Khabarwala 24 News Hapur : Hapur यूपी के जनपद हापुड़ में पुलिस लाइन में होली के अगले दिन रंगों का अनोखा नजारा देखने को मिला। पुलिसकर्मियों ने अपनी परंपरा को निभाते हुए पूरे जोश और उल्लास के साथ होली मनाई। ड्यूटी के दौरान आम जनता की सुरक्षा में तैनात रहने वाले पुलिसकर्मियों ने एक दिन बाद अपनी बारी का इंतजार खत्म किया और जमकर रंग-गुलाल उड़ाया। इस दौरान जनपद के आला अफसर भी वहां मौजूद रहे।

वर्षों से चल रही यह परंपरा (Hapur)
जानकारी के मुताबिक, होली पर सुरक्षा और कानून-व्यवस्था बनाए रखने की जिम्मेदारी निभाने के बाद पुलिसकर्मी अगले दिन खुद के लिए यह समय निकालते हैं। यह परंपरा वर्षों से चली आ रही है, जहां पहले त्योहार की शांति बनाए रखने के लिए वे पूरी मुस्तैदी से अपनी ड्यूटी करते हैं और फिर निश्चिंत होकर रंगों के इस पर्व का आनंद लेते हैं। इस बार भी पुलिस लाइन में खास तैयारियां की गई थीं, ताकि सभी पुलिसकर्मी बिना किसी बाधा के इस खुशी को मना सकें।
एसपी को एस्कोर्ट करते पुलिस लाइन तक ले गए (Hapur)
इस खास मौके पर सभी पुलिसकर्मी जिले के कप्तान के बंगले पर पहुँचे। और ढ़ोल नगाड़ो के साथ एसपी को दो थाना प्रभारी एस्कोर्ट करते हुए बंगले से पुलिस लाईन लेकर पहुँचे।जिसके बाद पुलिस अधीक्षक कुंवर ज्ञानंजय सिंह भी शामिल हुए। उन्होंने पुलिसकर्मियों को गुलाल लगाकर होली की शुभकामनाएं दीं और उनके उत्साह में शामिल हुए। पुलिस लाइन में ढोल-नगाड़ों की धुन पर सभी अधिकारी और जवान झूमते नजर आए। इस दौरान सभी ने अपनी वर्दी और पद की औपचारिकता को भूलकर आपसी भाईचारे के साथ रंगों में सराबोर होली मनाई।

एसपी ने पुलिस कर्मियों के साथ जमकर नाचे (Hapur)
रंगों की होली के बीच जब होली के पारंपरिक गीत बजे, तो जवानों का उत्साह चरम पर पहुंच गया। इसी दौरान एसपी कुंवर ज्ञानंजय सिंह ने भी अपने जवानों का साथ दिया और होली के गीतों पर जमकर थिरके। उनके इस अंदाज ने जवानों को और उत्साहित कर दिया, और पूरा पुलिस लाइन रंगों और संगीत के सैलाब में डूब गया. इस होली मिलन कार्यक्रम में हर कोई खुशी से झूमता नजर आया. पुलिसकर्मियों के चेहरे पर जो मुस्कान थी।
जिले में शांति बनाए रखने के बाद जब उन्हें अपने ही परिवार यानी पुलिस परिवार के साथ त्योहार मनाने का मौका मिला, तो उनके हृदय उल्लास से भर उठे।इस आयोजन ने पुलिस कर्मियों को नए जोश और ऊर्जा से भर दिया. खाकी की यह होली वाकई में यादगार बन गई, जहां न रैंक का अंतर था, न ही औपचारिकता, सिर्फ खुशियों और भाईचारे का रंग था।



