Khabarwala 24 News New Delhi : Mumbai Attack UPA Govt विदेश मंत्री एस जयशंकर ने मुंबई हमले के बाद कार्रवाई न करने पर तत्कालीन मनमोहन सरकार पर हमला बोला है। एस जयशंकर ने एक कार्यक्रम में कहा कि पाकिस्तान से आए 10 आतंकियों ने भारत की आर्थिक राजधानी मुंबई में हमला कर 165 लोगों को मार डाला था। इस भीषण आतंकी हमले के पीछे पाकिस्तान का हाथ होने के स्पष्ट सबूत भी सरकार के हाथ लगे थे। इसके बावजूद तत्कालीन यूपीए सरकार ने 2008 के मुंबई आतंकवादी हमलों के बाद कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। डॉक्टर जयशंकर विदेश नीति भारतीय मार्ग अविश्वास से विश्वास तक विषय पर आयोजित एक सभा को संबोधित कर रहे थे।
बैठे, बहस की और फिर कुछ न करने का फैसला (Mumbai Attack UPA Govt )
डॉक्टर एस जयशंकर ने तत्कालीन मनमहोन सरकार पर निशाना साधते हुए कहा उन्होंने रक्षात्मक रवैया अपनाते हुए आतंकवाद को एक कड़वी सच्चाई के रूप में स्वीकार कर लिया था। मुंबई हमले के बाद, पिछली यूपीए सरकार के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ने लिखा कि हम बैठे, हमने बहस की। हमने सभी विकल्पों पर विचार किया। इसके बाद हमने कुछ नहीं करने का फैसला किया।
पाक पर हमला करने का फैसला पड़ता महंगा (Mumbai Attack UPA Govt )
विदेश मंत्री डॉ. जयशंकर आगे कहते हैं, तत्कालीन NSA अपनी सरकार के इस फैसले की वजह बताते हैं। वे लिखते हैं कि हमने मुंबई अटैक के बाद कुछ नहीं करने का फैसला किया। इसका औचित्य यह था कि हमें लगा कि पाकिस्तान पर हमला करने की कीमत पाकिस्तान पर हमला न करने की कीमत से अधिक है। किसी स्वाभिमानी और मजबूत देश के लिए यह रवैया कितना ठीक है। इस पर फैसला करने का अधिकार मैं आप पर छोड़ता हूं।
भारत ग्लोबल साउथ के 125 देशों की आवाज (Mumbai Attack UPA Govt )
भारत को ‘ग्लोबल साउथ’ की आवाज बताते हुए उन्होंने कहा कि ग्लोबल साउथ के देश दुनिया में अपने मुद्दों और पदों को लेकर भारत पर भरोसा करते हैं। भारत का उन कुछ देशों के प्रति नैतिक दायित्व है, जो औपनिवेशिक शासन के अधीन थे और जितनी जल्दी हो सके उबर नहीं सके, जैसा कि भारत ने किया। उन्होंने कहा हम ग्लोबल साउथ की आवाज हैं, जो दुनिया के लगभग 125 देशों में से एक है। ये देश अपने मुद्दे, दुनिया में अपनी स्थिति को लेकर भारत पर भरोसा करते हैं।
सीमा के खतरों से निपटने के लिए भारत सजग (Mumbai Attack UPA Govt )
सरहद पर पाकिस्तान- चीन के खतरों की ओर इशारा करते हुए डॉक्टर जयशंकर ने कहा, भारत के सामने सीमाओं पर कुछ चुनौतियां हैं। उनका बचाव करने की कुंजी केवल सार्वजनिक रूप से पेश आना नहीं है, बल्कि सरहदी इलाके में बुनियादी ढाँचे का निर्माण करना, अपनी सेना की सारी जरूरतें पूरी करना और एक ऐसी प्रणाली का निर्माण करना है, जो सीमा पर खतरा होने पर तुरंत तेजी के साथ प्रतिक्रिया दे सके।