Khabarwala24 News: वेटरन बैंकर और HDFC Ltd के पूर्व चेयरमैन दीपक पारेख ने हाल ही में एक बड़ा खुलासा किया है। उन्होंने बताया कि ICICI Bank ने एक बार HDFC Ltd को टेकओवर करने का ऑफर दिया था, लेकिन उन्होंने इसे ठुकरा दिया।
एक यूट्यूब इंटरव्यू में पूर्व ICICI Bank MD और CEO चंदा कोचर के साथ बातचीत में पारेख ने कहा, “मुझे याद है, आपने मुझसे कहा था कि ICICI ने HDFC को शुरू किया था। तो ’वापस घर आ जाओ’। ये आपका ऑफर था।” हालांकि, पारेख ने इस ऑफर को अस्वीकार कर दिया और कहा, “ये हमारे नाम, बैंक और इंस्टीट्यूशन के लिए ठीक नहीं होगा।”
HDFC Bank के साथ रिवर्स मर्जर की कहानी
पारेख ने आगे बताया कि HDFC Ltd और HDFC Bank का रिवर्स मर्जर, जो जुलाई 2023 में पूरा हुआ, RBI के दबाव में हुआ। उन्होंने कहा, “RBI ने हमें सपोर्ट किया और कुछ हद तक हमें इस मर्जर के लिए पुश किया। कोई रियायत या छूट नहीं मिली, लेकिन उन्होंने प्रोसेस को आसान करने और अप्रूवल देने में मदद की।” इस मर्जर को उन्होंने इंस्टीट्यूशन और देश के लिए अच्छा बताया, क्योंकि इससे देश को बड़े और मजबूत बैंक मिले। यह मर्जर 1 जुलाई 2023 से प्रभावी हुआ, जिसके बाद 44 साल पुराना HDFC Ltd इतिहास बन गया।
ICICI और HDFC का पुराना रिश्ता
दिलचस्प बात यह है कि HDFC Ltd की स्थापना में ICICI Ltd, जो अब ICICI Bank की पैरेंट कंपनी थी, ने आर्थिक मदद की थी। यह रिश्ता दोनों इंस्टीट्यूशंस के बीच गहरे इतिहास को दर्शाता है।
ICICI vs HDFC Bank: कौन है आगे?
मर्जर के बाद HDFC Bank की मार्केट कैपिटलाइजेशन अप्रैल 2025 में ₹15 लाख करोड़ को पार कर गई। लेकिन निजी बैंकिंग सेक्टर में ICICI Bank ने कई मामलों में HDFC Bank को पीछे छोड़ दिया है। FY25 में ICICI Bank ने 15% प्रॉफिट ग्रोथ दर्ज की, जबकि HDFC Bank की प्रॉफिट ग्रोथ 11% रही। दोनों बैंकों की Net Interest Income (NII) ग्रोथ लगभग समान थी, लेकिन ICICI की Net Interest Margin (NIM) 4.41% थी, जो HDFC Bank की 3.65% से काफी बेहतर है।
ICICI Bank ने लोन और डिपॉजिट में 14% की ग्रोथ दर्ज की। वहीं, HDFC Bank के लोन की ग्रोथ डिपॉजिट की तुलना में आधी रही। मर्जर के बाद HDFC Bank का Loan-to-Deposit Ratio (LDR) 100% से ऊपर चला गया, जो अब 96.5% तक आया है। दूसरी ओर, ICICI Bank का LDR 82.4% है, जो ज्यादा संतुलित है।
HDFC Bank ने FY25 में क्रेडिट विस्तार को जानबूझकर धीमा किया, ताकि डिपॉजिट बढ़ाए जा सकें। बैंक का मानना है कि सिस्टम में लिक्विडिटी बढ़ने से डिपॉजिट ग्रोथ में मदद मिलेगी। ज्यादा LDR का मतलब है कि बैंक अपने डिपॉजिट का बड़ा हिस्सा लोन में दे रहा है, जो लिक्विडिटी टाइट होने पर जोखिम पैदा कर सकता है।
भारतीय बैंकों को मर्जर से मजबूती मिलेगी
पारेख ने भारतीय बैंकों के भविष्य पर भी अपनी राय दी। उन्होंने कहा कि भारतीय बैंकों को भविष्य में मजबूत होने के लिए acquisitions और मर्जर की राह अपनानी होगी। बड़े बैंक न केवल इकोनॉमी को सपोर्ट करेंगे, बल्कि ग्लोबल मार्केट में भी भारत का दबदबा बढ़ाएंगे।
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