Khabarwala 24 News New Delhi : Grahan 2025 Date ग्रहण को खगोल की सबसे अद्भुत घटना माना जाता है। ग्रहण का असर भौतिक जगत पर पड़ता है। साल 2025 में सूर्य और चंद्र को मिलाकर कुल 4 ग्रहण लगेंगे। इसमें दो सूर्य ग्रहण और दो चंद्र ग्रहण होंगे।
साल के पहले ग्रहण की शुरुआत होली यानी 14 मार्च से होगी और हालांकि, यह ग्रहण पूर्ण नहीं, बल्कि आंशिक होगा। ज्योतिषविदों की मानें तो होली को पूर्ण चंद्र ग्रहण लगेगा। यह ग्रहण भारत में नजर नहीं आएंगा इसलिए इनका सूतक काल भी मान्य नहीं होगा। बात करें, अगले ग्रहण की तो होली के ठीक 15 दिन बाद चैत्र अमावस्या पर यह सूर्य ग्रहण के रूप में होगा यानि वर्ष 2025 का पहला सूर्य ग्रहण 29 मार्च को लगेगा। इसका प्रभाव भी भारत में नहीं दिखेगा। 21 सितंबर को 2025 को अंतिम ग्रहण लगेगा।
होली पर चंद्रग्रहण समय (Grahan 2025 Date)
ज्योतिषाचार्य बताते हैं कि होली पर साल का पहला चंद्रग्रहण होगा। इस पूर्ण चंद्र ग्रहण की शुरुआत 14 मार्च 2025 को प्रातः 10 बजकर 39 मिनट 3 सेकेंड पर होगी और ग्रहण 2 बजकर 18 मिनट 2 सेकेंड पर खत्म होगा। साल का दूसरा सूर्य ग्रहण 29 मार्च 2025 को लगेगा। यह एक आंशिक सूर्यग्रहण होगा, जो भारत में नहीं दिखेगा। यह आंशिक सूर्य ग्रहण दोपहर 2 बजकर 21 मिनट पर शुरू होगा और शाम 6 बजकर 14 मिनट पर समाप्त होगा।
होली उपरांत बचे ग्रहण (Grahan 2025 Date)
इसके बाद 7-8 सितंबर 2025 को चंद्र ग्रहण होगा। यह पूर्ण चंद्र ग्रहण 9 बजकर 56 मिनट 8 सेकेंड पर शुरू होगा और मध्य रात्रि एक बजकर 26 मिनट 8 सेकेंड पर समाप्त होगा। साल 2025 का चौथा और आखिरी आंशिक सूर्य ग्रहण 21-22 सितंबर के बीच लगेगा। यह सूर्य ग्रहण 21 सितंबर 2025 को रात 10 बजकर 59 मिनट 8 सेकेंड पर लगेगा और तड़के 3 बजकर 23 मिनट पर समाप्त होगा।
क्यों लगता सूर्य ग्रहण (Grahan 2025 Date)
सूर्य ग्रहण उस स्थिति में होता है, जब चंद्रमा सूर्य और पृथ्वी के बीच से गुजरता है। ऐसी स्थिति होने पर सूर्य का प्रकाश पृथ्वी तक पहुंच पाना मुश्किल हो जाता है। ऐसा होने से चंद्रमा की छाया पृथ्वी पर पड़ने लगती है और सूरज का कुछ ही हिस्सा दिखाई देता है। हालांकि, सूर्य ग्रहण तीन प्रकार के होते हैं। आंशिक, वलयाकार और पूर्ण सूर्य ग्रहण।
क्यों लगता चंद्र ग्रहण (Grahan 2025 Date)
सूर्य ग्रहण और चंद्र ग्रहण दोनों ही एक खगोलीय घटना है। चंद्र ग्रहण तब होता है जब पृथ्वी सूर्य के चारों ओर घूमती है और चंद्रमा पृथ्वी का चक्कर लगाता है। इस प्रक्रिया में एक ऐसा भी समय आता है जब चंद्रमा पृथ्वी और सूर्य एक ही सीध में आ जाते हैं। इस स्थिति में सूर्य का प्रकाश पृथ्वी पर पड़ता है, लेकिन चंद्रमा तक नहीं पहुंच पाता। इसी घटना को चंद्रग्रहण कहा जाता है।
Disclaimer : यहां दी गई जानकारी ज्योतिष मान्यताओं पर आधारित है तथा केवल सूचना के लिए दी जा रही है। ्Khabarwala 24 News इसकी पुष्टि नहीं करता है। किसी भी उपाय को करने से पहले संबंधित विषय के एक्सपर्ट से सलाह अवश्य लें।