Khabarwala 24 News New Delhi : Congress Mission-135 एक ओर बीजेपी इस बार बीते चुनाव में मिली सीटों से ज्यादा सीटों पर जीत का दावा कर रही है। वहीं, कांग्रेस का फोकस ज्यादा से ज्यादा सीटों पर कब्जा करना है। इसके लिए पूरी ताकत झोंक रखी है। इस चुनाव में कांग्रेस का वॉर रूम बहुत अहम भूमिका निभा रहा है। इस पर कांग्रेस नेतृत्व की रैलियों, प्रेस कांफ्रेंस, अखबारों की सुर्खियों, डिजिटल प्रचार-प्रसार, सोशल मीडिया और सर्वे जैसे पार्टी के तमाम कामों का भार है। बता दें कि लोकसभा चुनाव के लिए सात में से चार चरणों की वोटिंग हो चुकी है। तीन चरणों में वोटिंग अभी होनी है। इन सबमें सबसे महत्त्वपूर्ण हैं 130 लोकसभा की सीटें, जिनको कांग्रेस प्राथमिकता पर रखा हुआ है। इन पर कांग्रेस ने तमाम संसाधन झोंक रखे हैं। पार्टी को उम्मीद है कि 326 लोकसभा सीटों में से ए कैटेगरी की 135 सीटे ऐसी हैं, जिन्हें वो आसानी से जीत सकती है। इन सीटों पर जातिगत समीकरण, उम्मीदवार, आरक्षण और संविधान जैसे मुद्दे प्रभावी साबित हो रहे हैं।
जानकारी देता है वॉर रूम (Congress Mission-135)
वॉर रूम समय-समय पर सर्वे करता है। इसके बाद कांग्रेस नेतृत्व और उम्मीदवार को इसकी जानकारी दी जाती है। वॉर रूम में एक टीम है जो पूरा सोशल मीडिया का काम संभालती है। दूसरी टीम अखबारों में छपी खबरों की जानकारी इकट्ठा करके विस्तृत रिपोर्ट तैयार करती है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी, महासचिव प्रियंका गांधी या फिर सचिव पायलट की रैली की मांग करने वाले उम्मीदवारों की जानकारी वॉर रूम नेतृत्व को देता है। सुनील कोनूगोलू के सर्वे में उस सीट की समीक्षा के बाद कार्यक्रम तय होता है। सोशल मीडिया की टीम कांग्रेस के प्रचार-प्रसार के लिए बने वीडियो बड़े नेताओं को भेजती है ताकि वो उन वीडियो को सोशल मीडिया हैंडल पर डाल सकें।
एक टीम लेती है ये फैसले (Congress Mission-135)
एक अन्य टीम कांग्रेस नेताओं की प्रेस कॉन्फ़्रेंस करवाने का काम करती है। किन नेताओं की प्रेस कॉन्फ्रेंस कहां होनी है? किस मुद्दे पर किस नेता को कहां भेजना है? यह सब काम भी वॉर रूम की टीम ही करती है। शुरुआत में वॉर रूम की जिम्मेदारी तमिलनाडु के नेता सेंथिल को दी गई थी। बाद में उनको तमिलनाडु से लोकसभा का उम्मीदवार बना दिया गया। इस वजह से पहले से तैयार ग्रुप सामूहिक रूप से काम संभाल रहा है।अहम बात ये है कि गांधी परिवार के जो कार्यक्रम तय किए जा रहे हैं। उसमें इस बात का ख्याल रखा जा रहा है कि वो सीटें कांग्रेस या गठबंधन जीते, जिससे बाद में इस तंज से बचा जा सके कि गांधी परिवार ने जिन सीटों पर प्रचार किया, उसमें उन्हें हार का सामना करना पड़ा।