बर्लिन, 23 अक्टूबर (khabarwala24)। जेय सिंध मुत्ताहिदा महाज (जेएसएमएम) के अध्यक्ष शफी बुरफात ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अपील की है कि पाकिस्तान के सिंध प्रांत से अफगान शरणार्थियों के सुरक्षित पलायन और अफगानिस्तान में पुनर्वास सुनिश्चित कराने में मदद करे।
बुरफात ने दावा किया कि अफगान शरणार्थियों की भारी आमद, एक मानवीय संकट के बावजूद, सिंध प्रांत के लिए वैध “जनसांख्यिकीय और राजनीतिक चिंताएं” पैदा करती है।
जेएसएमएम नेता ने एक्स पर लिखा, “सिंध, जो पहले से ही पाकिस्तान के कृत्रिम और सैन्यीकृत ढांचे तले दबा है, लंबे समय से राजनीतिक उत्पीड़न, आर्थिक शोषण और पंजाबी-साम्राज्यवादी-प्रभुत्व वाली सत्ता द्वारा अपने राष्ट्रीय अधिकारों के हनन से पीड़ित है। अफगान शरणार्थियों का बसना केवल एक मानवीय उपाय नहीं था; यह सिंध की जनसांख्यिकीय संरचना को बदलने और मूल सिंधी राष्ट्र की राजनीतिक स्थिति को कमजोर करने की एक सोची-समझी राज्य नीति थी।”
बुरफात ने कहा कि मौजूदा चिंताओं के बावजूद, सिंधियों ने अफगान शरणार्थियों के आगमन का विरोध नहीं किया। उन्होंने कहा कि मानवीय सहानुभूति और युद्ध के साथ विस्थापन की दुखद परिस्थितियों को देखते हुए, सिंध ने इस उम्मीद के साथ उनकी उपस्थिति को सहन किया कि शरणार्थियों को पूरे पाकिस्तान में, विशेष रूप से खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में, जहां पश्तून और अफगान समुदाय समान भाषाई, जातीय और सांस्कृतिक संबंध साझा करते हैं, समान रूप से वितरित किया जाएगा।
उन्होंने आगे कहा, “हालांकि, इस अपेक्षा के विपरीत, पाकिस्तानी अधिकारियों ने जानबूझकर अफगानों को पंजाब प्रांत में बसाने से परहेज किया और इसके बजाय लगभग 80 प्रतिशत अफगान शरणार्थियों को सिंध, खासकर कराची, में बसाया।” जेएसएमएम नेता ने इसे सिंध के जनसांख्यिकीय संतुलन को कमजोर करने, “उपनिवेशीकरण” की प्रक्रिया को गहरा करने और प्रांत को राजनीतिक, सामाजिक और आर्थिक रूप से और अधिक दबाने के उद्देश्य से एक रणनीतिक कदम बताया।
बुरफात ने कहा, “हम स्पष्ट करते हैं कि सिंधी राष्ट्र अफगान परिवारों के प्रति कोई शत्रुता नहीं रखता। हमारी चिंताएं पाकिस्तानी कब्जे के तहत हमारे द्वारा झेले जा रहे संरचनात्मक उत्पीड़न और हमारे विरुद्ध अपनाई गई जनसांख्यिकीय इंजीनियरिंग नीतियों में निहित हैं। हम एक व्यवस्थित, सम्मानजनक और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर समर्थित प्रत्यावर्तन का पूर्ण समर्थन करते हैं जिससे अफगान परिवारों और सिंधी राष्ट्र दोनों को लाभ हो।”
उन्होंने आगे कहा, “इसके अलावा, हम मानते हैं कि सिंध में जन्मे और पले-बढ़े अफगान बच्चे, जिन्होंने सिंधी भाषा सीखी है और सांस्कृतिक रूप से एकीकृत हुए हैं, उनका सम्मान किया जाएगा और सिंध की मुक्ति के बाद उन्हें मानवीय एकजुटता और साझा इतिहास के प्रतीक के रूप में सिंधुदेश की राष्ट्रीयता प्रदान की जाएगी।”
सिंधी नेता ने नाटो नेतृत्व, संयुक्त राष्ट्र और सहयोगी सरकारों से अफगान शरणार्थियों की स्वदेश वापसी प्रक्रिया का समर्थन करके अपने नैतिक और राजनीतिक दायित्वों को पूरा करने का आग्रह किया।
उन्होंने कहा, “ऐसा करने से अफगान संप्रभुता मजबूत होगी, अंतर्राष्ट्रीय संबंध बेहतर होंगे और सिंधी राष्ट्र की वैध जनसांख्यिकीय चिंताओं का समाधान होगा, जो पाकिस्तान के भीतर औपनिवेशिक अधीनता और राजनीतिक हाशिए पर जी रहा है। हम आपसे सभी राष्ट्रों और लोगों के अधिकारों के प्रति जिम्मेदारी, न्याय और सम्मान के साथ कार्य करने की अपील करते हैं।”
Source : IANS
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