Khabarwala 24 News New Delhi: Maldives पीएम मोदी और भारत पर मालदीव के मंत्रियों की अपमानजनक टिप्पणी के बाद सोशल मीडिया पर #bycottmaldives ट्रेंड कर रहा है। भारत के कई बड़े नामचीन लोग, जो कभी मालदीव में अपनी छुट्टियां बिताने जाते थे, अब वहां के मंत्रियों के बयान का विरोध कर रहे हैं और वहां ना जाने की बात कह रहे हैं। आइए हम आपको बताते हैं भारतीय सेना के उन जवानों के बारे में जो मालदीव में तैनात हैं।
कब गई थी भारतीय सेना मालदीव (Maldives)
भारतीय सेना वहां के तत्कालीन राष्ट्रपति मौमून अब्दुल गयूम के बुलाने पर वर्ष 1988 में गई थी। दरअसल, मालदीव सामरिक दृष्टिकोण से भारत के लिए बहुत खास है। यही वजह है कि भारत किसी भी स्थिति में इस छोटे से देश से अपने संबंध खराब नहीं करना चाहता। यही वजह है कि तत्कालीन राष्ट्रपति मौमून अब्दुल गयूम के बुलाने पर वहां भारतीय सेना तुरंत पहुंच गई।
भारतीय सेना को क्यों बुलाया था (Maldives)
1988 में मालदीव आंतरिक कलह से जूझ रहा था। उस समय तत्कालीन राष्ट्रपति मौमून अब्दुल ग़यूम के खिलाफ मालदीव के व्यापारी अब्दुल्ला लुथूफ़ी और उनके साथी सिक्का अहमद इस्माइल मानिक तख़्तापलट की साजिश रच रहे थे। एक दिन खबर आई कि अब्दुल्ला लुथूफ़ी और सिक्का अहमद इस्माइल श्रीलंका के चरमपंथी संगठन ‘प्लोट’ के भाड़े के लड़ाकों के सहारे मालदीव पर कब्जा करना चाह रहे। जब ये लड़ाके देश में घुसने लगे और राष्ट्रपति मौमून को घेरने लगे तो उन्होंने एक सेफ हाउस में छिप कर वहां से सीधे भारत फोन लगाया और अपनी सुरक्षा के लिए मदद मांगी।
भारत की उस समय की मौजूदा राजीव गांधी सरकार ने राष्ट्रपति मौमून अब्दुल ग़यूम की बात को गंभीरता से लेते हुए कुछ ही घंटों में भारतीय सेना की एक टुकड़ी को हवाई मार्ग के जरिए हुलहुले हवाई अड्डे पर पहुंचा दिया गया। यहां से भारतीय सैनिक राष्ट्रपति मौमून अब्दुल गयूम के सेफ हाउस पहुंचे और उन्हें विद्रोहियों से बचा लिया।
मालदीव में क्या करते हैं भारतीय सैनिक (Maldives)
इस समय की बात करें तो तो मालदीव में 70 के करीब भारतीय सैनिक हैं। इन भारतीय सैनिकों के पास कुछ टोही विमान है, जिससे वो हिंद महासागर की निगरानी करते हैं। इसके अलावा यह सैनिक मालदीव में राहत बचाव कार्य और मेडिकल सहायता पहुंचाने का भी काम करते हैं। हालांकि, कुछ समय पहले भारतीय नौसेना ने वहां अपना एक डोर्नियर विमान और दो हेलीकॉप्टर तैनात किया था जो मुख्य रूप से 200 छोटे-छोटे द्वीपों के मरीजों को अस्पताल पहुंचाने का काम करते हैं।
