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Hapur शहीदों के सम्मान में कवियों की हुंकार, कवि सम्मेलन ने बांधा समां

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Khabarwala 24 News Hapur: Hapur स्वाधीनता संग्राम शहीद स्मारक समिति के तत्वावधान में आयोजित शहीद मेला प्रदर्शनी के अंतर्गत एक भव्य कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। यह आयोजन देर रात तक चला, जिसमें श्रोताओं ने कवियों की रचनाओं का भरपूर आनंद लिया। वीर रस, हास्य रस, श्रृंगार रस और ओज की कविताओं ने समां बांध दिया।

मुख्य अतिथि क्या बोले

मुख्य अतिथि अपर पुलिस अधीक्षक विनीत भटनागर ने अपने संबोधन में कहा, “पूरा देश शहीदों का ऋणी है। स्वाधीनता संग्राम में जिन्होंने अपना सर्वोच्च बलिदान दिया, उनका सम्मान आज भी उतना ही आवश्यक है। उनके बलिदान के कारण ही हम आज आजादी की सांस ले रहे हैं।” समिति के अध्यक्ष अग्रवाल छावनी वालों ने मुख्य अतिथि को पटका पहनाकर और समिति का प्रतीक चिन्ह भेंटकर सम्मानित किया। श्री भटनागर ने सभी कवियों को प्रतीक चिह्न प्रदान कर उनका अभिनंदन किया।

कवियों की प्रस्तुतियां

कवि सम्मेलन की अध्यक्षता प्रख्यात कवि आलोक बाजन ने की। उनकी रचना “मां क्या होती है, एक दिन में पता चल जाएगा। कोई पेड़ से पत्थर बांधकर देख नौ महीना तक” ने श्रोताओं को भाव-विभोर कर दिया।

वीर रस:

“छल-छलाते आंसुओं का आपसे मलाल क्या है। पूछ तो लोग गांव जाकर अब पिता का हाल क्या।”

हास्य रस

कवि विनोद पाल ने पढ़ा कि “खुद अपने चरित्र पर ही मूंग दल रहे हो तुम। अच्छे हो तो क्यों फितरत बदल रहे हो तुम। एक लड़की तुम्हें देखकर रास्ता बदल रही है, तो यह जान लो गलत रास्ते पर चल रहे हो तुम।”

श्रृंगार रस

कवि पूजा शुक्ला ने पढ़ा कि “दिल तुम्हारा कोई राजधानी नहीं। जिंदगी जी रहे हैं पुरानी नहीं। भाल आसमान के जमी लिख रहे। हमको इतिहास रचना है कहानी नहीं।”

ओज रस

कवि विकास विजय सिंह त्यागी ने पढ़ा की “गिरे हम कभी यारों तुमने ही संभाला है। हमारी मेहनत का कमाया हर निवाला है। हमें बदनाम करने की रची थी साजिश उसने, जिसके घर में अभी तक हमारा ही उजाला है।”

ओज रस

कवि स्वदेश यादव ने पढ़ा कि “अपने मन के वो पूरे करके अरमान चले आए। लिया शहादत का बदला और वीर जवान चले आए। बैठ पाक की गोदी में जो पाक-पाक चिल्लाते हैं, इनके सीने पर भी लिखकर हिंदुस्तान चले आए।”

श्रृंगार रस

कवि मनोज वर्मा ने पढ़ा कि “जिंदगी भर रहेगा मुझको ये शीला, तू मुझे ना मिले मैं तुझे ना मिला। पूछता हूं कभी खुद से ही मैं यही, जाने कब तक चलेगा यही सिलसिला।”

यह रहे मौजूद

सभी कवियों का सोनू बंसल, मनीष मक्खन, हरिराज त्यागी, सुनील जैन, गुलशन त्यागी, उमेश उत्पल, ललित अग्रवाल और आशुतोष आजाद ने पटका पहनाकर अभिनंदन किया। समारोह में मुकुल त्यागी, फंसी चौधरी, चेतन प्रकाश अग्रवाल, वीरेंद्र बिट्टू, विशाल गुप्ता, मुशर्रफ चौधरी, लोकेश अग्रवाल, राहुल त्यागी, संजय अग्रवाल, नरेंद्र कौशिक सहित अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।

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