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Collegen of Willing यूक्रेन को समर्थन देने के लिए आपातकालीन शिखर सम्मेलन, यूरोपीय देशों ने नया सैन्य गठबंधन बनाने का किया फैसला

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Khabarwala 24 News New Delhi : Collegen of Willing ब्रिटेन के प्रधानमंत्री कीर स्टारमर द्वारा बुलाए गए आपातकालीन शिखर सम्मेलन में यूरोपीय देशों ने यूक्रेन को समर्थन देने के लिए कॉलेजन ऑफ विलिंग नामक एक नया सैन्य गठबंधन बनाने का फैसला किया।

इस बैठक के बाद रूस के लिए संकट गहरा गया है क्योंकि अब यूरोप न केवल यूक्रेन को वित्तीय और सैन्य सहायता देगा बल्कि युद्ध के बाद की सुरक्षा रणनीति में भी सीधा दखल देगा। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और जेलेंस्की विवाद के बाद यूरोपीय देशों ने यह फैसला किया है। कहा जा रहा है कि इस बहस के बाद जहां पुतिन को लाभ मिलने की बात कही जा रही थी। वहीं अब जिस तरीके से यूरोपीय देश एकजुट हो गए हैं। उससे पुतिन को झटका लगता दिख रहा है।

रूस के सामने सबसे बड़ी चुनौती (Collegen of Willing)

राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की प्राथमिकता युद्ध को बातचीत के ज़रिए समाप्त करना थी, लेकिन लंदन में हुए इस गठबंधन ने रूस के लिए समीकरण पूरी तरह बदल दिए हैं। ब्रिटेन और फ्रांस ने स्पष्ट रूप से कहा कि युद्ध खत्म होने के बाद भी यूरोपीय देश यूक्रेन में अपनी सैन्य मौजूदगी बनाए रखेंगे, जिससे रूस पर कूटनीतिक और सैन्य दबाव बढ़ेगा। फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने कहा कि युद्ध के बाद यूक्रेन की सुरक्षा सुनिश्चित करना हमारी प्राथमिकता होगी और इसके लिए यूरोपीय सैन्य तैनाती की आवश्यकता पड़ सकती है।

तीन साल में रूस के सामने संकट (Collegen of Willing)

मॉस्को शुरू से ही किसी भी विदेशी सेना की यूक्रेन में मौजूदगी को सुरक्षा के लिए खतरा मानता रहा है। राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने पहले ही चेतावनी दी थी कि कोई भी बाहरी सैन्य हस्तक्षेप यूरोप को गंभीर संघर्ष की ओर धकेल सकता है। 2022 में यूक्रेन पर आक्रमण के बाद रूस ने धीरे-धीरे यूरोपीय देशों के बीच फूट डालने की रणनीति अपनाई थी। कई यूरोपीय देश यूक्रेन को सैन्य मदद देने में हिचक रहे थे और जर्मनी व फ्रांस जैसे बड़े देश युद्ध को लंबा खींचने के पक्ष में नहीं थे, लेकिन लंदन बैठक के बाद यह स्थिति पूरी तरह बदल गई है।

अब यूक्रेन के पक्ष में यूरोप के देश (Collegen of Willing)

अब तक रूस के लिए सबसे बड़ी राहत यह थी कि अमेरिका और यूरोप के देशों के बीच यूक्रेन युद्ध पर मतभेद थे, लेकिन अब ब्रिटेन, फ्रांस, जर्मनी, पोलैंड और कनाडा जैसे देश खुलकर यूक्रेन के पक्ष में खड़े हो गए हैं। ब्रिटेन और फ्रांस ने संकेत दिया है कि युद्ध के बाद भी यूरोपीय सेना यूक्रेन में रहेगी, जिससे रूस को अपनी पश्चिमी सीमा पर स्थायी सैन्य खतरे का सामना करना पड़ेगा। कॉलेशन ऑफ विलिंग नामक यह नया गठबंधन नाटो से अलग होगा, जिससे रूस को इसे रोकने का कूटनीतिक आधार नहीं मिलेगा।

पुतिन की तुलना हिटलर से की गई (Collegen of Willing)

ब्रिटेन और फ्रांस के नेताओं ने पुतिन की तुलना हिटलर से की। अगर रूस को अभी नहीं रोका गया तो वह भविष्य में और अधिक आक्रामक हो सकता है। ब्रिटेन के प्रधानमंत्री स्टारमर ने कहा, अगर आज हम पीछे हटे तो यह इतिहास की सबसे बड़ी गलती होगी। फ्रांस और पोलैंड ने भी आक्रामक नीति अपनाने की बात कही। इस बयानबाजी से रूस-यूरोप जंग की संभावना बढ़ गई है। अगर यूरोपीय देश अपनी सेना यूक्रेन भेजते हैं और रूस इसे सीधा खतरा मानता है, तो दोनों पक्षों के बीच टकराव तय हो सकता है।

क्या अमेरिका पर्दे के पीछे है? (Collegen of Willing)

इस गठबंधन में अमेरिका आधिकारिक रूप से शामिल नहीं है, लेकिन कई विश्लेषकों का मानना है कि यह अमेरिका और ब्रिटेन की संयुक्त रणनीति हो सकती है। अमेरिका ने अभी तक इस पहल का खुला समर्थन नहीं किया है, लेकिन ब्रिटेन और फ्रांस को हरी झंडी देने का मतलब यही है कि वॉशिंगटन इसे रोकना नहीं चाहता। डोनाल्ड ट्रंप भले ही रूस से बातचीत की कोशिश कर रहे हों, लेकिन अगर यूरोप की सेनाएं यूक्रेन में जाती हैं तो अमेरिका को भी अंततः अपनी भूमिका तय करनी होगी।

नाटो के अनुच्छेद 5 का सवाल (Collegen of Willing)

इस गठबंधन का सबसे बड़ा सवाल यह है कि अगर रूस इस पर जवाबी हमला करता है, तो क्या यह नाटो का मामला बनेगा? नाटो का अनुच्छेद 5 कहता है कि किसी भी सदस्य देश पर हमला पूरे गठबंधन पर हमला माना जाएगा, लेकिन चूंकि यह नया गठबंधन नाटो से अलग बनाया गया है, इसलिए रूस पर हमला करने की स्थिति में अमेरिका और अन्य नाटो देश सीधे युद्ध में नहीं कूदेंगे। रूस की यह सबसे बड़ी चिंता होगी कि अगर वह इस गठबंधन से भिड़ता है तो अमेरिका और नाटो किस तरह से प्रतिक्रिया देंगे।

पुतिन जवाबी कदम उठाएंगे? (Collegen of Willing)

मॉस्को से अब तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन रूसी मीडिया में इस गठबंधन की तीखी आलोचना शुरू हो गई है। रूस संभवतः निम्नलिखित कदम उठा सकता है…

1. यूरोप के खिलाफ ऊर्जा प्रतिबंध

रूस यूरोप को दी जाने वाली गैस और तेल की आपूर्ति रोक सकता है, जिससे यूरोपीय अर्थव्यवस्था पर असर पड़ेगा।

2. नया सैन्य अभियान

अगर यूरोपीय सेनाएं यूक्रेन में जाती हैं, तो रूस इसे सीधा युद्ध मानकर जवाबी हमला कर सकता है।

3. चीन और अन्य सहयोगियों से मदद

रूस अपने सहयोगी देशों, खासकर चीन और ईरान से समर्थन मांग सकता है।

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