Khabarwala14 Gorakhpur News: गोरखपुर और जौनपुर के बीच चल रहा यह पारिवारिक दर्द पूरे उत्तर प्रदेश में चर्चा का विषय बन गया है। एक तरफ पोते की शादी की खुशी, दूसरी तरफ मां का शव फ्रीजर में रखने की बात। फिर पिता का गुस्सा और मां की लाश को घाट किनारे दफना देना। अब 6 दिसंबर को आटे का पुतला बनाकर हिंदू रीति-रिवाज से अंतिम संस्कार होगा। यह पूरी कहानी दिल दहला देने वाली है।
कौन हैं भुआल गुप्ता और शोभा देवी? (Gorakhpur News)
भुआल गुप्ता (68 साल) और उनकी पत्नी शोभा देवी (65 साल) मूल रूप से महराजगंज के पनियरा थाना क्षेत्र के नरकटहा गांव के रहने वाले हैं। करीब 20 साल पहले ये दोनों गोरखपुर के भरोहिया गांव में अपनी ससुराल में रहने आ गए। तीन बेटे हैं – संजय, अजय और संदीप। तीनों बेटों की शादियां हो चुकी हैं और गांव में ही रहते हैं। बड़े बेटे संजय की किराना और मेडिकल की दुकान है, आलीशान मकान भी है। तीन बेटियां हैं, उनकी भी शादियां हो चुकी हैं।
क्यों चले गए थे माता-पिता वृद्धाश्रम? (Gorakhpur News)
करीब दो साल पहले घर में झगड़ा इतना बढ़ गया कि बेटों ने साफ कह दिया – “आप लोग घर पर बोझ बन गए हो। रोज उधार वाले आते हैं, हमसे नहीं रहा जाता।” वजह थी भुआल गुप्ता का गांव वालों से ज्यादा उधार लेना। उधार वसूलने लोग घर आते तो बेटों को शर्मिंदगी होती। एक दिन झगड़ा इतना बढ़ा कि भुआल और शोभा घर छोड़कर निकल गए। दोनों राजघाट जाकर सुसाइड करने वाले थे, लेकिन किसी ने रोक लिया। फिर अयोध्या, मथुरा घूमते रहे। आखिर में जौनपुर के विकास समिति वृद्धाश्रम में जगह मिली। पिछले 17 महीने से वहीं रह रहे थे।
19 नवंबर की रात मां की मौत (Gorakhpur News)
शोभा देवी को कुछ महीने पहले लकवा मार गया था। वृद्धाश्रम ने प्राइवेट हॉस्पिटल में इलाज कराया, थोड़ा आराम हुआ। लेकिन 19 नवंबर को फिर तबीयत बिगड़ी। पैरों में भयानक सूजन आ गई। वृद्धाश्रम के हेड रवि कुमार चौबे उन्हें जौनपुर के ही एक प्राइवेट हॉस्पिटल में ले गए। डॉक्टर ने जांच की तो पता चला – दोनों किडनी फेल हो चुकी हैं, इन्फेक्शन भी बहुत था। रात में ही शोभा देवी की मौत हो गई।
बेटे ने कहा – शादी है, लाश फ्रीजर में रख दो! (Gorakhpur News)
अगले दिन 20 नवंबर को भुआल गुप्ता ने छोटे बेटे संदीप को फोन किया। रवि चौबे ने भी फोन किया कि माताजी का देहांत हो गया, अंतिम संस्कार करना है। छोटा बेटा बोला – “बड़े भैया के बेटे की शादी है, अभी नहीं आ सकते। आप लाश को डीप फ्रीजर में रखवा दो। शादी के बाद 4-5 दिन में आकर अंतिम संस्कार कर लेंगे।” यह सुनकर भुआल गुप्ता टूट गए। बोले – “मेरी पत्नी को फ्रीजर में रखोगे? अब मैं गोरखपुर नहीं जाऊंगा। यहीं अंतिम संस्कार कर दूंगा।”
पिता ने शव जौनपुर से गोरखपुर लाया, बेटों ने घर में घुसने नहीं दिया (Gorakhpur News)
फिर बेटियों का फोन आया। बेटियों ने कहा – “पापा, शव गांव ले आओ, हम रिश्तेदारों के साथ अंतिम संस्कार करवा देंगे।” भुआल गुप्ता एम्बुलेंस से शव लेकर भरोहिया गांव पहुंचे। लेकिन बड़े बेटे संजय ने घर के अंदर लाश लाने से साफ मना कर दिया। कहा – “शादी का माहौल है, लाश घर में नहीं आएगी।” आखिर में रिश्तेदारों और गांव वालों ने कैंपियरगंज घाट के पास ही शव को मिट्टी में दफना दिया। भुआल गुप्ता रोते रहे – “मैं अपनी पत्नी का मुखाग्नि भी नहीं दे पाया।”
पूरे यूपी में बेटों की हो रही थी थू-थू (Gorakhpur News)
यह खबर जैसे ही बाहर आई, सोशल मीडिया से लेकर अखबारों तक में बेटों की भर्त्सना होने लगी। लोग कहने लगे – “शादी के लिए मां की लाश फ्रीजर में? इससे बड़ा पाप क्या होगा!” बेटों को समाज में मुंह दिखाना मुश्किल हो गया।
बेटों ने पापा को मनाया, माफी मांगी (Gorakhpur News)
अपमान से तंग आकर तीनों बेटों ने पापा को मनाया। घर लाए। भुआल गुप्ता ने भी बड़ा दिल दिखाया और बेटों को माफ कर दिया। वे दुखी स्वर में बोले – “मेरी नाराजगी की सजा मेरी पत्नी को भुगतनी पड़ी। हिंदू घर में जन्म हुआ, लेकिन रीति-रिवाज से अंतिम संस्कार भी नहीं हो पाया।”
अब 6 दिसंबर को होगा आटे का पुतला बनाकर दाह संस्कार (Gorakhpur News)
गांव के पंडित से राय ली गई। पंडित जी ने कहा – “एक बार दफना दिया तो शव निकालकर जलाना ठीक नहीं। अब आटे को गूंथकर शोभा देवी का पुतला बनाओ, पूरी विधि-विधान से उसका दाह संस्कार कर दो।” इसलिए 6 दिसंबर को रिश्तेदारों की मौजूदगी में आटे का पुतला बनाकर मां का अंतिम संस्कार किया जाएगा। भुआल गुप्ता बोले – “अब बस यही कर सकते हैं। पत्नी की आत्मा को शांति मिले।”
बेटे संजय ने क्या कहा? (Gorakhpur News)
बड़े बेटे संजय से जब बात की गई तो वे बोले – “पापा को हमने कभी निकाला नहीं। 17 महीने पहले रुपयों के लेन-देन के झगड़े में वो खुद नाराज होकर चले गए थे। हमने बहुत मनाया था। शादी की वजह से उस दिन अंतिम संस्कार टालना पड़ा, लेकिन हमारा इरादा गलत नहीं था। अब पापा हमारे साथ ही हैं। मां का पूरा विधि-विधान से अंतिम संस्कार करेंगे।”
वृद्धाश्रम के हेड रवि चौबे ने क्या बताया? (Gorakhpur News)
रवि चौबे ने बताया – “अंकल-आंटी हमारे पास बहुत खुश थे। छोटे बेटे से कभी-कभी फोन पर बात कर लेते थे। बड़ा बेटा कभी संपर्क नहीं करता था। आंटी की तबीयत अचानक बिगड़ी और चली गईं। हमने पूरा सहयोग किया, लेकिन परिवार की यह स्थिति देखकर बहुत दुख हुआ।”
आखिर में पिता की सिर्फ एक बात (Gorakhpur News)
भुआल गुप्ता आखिरी बार बोले – “मैं अब किसी से नाराज नहीं रहना चाहता। उम्र हो गई है। बस शांति चाहता हूं। मेरी पत्नी की आत्मा को शांति मिल जाए, बस यही दुआ है।”
यह कहानी बताती है कि रिश्तों में छोटी-छोटी गलतफहमियां कितना बड़ा दर्द दे सकती हैं। पैसों के झगड़े में मां-बाप घर छोड़कर वृद्धाश्रम चले गए और अंत में मां की लाश तक को घर में जगह नहीं मिली। अब आटे का पुतला जलाकर ही मां को विदाई दी जाएगी।
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