Khabarwala 24 News Lucknow: UP News उत्तर प्रदेश में 2027 के विधानसभा चुनाव से पहले भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) अपने मौजूदा विधायकों की परफॉर्मेंस और जनता के बीच छवि की गहन जांच करने जा रही है। पार्टी लगातार तीसरी बार सरकार बनाने की रणनीति पर काम कर रही है और इसके लिए टिकट वितरण में कोई चूक नहीं चाहती। सूत्रों के अनुसार, विधायकों का ऑडिट कराने की जिम्मेदारी सरकार ने कुछ निजी एजेंसियों को सौंपी है, जिन्होंने गोपनीय तरीके से काम शुरू कर दिया है।
ऑडिट की प्रक्रिया और उद्देश्य
भाजपा ने सभी 403 विधानसभा क्षेत्रों में सामाजिक और राजनीतिक समीकरणों के आधार पर सर्वे कराने का फैसला किया है। इस सर्वे के आधार पर एक विस्तृत डेटा तैयार किया जाएगा, जो यह तय करेगा कि कौन सा विधायक 2027 के चुनाव में टिकट का हकदार है। विधायकों को जनता की कसौटी पर परखने के लिए उनकी कार्यशैली, जनसमस्याओं के निस्तारण में सक्रियता और क्षेत्र में विकास कार्यों की स्थिति जैसे पहलुओं का मूल्यांकन होगा।
तीन श्रेणियों में होगा मूल्यांकन
सर्वे में विधायकों की छवि और प्रदर्शन को तीन श्रेणियों- A, B और C में बांटा जाएगा।
A श्रेणी: सर्वाधिक अंक पाने वाले विधायक, जिनकी जनता के बीच अच्छी छवि और मजबूत पकड़ होगी।
B श्रेणी: औसत प्रदर्शन वाले विधायक, जिनमें सुधार की गुंजाइश होगी।
C श्रेणी: कम अंक पाने वाले विधायक, जिनके टिकट पर संकट मंडरा सकता है।
ऑडिट के बाद तैयार डेटा को सरकार द्वारा पार्टी के शीर्ष नेतृत्व को सौंपा जाएगा, जो टिकट वितरण का अंतिम फैसला करेगा।
ऑडिट के प्रमुख बिंदु
विधायकों का मूल्यांकन निम्नलिखित मानदंडों पर किया जाएगा:
पिछले कार्यकाल का प्रदर्शन: पहली और दूसरी बार के विधायकों का कामकाज कैसा रहा।
विकास निधि का उपयोग: क्षेत्र में आवंटित धनराशि का कितना और कैसे उपयोग हुआ।
जनसमस्याओं का निस्तारण: जनता की शिकायतों को हल करने में विधायक की सक्रियता।
चुनावी मार्जिन: पिछले चुनाव में प्रतिद्वंदी से कितने कम अंतर से जीत हासिल की और इसके पीछे के कारण।
जनता में छवि: क्षेत्र की जनता विधायक को कितना प्रभावी और विश्वसनीय मानती है।
चुनाव जीतने की संभावना: 2027 में विधायक की जीत की कितनी संभावना है।
रणनीति: हैट्रिक के लिए कोई जोखिम नहीं
भाजपा और सरकार दोनों ही 2027 के चुनाव से पहले पूरी तरह तैयार होना चाहते हैं। विधायकों के कामकाज का यह ऑडिट इसलिए जरूरी है ताकि पार्टी कमजोर कड़ियों को समय रहते पहचान सके और मजबूत उम्मीदवारों को मैदान में उतार सके। इस प्रक्रिया से यह भी सुनिश्चित होगा कि जनता के बीच जिन विधायकों की स्वीकार्यता कम है, उनके स्थान पर नए चेहरों को मौका दिया जाए।