साकार होने जा रहा राम दरबार का विहंगम स्वरूप,अयोध्या राम मंदिर की पहली मंजिल पर होगा राजा राम का भव्य सिंहासन

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New Delhi (khabarwala24.com) : Ayodhya Ram Temple यूपी की धार्मिक नगरी अयोध्या में मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम को उनके भव्य सिंहासन पर विराजमान करने की तैयारी पूरी हो चुकी है। इसके साथ ही वर्षों के संघर्ष, तपस्या और समर्पण के बाद अब राम दरबार का विहंगम स्वरूप साकार होने जा रहा है।

23 मई को श्रीराम जन्मभूमि मंदिर के प्रथम तल पर भगवान राम को उनके भव्य सिंहासन पर विराजित किया जाएगा। यह दिन हर रामभक्त के लिए विशेष होगा। इस अवसर पर मंदिर के प्रथम तल पर विशेष रूप से निर्मित मूर्तियों की स्थापना की जाएगी। ये मूर्तियां भगवान श्रीराम, माता सीता, लक्ष्मण जी और हनुमान जी की होंगी।

जयपुर से अयोध्या के लिए रवाना 

यहां भरत और शत्रुघ्न की मूर्तियां बाद में स्थापित की जाएंगी। इन सभी प्रतिमाओं को जयपुर के प्रसिद्ध शिल्पकारों ने विशेष सफेद संगमरमर से गढ़ा है। मूर्तियों को हेम्मार्क फोटोग्राफिक तकनीक से इतनी बारीकी से बनाया गया है कि उनमें जीवंतता प्रतीत होती है। मूर्तियां 21 मई को जयपुर से अयोध्या के लिए रवाना होंगी और 22 मई को मंदिर परिसर में पहुंचेंगी। अगले दिन, यानी 23 मई को रामलला को विधिवत प्रथम तल पर विराजमान किया जाएगा।

गंगा दशहरा पर होगा आयोजन

इस पूरे आयोजन की सुरक्षा को लेकर प्रशासन पूरी तरह सतर्क है। मूर्तियों की यात्रा के दौरान सुरक्षा एजेंसियों द्वारा विशेष प्रबंध किए गए हैं। अयोध्या में यह आयोजन न केवल धार्मिक भावनाओं से जुड़ा है, बल्कि राष्ट्रीय गौरव का प्रतीक भी बन चुका है। इसके साथ ही 5 जून 2025 को गंगा दशहरा के पावन अवसर पर राम दरबार की प्राण प्रतिष्ठा का भव्य अनुष्ठान आयोजित किया जाएगा।

बन रहे चारों दिशाओं में द्वार 

श्री रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट ने इस आयोजन के लिए देशभर के विद्वान वैदिक आचार्यों को आमंत्रित किया है। वैदिक मंत्रोच्चारण और परंपरागत विधियों के साथ इस अनुष्ठान को संपन्न किया जाएगा। यह अवसर पूरे देश के लिए आध्यात्मिक चेतना का केंद्र बनेगा। इसी बीच मंदिर परिसर में चारों दिशाओं में चार भव्य प्रवेश द्वारों का निर्माण भी तेजी से जारी है। यह प्राचीन भारतीय वास्तुशिल्प और संस्कृति का जीवंत प्रतीक है।

Ayodhya Ram Temple में बन रहा दक्षिण दिशा का द्वार

दक्षिण दिशा का प्रवेश द्वार सबसे तेजी से बन रहा है और अब तक इसका 40 प्रतिशत कार्य पूरा हो चुका है। यह द्वार लगभग 17 मीटर ऊंचा, 30 मीटर लंबा और 11 मीटर चौड़ा होगा। इसे लाल बलुआ पत्थर से बनाया जा रहा है। पत्थर से मंदिर का गर्भगृह और प्रथम तल बना है। प्रवेश द्वारों पर गज, अश्व, सिंह और पुष्प आकृतियों की सुंदर नक्काशी की जा रही है। पश्चिम दिशा में प्रस्तावित प्रवेश द्वार की योजना भी कार्यान्वित हो रही है और शीघ्र ही उसका निर्माण कार्य भी आरंभ होगा।

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