Khabarwala 24 News New Delhi : Artificial Heart ऑस्ट्रेलिया में एक शख्स को टाइटेनियम का दिल लगाया गया। इस सर्जरी के बाद अब वो दुनिया का ऐसा पहला शख्स बन गया है, जिसने आर्टिफिशयल दिल के साथ समय बिताया और अब सही सलामत अस्पताल से डिस्चार्ज कर दिया गया है। आपको ये सुनने में थोड़ा अटपटा लग रहा होगा कि आर्टिफिशियल हृदय के बल पर क्या कोई जिंदा रह सकता है? लेकिन यह बात बिल्कुल सही है।
आर्टिफिशियल दिल के साथ जीवित (Artificial Heart)
ये शख्स तीन महीने से ज्यादा समय तक इस आर्टिफिशियल दिल के साथ रहा जब तक कि उसे दान किया गया मानव हृदय की सर्जरी नहीं हुई। ऑस्ट्रेलिया के सिडनी में सेंट विंसेंट अस्पताल में उसकी सर्जरी की गई थी। फिलहाल, अभी वो रिकवरी कर रहा है। ऑस्ट्रेलियाई शख्स दुनिया भर में बायवैकोर नामक की इस डिवाइस को लेने वाले छठे व्यक्ति हैं लेकिन ये पहले ऐसे शख्स हैं जो एक महीने से ज्यादा समय तक आर्टिफिशियल दिल के साथ जीवित रहे हैं।
इस सर्जरी में होता है ज्यादा रिस्क (Artificial Heart)
ऑस्ट्रेलिया के मेलबर्न में मोनाश यूनिवर्सिटी में विक्टोरियन हार्ट इंस्टीट्यूट में कार्डियक सर्जन जूलियन स्मिथ ने बताया कि इस क्षेत्र में वाकई में एक अच्छा विकास हुआ है। सिडनी यूनिवर्सिटी में वास्कुलर सर्जन सारा एटकिन ने कहा यह अविश्वसनीय रूप से नया बदलाव है, लेकिन वो ज्यादा कुछ कहने की स्थिति में नहीं हैं। एटकिन ने कहा कि इस तरह का रिसर्च करना वाकई में काफी चुनौतीपूर्ण है क्योंकि यह बहुत महंगा है और इसमें शामिल सर्जरी में खतरा बहुत होता है।
अस्थायी उपाय के रूप में इस्तेमाल (Artificial Heart)
इस डिवाइस का इस्तेमाल हार्ट की विफलता वाले लोगों के लिए एक अस्थायी उपाय के रूप में किया जाता है। खासकर ऐसे लोग जो हार्ट ट्रांसप्लांट के लिए दूसरे के हार्ट देने का इंतजार कर रहे होते हैं। BiVACOR का आविष्कार बायोमेडिकल इंजीनियर डैनियल टिम्स ने किया था। उन्होंने इस डिवाइस के नाम पर एक कंपनी की स्थापना की। इसका कार्यालय हंटिंगटन बीच, कैलिफोर्निया और साउथपोर्ट, ऑस्ट्रेलिया में हैं।
Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है। आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें।