Khabarwala 24 Hapur News : दस्तोई रोड स्थित संयुक्त जिला चिकित्सालय में मंगलवार को स्वास्थ्य शिविर का आयोजन किया गया। विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस के मौके पर आयोजित शिविर में बतौर मुख्य अतिथि पहुंचीं अपर जिला जज छाया शर्मा ने शिविर को फीता काटकर उदघाटन किया। मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमओ) डाक्टर सुनील कुमार त्यागी ने पौधा भेंटकर मुख्य अतिथि का स्वागत किया। शिविर में 210 रोगियों की स्क्रीनिंग हुई, इनमें से 51 को दवा दी गई और बाकी की काउंसलिंग की गई।
अपर जिला जज छाया शर्मा ने कहा कि मानसिक रोगियों को घृणा की दृष्टि से नहीं देखा जाना चाहिए। मानसिक रोगियों के भी अपने हक और अधिकार हैं। उपचार प्राप्त करना भी उनका अधिकार है और उन्हें यह अधिकार हक से प्राप्त करना चाहिए। सीएमओ ने अपने संबोधन में मानसिक स्वास्थ्य और टीबी के बारे में अधिक से अधिक लोगों को जागरूक करने की बात कही। उन्होंने कहा कि इस बार विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस मेंटल हेल्थ इज ए यूनिवर्सल ह्यूमन राइट की थीम पर मनाया जा रहा है। स्वास्थ्य विभाग का प्रयास है कि अधिक से अधिक लोगों मानसिक रोगों के बारे में जानें और झाड़-फूंक वालों पर जाने के बजाय चिकित्सकीय परामर्श से मानसिक रोगों का उपचार प्राप्त करें। यह हर मानसिक रोगी का अधिकार है। संयुक्त जिला चिकित्सालय में मानसिक रोगों के उपचार की पूरी व्यवस्था है। साइकेट्रिस्ट के साथ ही यहां काउंसलर भी तैनात हैं। क्योंकि मानसिक रोग होने पर यदि शुरूआत में ही चिकित्सकीय परामर्श ले लिया जाए तो केवल काउंसलिंग से भी रोगी ठीक हो जाते हैं। स्थिति थोड़ी गंभीर होने पर दवाओं के साथ काउंसलिंग की जाती है।
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क्या हो सकते हैं लक्षण
सीएमओ डाक्टर सुनील कुमार त्यागी ने बताया कि किसी बच्चे का यदि पढ़ने में मन ना लगता हो, चिड़चिड़ा रहता हो, मोबाइल का अधिक प्रयोग करता हो, साथ के बच्चों से घुलता मिलता ना हो, नकारात्मक विचार मन में आते हों, ऐसा बच्चा मानसिक रोग का शिकार हो सकता है। व्यवहार में परिवर्तन, उदासी और नींद न आना भी मानसिक रोग के लक्षण हो सकते हैं।
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टीबी रोगियों के लिए भी लगाया गया स्टाल
क्षय रोग विभाग के स्टॉल पर मौजूद जिला पीपीएम समन्वयक सुशील चौधरी और टीबीएचवी हरिश्चंद्र ने बताया – दो सप्ताह से अधिक खांसी, खांसी में बलगम या खून आना, सीने में दर्द, शाम के समय बुखार और रात में सोते समय पसीना आना, वजन कम होना या थकान रहना, यह सब टीबी के लक्षण हो सकते हैं। इनमें से कोई भी लक्षण आने पर नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र पर जाकर टीबी की जांच अवश्य कराएं। जांच में टीबी की पुष्टि होने पर सभी स्वास्थ्य केंद्रों पर उपचार की व्यवस्था है और साथ ही सरकार की ओर से हर रोगी को उपचार जारी रहने तक बेहतर पोषण के लिए निक्षय पोषण योजना के तहत पांच सौ रुपए की राशि दी जाती है। यह राशि सीधे रोगी के बैंक खाते में ट्रांसफर की जाती है।
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शिविर में मूक-बधिर बच्चों की भी हुई जांच, लखनऊ में होगी सर्जरी
संयुक्त जिला चिकित्सालय में आयोजित स्वास्थ्य शिविर में मूक-बधिर बच्चों की भी जांच हुई। डीईआईसी मैनेजर डाक्टर मयंक चौधरी ने बताया कि राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम (आरबीएसके) के तहत जनपद के 18 मूक-बधिर बच्चों को जांच के लिए संयुक्त जिला चिकित्सालय में आयोजित शिविर में बुलाया गया था। विनायक हॉस्पिटल, लखनऊ से आई टीम ने इन बच्चों की जांच की और आठ बच्चों को कॉक्लेयर इंप्लांट सर्जरी के लिए चुन लिया है। उन्होंने बताया विनायक हॉस्पिटल, लखनऊ और मल्होत्रा फाउंडेशन, कानपुर स्वास्थ्य विभाग से साथ मिलकर मूक-बधिर बच्चों के लिए काम कर रही हैं। आरबीएसके के तहत इन बच्चों की लखनऊ ले जाकर सर्जरी कराई जाएगी।
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कार्यक्रम में यह रहे मौजूद
कार्यक्रम में मुख्य रूप से संयुक्त जिला चिकित्सालय के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डाक्टर प्रदीप मित्तल और राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम की नोडल अधिकारी डाक्टर प्रेरणा श्रीवास्तव, साइकेट्रिस्ट डाक्टर कावेरी सक्सेना और डाक्टर स्वाति सिंह, साइकोलॉजिस्ट मुग्धा उपाध्याय और साइकेट्रिक सोशल वर्कर मोहम्मद अनीस उपस्थित रहे।