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भारतीय सेना का ‘वायु समन्वय-II’ अभ्यास : ड्रोन युद्ध में नई ताकत का प्रदर्शन

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जयपुर/पुणे, 1 नवंबर (khabarwala24)। भारतीय सेना ने रेगिस्तानी इलाकों में उभरते हवाई खतरों का मुकाबला करने के लिए एक बड़ा कदम उठाया है। दक्षिणी कमान के नेतृत्व में 28-29 अक्टूबर 2025 को आयोजित ‘वायु समन्वय-II’ नामक ड्रोन और ड्रोन-रोधी अभ्यास ने सेना की अगली पीढ़ी की युद्ध क्षमता को प्रमाणित किया।

पुणे स्थित दक्षिणी कमान के तत्वावधान में रेगिस्तानी अग्रिम क्षेत्रों में हुए इस दो दिवसीय अभ्यास में विभिन्न हवाई और जमीनी संसाधनों को एकीकृत किया गया, साथ ही इलेक्ट्रॉनिक युद्ध और प्रतिस्पर्धी परिवेश में बहु-क्षेत्रीय कमान केंद्रों का एकीकरण सुनिश्चित किया गया।

अभ्यास का मुख्य फोकस ड्रोन हमलों और उनके प्रतिकार के सैद्धांतिक सिद्धांतों के विकास व परीक्षण पर रहा। रेगिस्तानी भूभाग और कठोर मौसम ने दोनों पक्षों के लिए आदर्श परीक्षण मैदान प्रदान किया। भारतीय सेना के विभिन्न अंगों के बीच संयुक्त अंतर-संचालन क्षमता का शानदार प्रदर्शन हुआ, जिससे संवेदनशील सीमावर्ती क्षेत्रों में प्रौद्योगिकी-सक्षम अभियानों के लिए समन्वय मजबूत हुआ। सैनिकों को स्वदेशी ड्रोन तकनीकों के साथ वास्तविक परिचालन परिवेश में प्रयोग करने का मौका मिला, जिसमें ड्रोन स्वार्म हमले, इलेक्ट्रॉनिक जामिंग और काउंटर-ड्रोन सिस्टम शामिल थे।

‘वायु समन्वय-II’ ने भारतीय सेना की आत्मनिर्भरता को रेखांकित किया। अभ्यास में स्वदेशी ड्रोन जैसे कि स्वार्म ड्रोन, लेजर-आधारित काउंटर सिस्टम और यूएवी (अनमैन्ड एरियल व्हीकल) का उपयोग किया गया, जो हाल के वर्षों में ‘आत्मनिर्भर भारत’ अभियान के तहत विकसित हुए हैं। इससे न केवल ड्रोन-रोधी क्षमताओं का परीक्षण हुआ, बल्कि उभरते हवाई खतरों जैसे दुश्मन ड्रोन घुसपैठ के खिलाफ त्वरित प्रतिक्रिया की रणनीति भी तैयार की गई।

यह अभ्यास पाकिस्तान और चीन सीमाओं पर बढ़ते ड्रोन उपयोग को ध्यान में रखते हुए महत्वपूर्ण है, जहां हाल ही में कई घुसपैठ की घटनाएं दर्ज की गई हैं।

लेफ्टिनेंट जनरल धीरज सेठ, पीवीएसएम, एवीएसएम, दक्षिणी कमान के महानिदेशक ने अभ्यास की सफलता की सराहना की। उन्होंने कहा कि ‘वायु समन्वय-II’ से प्राप्त अनुभव ड्रोन और काउंटर-ड्रोन प्रणालियों के क्षमता विकास और तेजी से समावेशन में सीधा योगदान देंगे। यह बहु-क्षेत्रीय परिवेश में आधुनिक तकनीक अपनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।” जनरल सेठ ने सैनिकों की पेशेवरता और तकनीकी अनुकूलन क्षमता की भी तारीफ की।

Source : IANS

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