Lucknow News Khabarwala 24 News Lucknow:I.N.D.I.A (इंडिया) गठबंधन के तहत उत्तर प्रदेश में घटक दल से लेकर सीट शेयरिंग तक के कई मसले अभी उलझे हुए हैं और महत्वपूर्ण सवालों का जवाब निकट भविष्य में आना है। सबसे बड़े घटक के रूप में समाजवादी पार्टी अपनी ओर से लड़ने वाली व दूसरे दलों के लिए छोड़ी जाने वाली सीटों को लेकर मंथन कर रही है। पार्टी जल्द यह तय कर लेगी कि कौन-कौन सीटें उसके मजबूत आधार वाली हैं और यहां उसका पिछड़ा दलित व अल्पसंख्यक(PDA) का मुद्दा उसे लाभ पहुंचाएगा। मुंबई में इंडिया गठबंधन की बैठक जल्द होने जा रही है। उम्मीद है कि इस बैठक में अखिलेश यादव को अहम जिम्मेदारी मिले। माना जा रहा है कि इसमें यूपी की लड़ाई गठबंधन किस तरह लड़ेगा और किसको साथ लेकर लड़ेगा-इस पर भी चर्चा होगी।
बसपा का साथ लाने के प्रयास में कांग्रेस
I.N.D.I.A इंडिया गठबंधन में कांग्रेस व सपा व रालोद अभी हैं। बसपा को लेकर सवाल बड़ा है। माना जा रहा है कि कांग्रेस उसे अपने साथ लाने में लगी है और इस बाबत प्रयास चार राज्यों के विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद फलीभूत होते दिखें। राष्ट्रीय लोकदल सपा का पुराना सहयोगी है लेकिन रालोद के मुखिया जंयत चौधरी के हालिया उठाए गए कदम व दिए गये बयान में कई दल विरोधाभास देख रहे हैं और इसे भाजपा की गठबंधन की विस्तारवादी रणनीति से जोड़ कर देखा जा रहा है।
पलटवार की कोशिश में सपा
सपा विधायक दारा सिंह के भाजपा में जाने के बाद अब सपा की पैनी निगाह भाजपा के उन कद्दावर नेताओं पर है जो अंसतुष्ट माने जा रहे हैं और जिनको लेकर खुद भाजपा संशय में दिखती है। पार्टी सूत्रों के मुताबिक सपा भाजपा के कद्दावर सांसद को उस सीट से लड़ाना चाहती है जो कभी कांग्रेस का गढ़ थी और अब भाजपा के कब्जे में है। सपा मान कर चल रही है कि जिन मौजूदा सांसदों के टिकट कटेंगे उनके लिए सबसे बेहतर मंच उसकी पार्टी होगी। वैसे मैनपुरी, आजमगढ़, कन्नौज, फिरोजबाद, संभल बदायूं आदि सीटों में अधिकांश पर मुलायम परिवार के सदस्य ही लड़ेंगे।
कमजोर सीटों पर जुटा रहे जानकारी
सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव कमजोर व मजबूत सीटों की जानकारी ले रहे हैं। इसके लिए वह पार्टी की जिला इकाई के अलावा दूसरे स्रोतों से भी जानकारी जुटा रहे हैं कि किन-किन सीटों पर पार्टी बेहतर कर सकती है और किन सीटों की स्थिति हल्की है। यह कवायद इसलिए भी जरूरी है कि पार्टी को अपनी तरफ से सीटों का एक आकलन इंडिया गठबंधन की बैठक में भी रखना पड़ सकता है। अगर बसपा भी गठबंधन में देर सबेर साथ आती है तो सीटों का बटवारा अलग तरीके से होगा। तब उसे और अधिक सीटें दूसरे घटकों के लिए छोड़नी होगी। इसलिए पार्टी में टिकट के दावेदार भी उहापोह में दिखते हैं और सही समय का इंतजार कर रहे हैं।
