Monday, June 2, 2025

2025 Ramadan Date 12 साल से हर मुसलमान का फर्ज होता है रोजा रखना, भारत में 2 मार्च से शुरू होंगे रोजे, हर गुनाह की मिल जाती है माफी

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Khabarwala 24 News New Delhi : 2025 Ramadan Date 12 साल की उम्र से लेकर हर मुसलमान का रोजा रखना फर्ज होता है। हर बार 29 या 30 रोजे रखने के बाद मुसलमान अल्लाह का शुक्रिया अदा करते हुए इस महीने के आखिर में ईद-उल-फितर मनाते हैं, जिसे मीठी ईद के नाम से भी जाना जाता है। सऊदी अरब के साथ ही संयुक्त अरब अमीरात, ब्रिटेन, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया में रमजान 2025 का पहला रोजा रखा जाएगा। वहीं, भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश और अन्य दक्षिण एशियाई देशों में रमजान एक दिन बाद शुरू होगा और 2 मार्च को पहला रोजा रखा जाएगा।

सऊदी अरब में दिखाई दिया रमजान का चांद (2025 Ramadan Date)

रमजान का चांद आमतौर पर सबसे पहले सऊदी अरब में दिखाई देता है, जिसके एक दिन बाद भारत के कुछ हिस्सों के साथ-साथ कुछ पश्चिमी देशों में देखा जाता है जबकि भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश और अन्य देशों में रमजान का चांद एक ही दिन देखा जाता है। इस्लाम धर्म में रमजान का महीना सबसे पाक और मुबारक माना जाता है। इस पूरे महीने मुसलमान रोजा रखते हैं और अपना ज्यादा वक्त अल्लाह की इबादत में बिताते हैं।

गुनाहों से मगफिरत का महीना कहा जाता है (2025 Ramadan Date)

रमजान का महीना इतना पाक इसलिए भी माना गया है, क्योंकि इस महीने में लैलतुल-कद्र की रात को इस्लाम धर्म की सबसे पाक किताब कुरआन नाजिल हुई थी। कुरआन में सूरह अल-बकरा की आयत 182 से 187 में रोजे का जिक्र मिलता है, जिसमें कहा है कि हर मुसलमान का रोजा रखना फर्ज है। माह-ए-रमजान में गुनाहों से मगफिरत का महीना भी कहा जाता है, जिसमें जाने-अनजाने में किए गए हर गुनाह की माफी मिल जाती है।

रहमत और बरकत का महीना कहा जाता है (2025 Ramadan Date)

रमजान इस्लामिक (हिजरी) कैलेंडर का नौवां महीना है, जिसमें मुस्लिम लोग सुबह से शाम तक रोजा रखते हैं। रमजान को रहमत और बरकत का महीना कहा जाता है, जिसमें लोग अल्लाह की इबादत में मशगूल रहते हैं। रमजान में जकात देने की भी रिवायत है। जकात भी इस्लाम के पांच अरकान यानी स्तंभों में से एक है। जकात में हर मुसलमान को अपनी संपत्ति का 2.5 फीसदी हिस्सा दान करना होता है।

हर मुसलमान के लिए रमजान क्यों खास है? (2025 Ramadan Date)

हालांकि, कुछ शर्तों में रोजा रखने पर छूट दी गई है। अगर किसी औरत को पीरियड्स हो रहे हैं, तो वो रोजा छोड़ सकती है, लेकिन छूटे हुए रोजे बाद में रखना जरूरी माना गया है। जानबूझकर रोजा छोड़ने पर कफ्फारा अदा करना पड़ता है। इस्लामिक स्कॉलर मुफ्ती सलाउद्दीन कासमी ने बताया रमजान के पाक महीने में अल्लाह तआला शैतान जहन्नुम के दरवाजे बंद कर देता है और जन्नत के दरवाजे अपने बंदों के लिए खोल देता है।

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