Khabarwala 24 News Hapur: Hapur के जनपद न्यायाधीश अजय कुमार द्वितीय ने मोनाड विश्वविद्यालय (Monad University) के फर्जी मार्कशीट और डिग्री घोटाले में मुख्य आरोपी, विश्वविद्यालय के मालिक बिजेंद्र सिंह हुड्डा की जमानत याचिका खारिज कर दी। अन्य नौ आरोपियों की जमानत याचिकाओं पर फैसला सुरक्षित रखा गया है, जिसका जल्द ऐलान होने की उम्मीद है।
कोर्ट की कड़ी टिप्पणी: “शैक्षिक आतंकवाद” (Hapur)
जिला शासकीय अधिवक्ता गौरव नागर ने बताया कि न्यायाधीश ने इस मामले को “शैक्षिक आतंकवाद” करार दिया। अपने आदेश में, न्यायाधीश ने कहा कि देश आतंकवाद, नशे की लत और आर्थिक कमजोरी से जूझ रहा है, और अब फर्जी मार्कशीट और डिग्रियों के रूप में एक नए “शैक्षिक आतंकवाद” का सामना कर रहा है। पंजीकृत विश्वविद्यालयों में बिना परीक्षा या पंजीकरण के फर्जी दस्तावेज जारी किए जा रहे हैं, जिनका अवैध सत्यापन कर लोगों को सरकारी और निजी संस्थानों में नौकरियां दिलाई जा रही हैं। यह राष्ट्र को आर्थिक और नैतिक रूप से खोखला करने का प्रयास है।
मामले का खुलासा (Hapur)
जिला शासकीय अधिवक्ता गौरव नागर के अनुसार, उत्तर प्रदेश विशेष कार्य बल (एसटीएफ) ने 18 मई 2025 को मोनाड विश्वविद्यालय में छापेमारी कर इस रैकेट का पर्दाफाश किया। एसटीएफ को सूचना मिली थी कि बिजेंद्र सिंह हुड्डा अपने सहयोगी संदीप सहरावत के साथ हरियाणा में फर्जी मार्कशीट तैयार करता था। 17 मई 2025 को संदीप का सहयोगी राजेश भारी मात्रा में फर्जी मार्कशीट लेकर विश्वविद्यालय पहुंचा था, जिसके बाद एसटीएफ ने सर्च वारंट के साथ छापा मारा। छापेमारी में बिजेंद्र सिंह हुड्डा और अन्य सहयोगियों के कब्जे से बड़ी संख्या में फर्जी मार्कशीट, डिग्रियां और अन्य दस्तावेज बरामद किए गए।
डीजीसी ने घोटाले के बारे में दी जानकारी (Hapur)
जिला शासकीय अधिवक्ता गौरव नागर ने जमानत याचिका का विरोध करते हुए न्यायालय को बताया कि जांच में पता चला कि 1,372 फर्जी मार्कशीट, डिग्रियां और 262 फर्जी प्रोविजनल व माइग्रेशन सर्टिफिकेट जारी किए गए। ये दस्तावेज एलएलबी, बी फार्मा, डी फार्मा और बी टेक जैसे कोर्स के लिए थे।फर्जी मार्कशीट और डिग्रियां 50,000 रुपये से 4 लाख रुपये तक प्रति छात्र बेची जा रही थीं कुछ विद्यार्थियों का विश्वविद्यालय में पंजीकरण था, लेकिन परीक्षा विभाग में उनका कोई रिकॉर्ड नहीं था, जो अवैध सत्यापन की पुष्टि करता है। इन फर्जी दस्तावेजों के आधार पर लोग सरकारी और निजी क्षेत्रों में नौकरियां हासिल कर रहे थे, जिससे होनहार छात्रों का भविष्य खतरे में पड़ रहा था।
बिजेंद्र सिंह हुड्डा का आपराधिक इतिहास
जिला शासकीय अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि बिजेंद्र सिंह हुड्डा पहले बाइक बोट घोटाले में संजय भाटी का सहयोगी था और उसे कैश इंचार्ज बनाया गया था। उसके खिलाफ एनसीआर के विभिन्न जनपदों में 118 आपराधिक मुकदमे दर्ज हैं, और वह 5 लाख रुपये का इनामी अपराधी रह चुका है। हुड्डा संगठित अपराध का आदी है और इस रैकेट को सिंडिकेट के रूप में संचालित कर रहा था।
जमानत याचिका का विरोध
गौरव नागर ने कोर्ट में जमानत याचिका का कड़ा विरोध करते हुए तर्क दिया कि इस तरह के घोटाले से मेधावी छात्रों का भविष्य अधर में लटक रहा है। उन्होंने कहा कि फर्जी मार्कशीट और डिग्रियां देश की शिक्षा व्यवस्था और आर्थिक अखंडता को कमजोर कर रही हैं, इसलिए हुड्डा को जमानत नहीं दी जानी चाहिए।

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