Thursday, March 20, 2025

Holi 2025 Purnea Bihar पहली बार कहां हुआ था बुराई का प्रतीक होलिका दहन, सतयुग से है इस जगह का संबंध, समूचे देश में रंगों की होली का दुगना उत्साह

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Khabarwala 24 News New Delhi : Holi 2025 Purnea Bihar गुरुवार को समूचे देश में पूरे विधि विधान के साथ बुराई की प्रतीक होलिका का दहन होगा लेकिन क्या आप जानते हैं कि पहली बार होलिका दहन कब और कहां हुआ? यदि नहीं तो वो जगह है बिहार का पूर्णिया। यहां आज भी वो स्थान मौजूद है, जहां भक्तराज प्रहलाद के आह्वान पर भगवान नरसिंह प्रकट हुए थे। यही वो स्थान है जहां प्रहलाद की बुआ होलिका का दहन हुआ था। वहीं दूसरी तरफ देश ही नहीं, दुनिया भर में होली का जश्न शुरू हो गया है। इस दौरान भगवान नारायण की पूजा होगी। इसी के साथ रंगों की होली का दौर शुरू हो जाएगा।

भक्त राज प्रहलाद बचे सुरक्षित (Holi 2025 Purnea Bihar)

यह प्रसंग श्रीमद भागवत और स्कंद पुराण में मिलता है। श्रीमद भागवत में भगवान के अवतार वाले प्रसंग में कथा आती है कि असुर राज हिरण्यकश्यपु ने अपने बेटे भक्त राज प्रहलाद को भगवान नारायण से बैर रखने के लिए खूब समझाया, लेकिन प्रहलाद ने इसे स्वीकार नहीं किया। परेशान होकर हिरण्यकश्यपु ने अपनी बहन होलिका की गोद में बैठाकर चिता में आग लगा दी लेकिन ऐसा नहीं हुआ। चिता की आग में खुद होलिका जल गई और भक्तराज सुरक्षित बच गए।

अवतरित हुए भगवान नारायण (Holi 2025 Purnea Bihar)

तभी से प्रतिवर्ष बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक के तौर पर देश भर में होलिका दहन की परंपरा चल पड़ी। जिस स्थान पर होलिका की चिता जली थी। वह स्थान बिहार में पूर्णिया के बनमनखी प्रखंड के सिकलीगढ़ में है। यही वह स्थान भी है जहां प्रहलाद के आह्वान पर भगवान नारायण नरसिंह के रूप में अवतरित हुए और हिरण्यकश्यप का वध किया था। जिस खंभे से भगवान नरसिंग प्रकट हुए। उस खंभे का अवशेष आज भी यहां मौजूद हैं।

निश्चित कोण पर झुका खंभा (Holi 2025 Purnea Bihar)

यहां पर हिरण्यकश्यपु के महल का अवशेष भी है। होली के मौके पर यहां हर साल राजकीय समारोह होता है और विशाल होलिका दहन का कार्यक्रम किया जाता है। इस मौके पर कई तरह के रंगारंग कार्यक्रम भी यहां आयोजित किए जाते हैं। यहां पर एक निश्चित कोण पर झुका हुआ खंभा है। स्तंभ का अधिकांश भाग जमीन के अंदर घुसा है और इसकी लंबाई तकरीबन 1411 इंच है। खुदाई में पुरातात्विक महत्व के सिक्के प्राप्त हुए थे। इसके बाद से ही आस-पास खुदाई पर रोक लगा रखी है।

1911 में गजेटियर में उल्लेख (Holi 2025 Purnea Bihar)

यहां मौजूद उस खंभे की अवशेष की चर्चा ब्रिटेन से प्रकाशित पत्र क्विक पेजेज द फ्रेंडशिप इनसाक्लोपिडिया में भी हुई। इसके अलावा 1911 में प्रकाशित गजेटियर में इसका उल्लेख मिलता है। इसमें इसे मणिक खंभ कहा गया है। पूर्णिया जिला मुख्यालय से करीब 32 किलोमीटर की दूर एनएच 107 के किनारे बनमनखी अनुमंडल के धरहरा स्थित सिकलीगढ़ में मौजूद नरसिंह भगवान की अवतार स्थली है।

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