Khabarwala 24 News Hapur: Railway News अब नौचंदी एक्सप्रेस में महाकुंभ से पहले एलएचबी कोच लगाए जाएंगे। इससे यात्रियों की यात्रा बेहद आसान हो जाएगी। अमृत भारत योजना के तहत हापुड़ रेलवे स्टेशन का प्लेटफार्म संख्या एक को ऊंचा किया जा रहा है। ट्रेनों के कोच की संरचना में हो रहे बदलाव के कारण प्लेटफार्म एक फिट ऊंचा किया जा रहा है। इससे यात्रियों को एलएचबी कोचों में चढ़ने उतरने में परेशानी का सामना नहीं करना पड़ेगा।
25 जोड़ी से अधिक ट्रेन का है ठहराव (Railway News)
हापुड़ रेलवे स्टेशन को अमृत भारत स्टेशन योजना में शामिल किया गया है। यहां प्रतिदिन 25 जोड़ी से अधिक साप्ताहिक, एक्सप्रेस, पैसेंजर ट्रेनों का ठहराव होता है। इस योजना के तहत स्टेशन पर जीर्णोद्वार का कार्य तेजी से चल रहा है। इस कार्य के पूरा होने के बाद रेल यात्रियों को रेलवे स्टेशन पर आधुनिक सुविधा मिल सकेंगी।
जीर्णोद्वार का प्लेट फार्म पर चल रहा जीर्णोद्वार कार्य (Railway News)
प्लेटफार्म संख्या एक पर इस योजना के तहत कार्य चल रहा है। इसके साथ ही प्लेटफार्म को एक फिट ऊंचा उठाया जा रहा है। इससे ट्रेनों में एलएचबी कोच शामिल किए जाने से यात्रियों को ट्रेन से उतरने और चढ़ने में परेशानी नहीं होगी।
नौचंदी के यात्री जल्द करेंगे एलएचबी कोच में सफर (Railway News)
नौचंदी एक्सप्रेस पश्चिमी उत्तर प्रदेश की महत्वपूर्ण ट्रेनों में से एक है। यह ट्रेन पुरानी आईसीएफ कोच के सहारे चल रही है। कुछ कोच एेसे हैं दो दशक पुराने हैं। पुराने कोच होने के कारण ट्रेन की रफ्तार अधिकतम 110 किलोमीटर की रफ्तार से ही चलाया जा सकता है। इसी कारण से रेलवे प्रशासन ने इस ट्रेन को एलएचबी रैक से लैस करने की तैयारी शुरू कर दी है। प्रयागराज महाकुंभ से ट्रेन में यह नए कोच लगाए जाने की तैयारी है।
एलएचबी रैक की क्या हैं खूबियां (Railway News)
रेलवे अधिकारियों के अनुसार एलएचबी रैक वाली ट्रेनें 160 से 180 किमी की गति से दौड़ सकती हैं। यह कोच आईसीएफ कोच के मुकाबले हल्के होते हैं। एलएचबी कोच की लंबाई 23.54 मीटर एवं आईसीएफ कोच की लंबाई 21.7 मीटर होती है। आईसीएफ के मुकाबले एलएचबी कोच की खिड़कियां बड़ी और चौड़ी होती हैं। एलएचबी कोच 60 डेसिबल तक की आवाज करते हैं। इससे एसी कोच में कम आवाज रहती है। अगर आईसीएफ कोच की बात की जाए तो इसमें 100 डेसिबल तक यह आवाज करते हैं। एलएचबी कोच की कपलिंग सीबीसी टाइप यानी सेंटर बफर कपलर वाली होती है। यानि हादसे के समय यह कोच एक दूसरे के ऊपर चढ़ते नहीं है। जबकि आईसीएफ कोच दुर्घटना के समय कपलिंग टूटने की वजह से एक दूसरे के ऊपर चढ़ने के साथ एक दूसरे घुस जाते हैं