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Gram Chikitsalaya Review : पंचायत का लाइट वर्जन है ये सीरीज और यही इसकी खासियत भी है और कमी भी

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Khabarwala 24 News New Delhi: Gram Chikitsalaya Review ये सीरीज अच्छी है, कहानी अच्छी है, किरदार अच्छे हैं, एक्टर अच्छे हैं, लेकिन इस सीरीज को देखते हुए बार बार ये महसूस होता है कि ये पंचायत जैसी है। वही फील देने की कोशिश की गई या वही सेटअप वही बोली, जिस भेड़चाल में अब तक बॉलीवुड वाले फंसे थे उसी में अब ओटीटी भी फंसता जा रहा है और TVF से खासकर ऐसे उम्मीद नहीं होती कि वो एक ही तरह के फील का कंटेंट बनाएंगे।

सीरिज की क्या है कहानी-

ये कहानी एक डॉक्टर की है जो ग्राम चिकित्सालय आता है। यहां लोग इलाज के लिए नहीं आते। यहां का स्टाफ तक यहां नहीं आता. लोग एक झोला छाप डॉक्टर के पास जाकर खुश हैं। अब यहां के हालात को कैसे ठीक किया जाए। क्या कुछ राजनीति होती है गांव में, क्या करता है ये डॉक्टर, यही इस सीरीज में दिखाया गया है।

कैसी है सीरीज-

इस सीरीज को देखते हुए आपको बार बार लगता है कि ये सब तो देख हुआ है। डॉक्टर साहब आपको पंचायत के सचिव की लगते हैं। उनका कंपाउंडर पंचायत का बनराकस लगता है। वही चाय पीने वाली बात, वही देसी बोली, सब कुछ काफी लगता है।पंचायत से पहले ये सीरीज देखी होती तो शानदार लगती। अब बस ठीक ठाक लगती है। पांच एपिसोड हैं और आखिरी का एपिसोड थोड़ा भटका हुआ लगता है। कहानी कहां से कहां पहुंच जाती है। ये सीरीज देखने में बुराई नहीं है, साफ सुथरी सीरीज है। परिवार के साथ देख सकते हैं लेकिन लगेगा ये पंचायत का सस्ता वर्जन।

शानदार एक्टिंग –

इस सीरीज के हर किरदार ने कमाल काम किया है। डॉक्टर के किरदार में अमोल पराशर कमाल लगे हैं। उन्होंने इस किरदार को गजब पकड़ा है। अब पंचायत के सचिव जी जैसा लगता अच्छा है या बुरा ये आप तय कीजिए। आकांक्षा रंजन कपूर एक दिन नॉन ग्लैमरस रोल में हैं। उन्हें देखकर आप पहचान नहीं पाएंगे, लेकिन उन्हें सीन तो देने चाहिए थे। उनके किरदार को ठीक से उभरने तक नहीं दिया गया। विनय पाठक झोला छाप डॉक्टर के रोल में जमे हैं। आनंदेश्वर द्विवेदी गजब काम कर गए हैं, वो सीरीज में अलग से चमकते हैं, बाकी सारे एक्टर बढ़िया हैं।

डायरेक्शन और राइटिंग –

खुद TVF के फाउंडर अरुणाभ कुमार की ये कहानी है। उन्होंने पंचायत के डायरेक्टर दीपक कुमार मिश्रा, श्रेय श्रीवास्तव और वैभव सुमन के साथ मिलकर इसे लिखा है। राहुल पांडे ने इसे डायरेक्ट किया है। दिक्कत ये है कि TVF अब अपने कंटेंट से इतनी लंबी लकीर खींच चुका है कि उनसे उम्मीदें काफी हैं और यहां मामला पंचायत जैसा हो गया है। इसे बचना होगा, अलग कंटेंट बनाना होगा, पंचायत की कामयाबी इस सीरीज की कमजोरी बन गई है। कुल मिलाकर ये सीरीज देख सकते हैं अगर आपको पंचायत के फील वाली सीरीज पसंद हो।

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