Khabarwala 24 News Hapur : Hapur आओ पढ़े सोयायटी के तत्वावधान में रविवार को बुलंदशहर रोड स्थित आवास विकास कालोनी में मातृ दिवस पर काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया। इसमें कवियों ने अपनी रचनाएं पढकऱ मां का ममता, त्याग का गुणगान किया।

शूल भरे टूटे रास्ते पर मखमल बन जाती है मां… (Hapur)
काव्य गोष्ठी का आगाज गुलजार काजमी ने हमद पढकऱ व कमलेश रानी ने सरस्वती वंदना पढकऱ किया। संचालन करते हुए मुशर्रफ चौधरी ने कहा कि सुनो मुझ पर नफरते असर नहीं करती, क्योंकि मैं मोहब्बत मिजाज औरत हूं। कमलेश रानी ने पढ़ा कि जीवन की मजधार में नौका बन जाती है मां, शूल भरे टूटे रास्ते पर मखमल बन जाती है मां।
मेरे वजूद को धोती थी पाक करती थी… (Hapur)
फराज चौधरी ने पढ़ा कि अल्लाह हमें पैदा करने के पैसे लेता हम में से कौन कौन फिर पैदा होता, मां न होती तो सौदा होता फिर कहां मैं पैदा होता। फसीह चौधरी ने पढ़ा कि वो एक मां जो मोहब्बत की बारिशें लेकर, मेरे वजूद को धोती थी पाक करती थी। नीलोफर नूर ने पढ़ा क्या मौसम था हां सावन था जब तुम मुझसे बिछड़े थे, क्या गलती थी क्या कारण था जब तुम मुझसे बिछड़े थे।
फिर मां की ऊंगली पकडकऱ हम यूं… (Hapur)
निष्ठा जैन ने पढ़ा कि रास्ता कठिन हुआ राहें अंजान हो गई, फिर मां की ऊंगली पकडकऱ हम यूं चले कि मंजिले हैरान हो गई। इसके साथ ही इंदु मित्तल, डॉ.राकेश अग्रवाल, गुलजार काजमी ने भी अपनी रचनाएं पढकऱ मां के महत्व पर प्रकाश डाला।
ये रहे मौजूद (Hapur)
इस मौके पर रियाज खान, नदीम, हसन अहमद, नदीम, सुबहान, कबीर चौधरी, हमजा, यावर, विजय कुमार जैन आदि मौजूद रहे।