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आषाढ़ अमावस्या: श्रद्धालुओं ने लगाई गंगा में आस्था की डुबकी

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आषाढ़ अमावस्या: Khabarwala24News Brajghat:आषाढ़ अमावस्या पर तीर्थ नगरी ब्रजघाट में रविवार सुबह से ही श्रद्धालुओं ने गंगा में आस्था की लगाई। साथ ही उन्होंने मंदिरों में पूजा-अर्चना कर गरीबों को अन्न, वस्त्र आदि का दान किया।

रविवार को आषाढ़ अमावस्या पर तीर्थ नगरी ब्रजघाट में शनिवार देर शाम से ही श्रद्धालुओं का आना शुरू हो गया था। रविवार अलसुबह उन्होंने गंगा के जयकारों के साथ गंगा स्नान शुरू किया। साथ ही उन्होंने मंदिरों में जाकर पूजा-अर्चना के साथ ही जगह-जगह भंडारों का भी आयोजन कर पुण्यलाभ अर्जित किया। लोगों को मानना है कि गंगा स्नान करने पर उनके सभी पाप समाप्त हो जाते हैं।

क्या है आषाढ़ अमावस्या का महत्व

आषाढ़ अमावस्या के दिन पितरों की शांति के लिए किये जाने वाला तर्पण बहुत पुण्यकारी माना जाता है। आषाढ़ अमावस्या के दिन गंगा स्नान करने का भी विशेष महत्व है। इससे शरीर की शुद्धि और आत्मिक उन्नति होती है। आषाढ़ अमावस्या पर धर्मिक दान करना भी शुभ माना जाता है। विद्या दान, अन्न दान और वस्त्र दान जैसे विभिन्न प्रकार के दान आषाढ़ अमावस्या पर किए जाते हैं। आज के दिन भंडारा, प्रवचन, भजन-कीर्तन और कई धार्मिक कार्यक्रमों का भी आयोजन किया जाता है।

आषाढ़ अमावस्या: श्रद्धालुओं ने लगाई गंगा में आस्था की डुबकी

आषाढ़ अमावस्या की पूजन विधि

इस दिन स्नान के लिए पवित्र नदी,तालाब, या घाट पर जाएं और शुद्ध जल से स्नान करें। इससे मन और शरीर की शुद्धि होती है। अगर ऐसा करना आपके लिए संभव नहीं है तो घर पर ही नहाने के पानी में थोड़ा से गंगाजल मिला लें। स्नान के बाद पूजा की तैयारी करें। इसके लिए पूजा मंडप तैयार करें। दीपक, कलश, पूजा थाली, दिया, फूल, अर्क, धूप, चंदन, कपूर, सुपारी, फल, पुष्प, गुड़, घी, और नैवेद्य सामग्री एकत्रित कर लें। अपने पूजा स्थल को गंगाजल से पवित्र कर लें। इसके बाद कलश स्थापना करें। कलश में जल, फूल, सुपारी, चंदन, कपूर, नारियल, अर्क, धूप, और दीपक स्थापित करें। मंत्रों का जाप करें और देवी-देवताओं की आराधना करें। दीपक और धूप जलाएं। अपने मन में पितृदेवों के प्रति श्रद्धा और आभार व्यक्त करें और उनसे आशीर्वाद मांगें। पूजा के बाद, प्रसाद वितरित करें और खुद भी ग्रहण करें।

पितरों की आत्मा की शांति के लिए करें उपवास

इस दिन पितरों की आत्मा की शांति के लिए उपवास करना चाहिए और किसी गरीब व्यक्ति को दान-दक्षिणा देना चाहिए? पितृ दोष से मुक्ति के लिए भी यह दिन उत्तम होता है। इस दिन किए गए इन कार्यों से पितरों से सुख-समृद्धि का आशीर्वाद मिलता है।

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