Khabarwala 24 News New Delhi : Give Life to Cows दुनिया कोई छोटी नहीं है। किसी कोने में कुछ चल रहा होता है तो किसी दूसरे कोने में कुछ और। एक जगह पर बैठे हुए लोग ये भी समझ नहीं पाते हैं कि दुनिया की ही किसी और जगह पर कुछ अलग कल्चर हो सकता है। आज हम आपको कुछ ऐसे ही लोगों के बारे में बताएंगे, जिनकी एक ऐसी खासियत है, जो भारत की संस्कृति से काफी मिलती-जुलती है। इनकी सबसे बड़ी विशेषता ये है कि ये अपने मवेशियों को ही अपना सबकुछ मानते हैं। इनकी पूरी ज़िंदगी मवेशियों के ही इर्द-गिर्द घूमती रहती है। चूंकि इनकी आय का प्रमुख स्रोत यही हैं, ऐसे में ये उन्हें हर वो सुविधा देते हैं, जो इनके हाथ में है। आप इस बात का अंदाज़ा इसी से लगा सकते हैं कि वे मशीनगन लेकर गाय-बैलों की सुरक्षा करते हैं।
यूरिक एसिड से बाल रंगते हैं (Give Life to Cows)
अफ्रीका के दक्षिण सूडान में रहने वाले एक जनजातीय समूह मुंडारी के लिए गाय सिर्फ पशु नहीं बल्कि उनकी प्रतिष्ठा का सवाल है। क्या मज़ाल है कि कोई उनकी गाय के साथ कुछ बुरा कर दे। जब गायें सोती हैं तो यह आदिवासी लोग मशीन गन लेकर पहरा देते हैं। वे उनके गोमूत्र से ही अपना सिर धोते हैं और इसमें मौजूद यूरिक एसिड से उनके बाल रंग जाते हैं।
गोबर से साफ करते हैं दांत (Give Life to Cows)
गाय के गोबर से वो दांत साफ करते हैं और इसे पाउडर के तौर पर भी इस्तेमाल करते हैं। मुंडारी जनजाति के इन लोगों के लिए गाय उनके परिवार की तरह हैं और वे इनसे ज़रा भी दूर नहीं रहना चाहते। इन्हें इतना खिलाया-पिलाया जाता है और इनकी सेवा की जाती है कि गायों की ऊंचाई 8-8 फीट तक होती है। शादियों में ब्राइड प्राइस के तौर पर इन्हीं पशुओं को दिया जाता है।
पशु ‘धन’ होते हैं इनके मवेशी (Give Life to Cows)
भारी- भरकम गाय-बैलों की कीमत औसत $500 यानि करीब 42 हज़ार रुपये में लगती है। यही वजह है कि इन्हें मारा नहीं जाता बल्कि दहेज या गिफ्ट के तौर पर दिया जाता है। मुंडारी लोग अपने मवेशियों की दिन में दो बार मालिश भी करते हैं और अपने पसंदीदा पशु के साथ सो भी जाते हैं। ये उनका स्टेटस सिंबल होते हैं। वे इसके गोबर और गोमूत्र को एंटीबायोटिक से लेकर मच्छरों से सुरक्षा के लिए भी इस्तेमाल करते हैं।