम से जाना जाता है। आइए, इन मंदिरों के बारे में विस्तार से जानते हैं।

1. पैठाणी राहु मंदिर, उत्तराखंड: देश का इकलौता राहु मंदिर (Rahu Temple) 

उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल जिले में थलीसैंण ब्लॉक के पैठाणी गांव में स्थित राहु मंदिर (Rahu Temple)  देश का इकलौता ऐसा मंदिर है, जो विशेष रूप से राहु देव को समर्पित है। इसे इंद्रेश्वर मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। इस मंदिर की स्थापना की कहानी पौराणिक कथाओं से जुड़ी है।

पौराणिक कथा

स्कंदपुराण और राहु पुराण के अनुसार, जब भगवान विष्णु ने अमृत कलश से राक्षस स्वरभानु को अमृत पान करने से रोका और उनके सुदर्शन चक्र से उसका सिर और धड़ अलग कर दिया, तो स्वरभानु का सिर इसी स्थान पर गिरा था। उसी स्थान पर यह मंदिर स्थापित हुआ। मंदिर में राहु की मूर्ति के साथ-साथ भगवान शिव की पूजा भी की जाती है।

मंदिर की विशेषताएं

  • दो नदियों का संगम: यह मंदिर उर्मिका और नवालिका (पश्चिमी नयार नदी) के संगम पर स्थित है। संगम के बाद यह नदी स्योलीगाड़ या रथवाहिनी नदी के नाम से जानी जाती है।
  • राहु शिला: मंदिर से 50 मीटर नीचे दो नदियों के संगम पर एक शिलाखंड है, जिसे राहु शिला कहा जाता है। मान्यता है कि यहीं पर राहु का सिर पत्थरों के नीचे दबा हुआ है।
  • पांडवों और आदि शंकराचार्य से संबंध: कहा जाता है कि पांडवों ने अपनी स्वर्गारोहण यात्रा के दौरान यहां राहु दोष निवारण के लिए पूजा की थी। इसके अलावा आदि शंकराचार्य ने भी इस स्थान पर राहु के प्रकोप को शांत करने के लिए मंदिर की स्थापना की थी।
  • मंदिर की दीवारें: मंदिर की दीवारों पर राहु के कटे सिर और सुदर्शन चक्र की कारीगरी देखने को मिलती है।
  • इंद्र की तपस्या: मान्यता है कि भगवान इंद्र ने अपना खोया हुआ राजपाट वापस पाने के लिए यहां महादेव की तपस्या की थी।

मान्यताएं

  • इस मंदिर में राहु की पूजा में किसी भी तरह की बाधा डालने से भगवान शिव नाराज हो जाते हैं।
  • यहां राहु मंत्र जाप और शिव पूजा करने से राहु दोष से मुक्ति मिलती है।
  • यह मंदिर ज्योतिष शास्त्र के अनुसार राहु की शांति के लिए सबसे प्रभावी स्थानों में से एक है।

कैसे पहुंचें?

पैठाणी गांव पौड़ी गढ़वाल से लगभग 40 किलोमीटर दूर है। नजदीकी रेलवे स्टेशन ऋषिकेश और हवाई अड्डा जॉली ग्रांट, देहरादून है। यहां से टैक्सी या बस के जरिए मंदिर तक पहुंचा जा सकता है।

Uttarakhand Paithani Rahu Mandir
Uttarakhand Paithani Rahu Mandir

2. थिरुनागेश्वरम राहु मंदिर, तमिलनाडु: नवग्रह स्थलम का हिस्सा (Rahu Temple) 

तमिलनाडु के कुंभकोणम शहर के बाहरी इलाके में थिरुनागेश्वरम गांव में स्थित थिरुनागेश्वरम मंदिर भी राहु दोष निवारण के लिए प्रसिद्ध है। इसे नवग्रह स्थलम में शामिल किया गया है और यह विशेष रूप से राहु ग्रह को समर्पित है।

मंदिर की विशेषताएं

  • प्रमुख देवता: मंदिर में नागनाथर (भगवान शिव) और पीरसूदी अम्मन (देवी पार्वती) की पूजा की जाती है।
  • राहु की मूर्ति: यहां राहु की विशेष मूर्ति स्थापित है, जिसकी पूजा से राहु दोष शांत होता है।
  • चोल वास्तुकला: मंदिर का निर्माण चोल काल में हुआ था और इसमें चार विशाल गोपुरम हैं।
  • कुंभकोणम का महत्व: कुंभकोणम कावेरी और अरसलार नदी के बीच बसा है। यह अपने मंदिरों और 12 साला कुंभ मेले के लिए प्रसिद्ध है।

मान्यताएं

  • यहां राहु काल में पूजा करने से विशेष लाभ मिलता है।
  • राहु दोष के कारण होने वाली समस्याएं जैसे विवाह में देरी, करियर में रुकावट और स्वास्थ्य समस्याएं दूर होती हैं।
  • मंदिर में दूध अभिषेक और राहु मंत्र जाप करने की परंपरा है।

कैसे पहुंचें?

कुंभकोणम तमिलनाडु के तंजावूर जिले में स्थित है। नजदीकी रेलवे स्टेशन कुंभकोणम और हवाई अड्डा तिरुचिरापल्ली है। मंदिर तक बस या टैक्सी से आसानी से पहुंचा जा सकता है।

The Thirunageswaram Rahu Temple, also known as Naganathaswamy Temple or Rahu Sthalam
The Thirunageswaram Rahu Temple, also known as Naganathaswamy Temple or Rahu Sthalam

3. श्रीकालहस्ती मंदिर, आंध्र प्रदेश: राहु और केतु दोष निवारण का केंद्र (Rahu Temple) 

आंध्र प्रदेश के चित्तूर जिले में स्वर्णमुखी नदी के तट पर स्थित श्रीकालहस्ती मंदिर राहु और केतु दोनों के दोषों को शांत करने के लिए प्रसिद्ध है। इसे राहु-केतु मंदिर के नाम से भी जाना जाता है।

मंदिर की विशेषताएं

  • वायु तत्व लिंग: मंदिर में स्थापित शिवलिंग को पंचतत्व लिंगों में वायु तत्व का प्रतीक माना जाता है। इसकी पूजा के दौरान लिंग को स्पर्श नहीं किया जाता।
  • राहु-केतु पूजा: यहां राहु और केतु की विशेष पूजा की जाती है, जो दोष निवारण के लिए प्रभावी है।
  • पौराणिक महत्व: मान्यता है कि अर्जुन ने यहां प्रभु कालहस्ती के दर्शन किए थे।
  • शिवलिंग की ऊंचाई: मंदिर का शिवलिंग लगभग 4 फीट ऊंचा है।

मान्यताएं

  • यहां पूजा करने से राहु-केतु दोष के कारण होने वाली समस्याएं जैसे विवाह में देरी, संतान प्राप्ति में बाधा और करियर में रुकावटें दूर होती हैं।
  • मंदिर में स्वर्ण पट्ट पर फूल और माला चढ़ाने की परंपरा है।
  • कालसर्प दोष निवारण के लिए भी यह मंदिर प्रसिद्ध है।

कैसे पहुंचें?

श्रीकालहस्ती तिरुपति से लगभग 40 किलोमीटर दूर है। नजदीकी रेलवे स्टेशन तिरुपति और हवाई अड्डा तिरुपति एयरपोर्ट है। मंदिर तक बस या टैक्सी से पहुंचा जा सकता है।

The Srikalahasti Rahu Temple Andhra Pradesh
The Srikalahasti Rahu Temple Andhra Pradesh

राहु दोष निवारण के लिए अन्य उपाय

मंदिरों में दर्शन के अलावा राहु दोष को शांत करने के लिए निम्नलिखित उपाय भी किए जा सकते हैं:

  1. राहु मंत्र जाप: “ॐ रां राहवे नमः” मंत्र का 18,000 बार जाप करें।
  2. दान: राहु की शांति के लिए नीली वस्तुएं, तिल, सरसों का तेल और काले कंबल का दान करें।
  3. मां सरस्वती की पूजा: राहु की अधिष्ठात्री देवी मां सरस्वती की पूजा करें।
  4. हनुमान चालीसा: रोजाना हनुमान चालीसा का पाठ करें।
  5. शनि और केतु की शांति: राहु के साथ-साथ शनि और केतु की पूजा भी करें।

राहु को कलयुग का राजा कहा जाता है, और इसकी खराब स्थिति जीवन में कई तरह की परेशानियां लाती है। लेकिन पैठाणी राहु मंदिर (Paithani Rahu Mandir), थिरुनागेश्वरम मंदिर (The Thirunageswaram Rahu Temple) और श्रीकालहस्ती मंदिर (The Srikalahasti Rahu Temple Andhra Pradesh) जैसे पवित्र स्थानों पर दर्शन और पूजा करने से राहु, केतु और शनि के दोषों से मुक्ति पाई जा सकती है। ये मंदिर न केवल आध्यात्मिक शांति प्रदान करते हैं, बल्कि जीवन की बाधाओं को दूर करने में भी मदद करते हैं।

अगर आप भी राहु दोष से परेशान हैं, तो इन मंदिरों में जरूर जाएं और राहु शांति पूजा करें। साथ ही, ज्योतिषी से सलाह लेकर अपनी कुंडली का विश्लेषण करवाएं और उचित उपाय अपनाएं।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Related Post

Breaking News