Monday, April 21, 2025

Kumbh Mela भारत का कौन सा वो राजा था जो हर 5 साल में प्रयागराज के कुंभ में अपनी संपति करता था दान

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Khabarwala 24 News New Delhi: Kumbh Mela प्रयागराज में महाकुंभ चल रहा है और देश-विदेश से आए साधु-संत, संन्यासी और श्रद्धालु पवित्र त्रिवेणी संगम पर आस्था की डुबकी लगा रहे हैं। वहीं कुछ लोग कल्पवास भी कर रहे हैं. कुंभ दान-पुण्य, मोक्ष प्राप्ति और पापों से मुक्ति का श्रेष्ठ अवसर होता है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि आज जिस आयोजन को दुनिया का सबसे विशाल धार्मिक आयोजन कहा जाता है उसकी शुरुआत आखिर किसने की थी।

वेद-पुराणों में भी है कुंभ का जिक्र (Kumbh Mela)

कुंभ का जिक्र वैसे तो वेद-पुराणों में भी वर्णित है। लेकिन मेले के रूप में कुंभ के आयोजन की शुरुआत राजा हर्षवर्धन के द्वारा मानी जाती है। इतिहासकारों की माने तो 16 वर्ष की आयु में राजा बने हर्षवर्धन ने कुंभ मेले की शुरुआत कराई थी। इतना ही नहीं वे हर साल में कुंभ में अपनी सारी संपत्ति दान कर दिया करते थे और तब तक दान करते थे जब तक उनके पास का सब कुछ समाप्त न हो जाए। इन सभी बातों का जिक्र इतिहासकार केसी श्रीवास्तव ( ने अपनी किताब च्प्राचीन भारत का इतिहास में किया है।

बता दें कि हर्षवर्धन (590-647) प्राचीन भारत के सम्राट थे। उन्होंने उत्तरी भारत के कई इलाकों में सुदृढ़ साम्राज्य स्थापित किया और पंजाब छोड़कर समस्त उत्तरी भारत पर राज्य किया। हर्षवर्धन को भारत का आखिरी महान सम्राट कहा जाता है जिन्होंने कन्नौज को राजधानी बनाकर पूरे उत्तर-भारत को एक सूत्र में बांधने में सफलता हासिल की।

ऐसे दान करे थे सम्राट हर्षवर्धन (Kumbh Mela)

कहा जाता है कि प्रयागराज में राजा हर्षवर्धन ने खूब दान दिए। दान देने से पहले वे भगवान सूर्य, शिव और बुध की उपासना करते थे। इसके बाद ब्राह्मण, आचार्य, दीन, बौद्ध भिक्षु को दान देते थे। दान देने के क्रम में वो अपना पूरा राजकोष खाली कर देते थे। यहां तक कि अपने राजसी वस्त्रों को भी दान कर देते थे। कुछ जगहों पर ऐसा बताया जाता है कि, हर्षवर्धन संपत्ति को चार भागों में बांटकर दान करते थे, जोकि शाही परिवार, सेना/प्रशासन, धार्मिक निधि और गरीबों के लिए होते थे।

कुंभ का सबसे पहला लिखित वर्णन (Kumbh Mela)

वेद-पुराणों में कुंभ का वर्णन मिलता है। इसके अनुसार जिन स्थानों पर सागर मंथन के दौरान निकले अमृत कलश की बूंदे गिरी थी, वहीं कुंभ का आयोजन होता है। वहीं इतिहासकारों द्वारा इतिहास में दर्ज कुंभ मेले के पुराने लिखित साक्ष्यों के अनुसार, इसका इतिहास 2000 साल पुराना माना जाता है। कुंभ का जिक्र चीनी यात्री ह्वेन त्सांग ने राजा हर्षवर्धन के समय यानि छठी शताब्दी ईसवी में बताया है। ह्वेनसांग या ह्वेन त्सांग ने कन्नौज में आयोजित भव्य सभा का उल्लेख किया है, जिसमें हजारों भिक्षु हिस्सा लेते थे और हर पांच साल में महामोक्ष हरिषद नाम के धार्मिक उत्सव का आयोजन करते थे।

Disclaimer : यहां दी गई जानकारी ज्योतिष मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। ्Khabarwala 24 News इसकी पुष्टि नहीं करता है। किसी भी उपाय को करने से पहले संबंधित विषय के एक्सपर्ट से सलाह अवश्य लें।

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