Khabarwala 24 News New Delhi : Ceasefire Violations India-Pakistan ऑपरेशन सिंदूर के बाद युद्ध विराम के समझौता भारत के सामरिक और कूटनीतिक इतिहास में महत्वपूर्ण क्षण हैं। रणनीतिक एक्सपर्ट का कहना है कि 2025 का युद्धविराम का समझौता, जो पूरी तरह से भारत की शर्तों पर हुआ है, उसे नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार के लिए एक महत्वपूर्ण भू-राजनीतिक जीत के रूप में देखा जा रहा है।
सरकारी सूत्रों ने बताया, “युद्धविराम न केवल शत्रुता की समाप्ति का प्रतीक है, बल्कि यह भारत के रक्षा सिद्धांत में एक बड़े बदलाव को भी औपचारिक रूप देता है, जो दक्षिण एशिया की अस्थिर पावर डायनामिक में एक नई मिसाल कायम करता है. पिछले युद्ध विरामों के विपरीत, जो बड़े पैमाने पर अंतरराष्ट्रीय दबाव या समझौतों से प्रभावित थे, यह समझौता भारत की बढ़ती मुखरता और वैश्विक प्रभाव को दर्शाता है।”
सीजफायर का इतिहास (Ceasefire Violations India-Pakistan)
1949
विभाजन के बाद पहला युद्ध विराम कराची समझौते के तहत अमेरिका की भागीदारी से हुआ था। इसके परिणामस्वरूप संयुक्त राष्ट्र निगरानी समूह की स्थापना हुई। इस युद्धविराम की शर्तें काफी हद तक बाहरी शक्तियों से प्रभावित थीं।
1965
भारत-पाक युद्ध के बाद, संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव 211 ने शांति के लिए जोर दिया, जिसका समर्थन अमेरिका और सोवियत संघ दोनों ने किया। ताशकंद घोषणापत्र के तहत भारत ने पाकिस्तान के साथ सैन्य मुठभेड़ के दौरान हासिल की गई सभी रणनीतिक जीत पाकिस्तान को वापस कर दीं।
1971
निर्णायक जीत और 90,000 से ज़्यादा पाकिस्तानी सैनिकों के आत्मसमर्पण के बावजूद शिमला समझौता हुआ। ये समझौता वैश्विक दबाव में हुआ था। जीत के बावजूद ये समझौता रणनीतिक फ़ायदा नहीं दे पाया। पाकिस्तान के कब्ज़े वाले जम्मू और कश्मीर (पीओजेके) पर औपचारिक समझौता नहीं हुआ। न कोई युद्ध क्षतिपूर्ति हुई।
1987-1990
श्रीलंका में भारतीय शांति सेना (आईपीकेएफ) का अभियान पूरी तरह से सैन्य वापसी के साथ समाप्त हुआ, जिसे व्यापक रूप से रणनीतिक और मानवीय विफलता के रूप में देखा गया। इस अभियान में अंततः भारत के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की जान चली गई।
1999
अमेरिकी कूटनीतिक हस्तक्षेप के बाद कारगिल संघर्ष समाप्त हुआ। भारत के बढ़त हासिल करने के बावजूद, क्लिंटन प्रशासन द्वारा मध्यस्थता किए गए युद्ध विराम समझौते के तहत भारत ने पूर्ण सामरिक श्रेष्ठता हासिल करने से पहले ही अपने अभियान रोक दिए।
भारतीय दबदबे का एक नया युग (Ceasefire Violations India-Pakistan)
इसके विपरीत, 2025 का युद्धविराम टोन और कंटेंट दोनों में अलग है। यह भारत की दो नई साहसिक घोषणाओं की गूंज है जिसके आधार पर देश के नए राष्ट्रीय सुरक्षा सिद्धांत की आधारशिला तैयार की जाएगी।
1- आतंकवाद को फिर से परिभाषित करना
भारत अब आतंकवाद के किसी भी कृत्य को युद्ध की कार्रवाई (Act of war) मानता है। यह सिद्धांत भारत को अमेरिका और इजरायल जैसे देशों के साथ जोड़ता है और भविष्य में जीरो टॉलरेंस की नीति का संकेत देता है।
2- सिंधु जल समझौते में अपरहैंड
सीजफायर के बावजूद भारत ने सिंधु जल संधि को लेकर अपनी नीति में कोई बदलाव नहीं किया है। पाकिस्तान के साथ सिंधु जल संधि अभी भी स्थगित है। गौरतलब है कि विश्व बैंक, जिसने मूलत इस संधि की मध्यस्थता की थी, ने गारंटर की अपनी भूमिका से खुद को अलग कर लिया है – जिससे भारत की स्थिति मजबूत हो गई है।
आर्थिक मजबूती और रणनीतिक साफगोई (Ceasefire Violations India-Pakistan)
वैश्विक आर्थिक महाशक्ति के रूप में भारत के उभरने से उसका भू-राजनीतिक प्रभाव बढ़ा है। इसके विपरीत, पाकिस्तान में चल रहे आर्थिक उथल-पुथल ने मजबूत स्थिति से बातचीत करने की उसकी क्षमता को कम कर दिया है। एक वरिष्ठ भारतीय अधिकारी ने कहा, “हमने उन्हें उनकी जगह दिखा दी है।” उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि भारत का ध्यान पूरी तरह से अपने 1.4 बिलियन नागरिकों के कल्याण पर है। अंतर्राष्ट्रीय समुदाय की नजर में, 2025 के सीजफायर को न केवल एक संघर्ष की समाप्ति के रूप में याद किया जाएगा, बल्कि दक्षिण एशिया में एक नई रणनीतिक व्यवस्था की शुरुआत के रूप में भी याद किया जाएगा।