CLOSE AD

Mahabharata दुर्योधन नहीं ये योद्धा था कर्ण का सबसे खास मित्र, दोनों ने कोहराम मचा दिया था महाभारत में

Join whatsapp channel Join Now
Join Telegram Group Join Now

Khabarwala 24 News New Delhi : Mahabharata महाभारत की कथा में दुर्योधन और कर्ण की मैत्री को सबसे खास बताया जाता है परंतु कर्ण की मित्रता एक अन्य योद्धा से दुर्योधन से भी ज्यादा थी। दोनों ही योद्धाओं में इतनी शक्ति थी कि वे चाहते तो कुरुक्षेत्र के युद्ध में पांडवों को हरा सकते थे परंतु ऐसा संभव नहीं हो पाया क्योंकि किसी के चाहने से क्या होता है। यदि दुर्योधन, कर्ण पर विश्वास करता तो युद्ध का परिणाम कुछ और ही होता।

Mahabharata सूर्यपुत्र कर्ण और द्रोण पुत्र अश्‍वत्‍थामा में गहरी मित्रता थी। वे दोनों साथ साथ आखेट करते थे और कई मामलों में वे साथ ही रहते थे। कर्ण के पास जहां जहां दिव्य कवच और कुंडल था, वहीं अश्वत्थामा के माथे पर वह दिव्य मणि थी जो उसे अजर अमर और अपराजेय बनाती थी।

कर्ण और अश्वत्थामा में गहरी मित्रता (Mahabharata)

महाभारत के युद्ध में अश्‍वत्‍थामा ने ही एक बार कर्ण को बचाया था। एक बार अश्वत्थामा की रक्षा के लिए भी कर्ण ने अपना खास हथियार चलाया था। अश्वत्थामा गुरु द्रोणाचार्य के पुत्र थे और कर्ण उनसे धनुष सिखना चाहता था लेकिन द्रोणाचार्य ने यह कहते हुए इनकार कर दिया था कि मैं सिर्फ राजपुत्रों को ही विद्या सिखाने के प्रति प्रतिबद्ध हूं। इस प्रसंग के बाद भी कर्ण और अश्वत्थामा में गहरी मित्रता थी।

परशुराम को ज्ञात हर हथियार सीखा (Mahabharata)

कर्ण ने भगवान परशुराम को ज्ञात हर हथियार सीखा था और इसलिए उसके पास अश्वत्थामा से ज़्यादा दिव्य हथियार थे। हालांकि दोनों को ही ब्रह्मास्त्र चलाते याद था। पांचों पांडवों में ताकत नहीं थी कि जो अश्वत्थामा और कर्ण हो हरा सके। कर्ण ने कुश्ती में जरासंध को हरा दिया था। कर्ण ने अपने धनुष की नोक से 10000 हाथियों वाले भीम को कुरुक्षेत्र में घसीटा था। उसने माता कुंती को वचन दिया था कि वह अर्जुन को छोड़कर किसी को नहीं मारेगा।

अश्वत्थामा-द्रोण को एक वार से हराया (Mahabharata)

श्रीकृष्ण ने स्वयं दो बार उल्लेख किया है कि घटोत्कच के अलावा कोई भी इतना शक्तिशाली नहीं था कि वह रात में कर्ण का सामना कर सके, अश्वत्थामा ने एक बार घटोत्कच को हराया था लेकिन जब घटोत्कच अपने सर्वश्रेष्ठ पर था और माया शुरू कर दी थी, तो अश्वत्थामा और द्रोण को केवल एक वार से हरा दिया था। बाद में दुर्योधन ने घबराकर कर्ण से घटोत्कच पर अपना अमोघ अस्त्र चलाने को कहा।

तो युद्ध का परिणाम कुछ और होता (Mahabharata)

इंद्र से प्राप्त कर्ण ने उस अचूक अस्त्र को अर्जुन के लिए बचाकर रखा था जिसे वह एक बार ही इस्तेमाल कर सकता था। लेकिन घटोत्कच ने त्राही मचा रखी थी तब कर्ण को मजबूरन उस पर यह अस्त्र चलाना पड़ा था। दुर्योधन ने अश्वत्थामा को सबसे आखिरी में सेनापति बनाया था यदि वह पहले ही या भीष्म पितामह के बाद सेनापति बना देता तो युद्ध का परिणाम कुछ और होता। युद्ध खत्म होने के बाद भी अश्वत्थामा बचा रह गया था।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

Related Post

Breaking News