Khabarwala 24 News Hapur: उत्तर प्रदेश के हापुड़ (Hapur) स्थित मोनाड यूनिवर्सिटी में फर्जी डिग्री घोटाले की जांच तेज हो गई है। बुधवार को विशेष कार्य बल (STF) की दो टीमों ने यूनिवर्सिटी पहुंचकर तीन घंटे तक रिकॉर्ड खंगाला और कई महत्वपूर्ण फाइलों व दस्तावेजों की छायाप्रतियां लेकर अपने साथ ले गईं। टीम को लैपटॉप, डेस्कटॉप और मोबाइल की फॉरेंसिक रिपोर्ट मिल चुकी है, जिसके आधार पर दलालों के कोड डीकोड हो गए हैं। इससे फर्जी डिग्री रैकेट में शामिल दलालों की वास्तविक पहचान संभव हो सकेगी।
क्या है पूरा मामला (Hapur)
जानकारी के अनुसार, मोनाड यूनिवर्सिटी द्वारा 5 लाख से अधिक फर्जी डिग्री और मार्कशीट की बिक्री के साक्ष्य STF को मिल चुके हैं। ये फर्जी दस्तावेज देश के करीब नौ राज्यों में बड़े स्तर पर बेचे गए, जिनमें BTech, LLB, BSc, BEd जैसे कोर्स शामिल हैं। घोटाले की कीमत करोड़ों में बताई जा रही है, और प्रत्येक डिग्री के लिए 50,000 से 4 लाख रुपये तक वसूले जाते थे। मई 2025 में STF की छापेमारी में यूनिवर्सिटी चेयरमैन विजेंद्र सिंह हुड्डा, प्रो-चांसलर नितिन कुमार सिंह समेत 10 लोगों को गिरफ्तार किया गया था। छापे में 1,372 फर्जी डिग्री, 262 प्रोविजनल और माइग्रेशन सर्टिफिकेट, 14 मोबाइल और 7 लैपटॉप जब्त हुए थे।
रजिस्टरों से दलालों की पहचान, कोड में छिपे पते (Hapur)
STF को छापेमारी के दौरान मिले रजिस्टरों में 100 से अधिक नाम, पते और लेन-देन का हिसाब दर्ज था। यूनिवर्सिटी के रिकॉर्ड में दलालों के नाम व पते कोड में लिखे मिले, जिन्हें अब डीकोड कर लिया गया है। टीम ने 24 से अधिक दलालों के पतों का सत्यापन कर लिया है। बुधवार को दोपहर में STF की दो टीमों ने भारी पुलिस बल के साथ यूनिवर्सिटी पहुंचकर अतिरिक्त रिकॉर्ड की तलाश की। टीम का नेतृत्व STF निरीक्षक घनश्याम सिंह यादव कर रहे थे। बताया गया कि उन्होंने दर्जनभर कागजातों की छायाप्रतियां कब्जे में ली है।
फॉरेंसिक रिपोर्ट से नई परतें, संगठित अपराध का केस (Hapur)
बताया जाता है कि फॉरेंसिक जांच से लैपटॉप और डेस्कटॉप में छिपे डेटा से दलालों की पहचान मजबूत हुई है। STF ने इसे संगठित अपराध का मामला माना है, और अब 2020 से पहले जारी फर्जी डिग्रियों की जांच पर फोकस है। जुलाई 2025 में खुलासा हुआ था कि यूनिवर्सिटी में एक विशेष डेस्क फर्जी डिग्रियों को वैलिडेट करने का काम करता था, जिससे 20,000 से अधिक फर्जी दस्तावेजों को वैध ठहराया गया। हापुड़ DM ने उच्च शिक्षा विभाग को यूनिवर्सिटी की मान्यता रद्द करने की सिफारिश की थी।
पिछले रिकॉर्ड: विजेंद्र सिंह का इतिहास (Hapur)
यूनिवर्सिटी चेयरमैन विजेंद्र सिंह हुड्डा पहले से ही बाइक बॉट स्कैम (15,000 करोड़ का घोटाला) में आरोपी हैं, जिसमें 118 FIR दर्ज हैं। 2022 में जमानत के बाद उन्होंने मोनाड यूनिवर्सिटी के जरिए यह रैकेट चलाया। 2021 और 2024 में भी मोनाड से जुड़े फर्जी दस्तावेज बरामद हो चुके हैं। STF अब उन लोगों की तलाश में है, जिन्होंने फर्जी डिग्रियों से नौकरियां हासिल कीं।

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