Khabarwala 24 News Hapur: Fake Appointment Letter यूपी के जनपद हापुड़ के जिला संयुक्त चिकित्सालय में एक चौंकाने वाला फर्जीवाड़ा सामने आया है। एक शख्स फर्जी नियुक्ति पत्र लेकर वार्ड ब्वॉय की नौकरी जॉइन करने पहुंचा, लेकिन उसकी चालाकी पकड़ी गई। जांच में नियुक्ति पत्र जाली निकला, और अब पुलिस ने दो लोगों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
Fake Appointment Letter का क्या है मामला
नगर कोतवाली क्षेत्र में दस्तोई रोड पर स्थित जिला संयुक्त चिकित्सालय में एक व्यक्ति, बबलू सिंह, वार्ड ब्वॉय के पद पर जॉइन करने पहुंचा। उसके पास एक नियुक्ति पत्र था, जो बाहर से देखने में बिल्कुल असली लग रहा था। लेकिन जिला अस्पताल में तैनात फार्मासिस्ट ज्ञानप्रकाश गौतम की सतर्कता ने इस फर्जीवाड़े को पकड़ लिया। ज्ञानप्रकाश गौतम ने जिला कार्यक्रम प्रबंधक सतीश कुमार को फोन कर बताया कि नियुक्ति पत्र पर मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) के हस्ताक्षर संदिग्ध लग रहे हैं। सतीश ने तुरंत पत्र को व्हाट्सएप पर मंगवाया और जांच शुरू की। जांच में पता चला कि ये नियुक्ति पत्र उनके दफ्तर से जारी ही नहीं हुआ था, और सीएमओ के हस्ताक्षर भी जाली थे।
कैसे पकड़ा गया फर्जीवाड़ा?
सतीश कुमार ने तुरंत सीएमओ को इस मामले की जानकारी दी। उन्होंने सारे दस्तावेजों की गहनता से जांच की, जिसमें साफ हुआ कि नियुक्ति पत्र पूरी तरह से फर्जी (Fake Appointment Letter)था। इसके बाद बबलू सिंह से कड़ाई से पूछताछ की गई। पहले तो वो बहाने बनाता रहा, लेकिन पुलिस के दबाव में उसने सच उगल दिया। बबलू ने बताया कि उसे ये फर्जी नियुक्ति पत्र शिवम कुमार नाम के शख्स ने दिया था, जो गांव गोहरा आलमगीरपुर का रहने वाला है। उसने ये भी कबूल किया कि शिवम ने उसे नौकरी दिलवाने का लालच दिया था।
इस खुलासे के बाद पुलिस ने तुरंत कार्रवाई शुरू कर दी।जिला कार्यक्रम प्रबंधक सतीश कुमार ने सीएमओ के निर्देश पर नगर कोतवाली में तहरीर दी। इस तहरीर के आधार पर पुलिस ने बबलू सिंह और शिवम कुमार के खिलाफ फर्जीवाड़े का केस दर्ज किया।
पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर शुरू की जांच
Fake Appointment Letter के मामले में थाना प्रभारी निरीक्षक मुनीष प्रताप सिंह ने बताया कि दोनों आरोपियों के खिलाफ जांच चल रही है। अगर वो दोषी पाए गए, तो उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई होगी। पुलिस अब ये भी जांच रही है कि क्या ये दोनों पहले भी ऐसे फर्जीवाड़े में शामिल रहे हैं। क्या ये कोई बड़ा नौकरी घोटाला रैकेट तो नहीं चला रहे? इन सवालों के जवाब जांच पूरी होने के बाद ही मिलेंगे।
