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आपातकाल दिवस: Hapur में भाजपा ने याद किया लोकतंत्र का काला अध्याय

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Khabarwala 24 News Hapur: Hapur भाजपा के प्रदेश महामंत्री, विधानसभा परिषद के सदस्य और पश्चिम उत्तर प्रदेश के प्रभारी सुभाष यदुवंश ने 25 जून 1975 को लगाए गए आपातकाल को भारतीय इतिहास का सबसे दुर्भाग्यपूर्ण दिन करार दिया। उन्होंने कहा, “25 जून 1975 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने लोकतंत्र का गला घोंटते हुए देश में आपातकाल की घोषणा की थी। यह भारतीय लोकतंत्र पर एक काला धब्बा है, जिसे भाजपा हर साल ‘काला दिवस’ के रूप में याद करती है।”

सत्ता को खतरे में डाल दिया (Hapur)

आपातकाल दिवस पर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) द्वारा आयोजित एक पत्रकार सम्मेलन और संगोष्ठी में सुभाष यदुवंश संबोधित कर रहे थे। उन्होंने बताया कि आपातकाल की घोषणा का प्रस्ताव इंदिरा गांधी ने रखा था, जिसे तत्कालीन राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद ने स्वीकार किया।

जुलाई से अगस्त 1975 तक इसे मंत्रिमंडल और संसद द्वारा अनुमोदित किया गया। यह निर्णय कथित तौर पर आंतरिक और बाह्य खतरों के आधार पर लिया गया था, लेकिन वास्तविक कारण इलाहाबाद उच्च न्यायालय का वह ऐतिहासिक फैसला था, जिसमें इंदिरा गांधी के 1971 के रायबरेली लोकसभा चुनाव को अवैध घोषित किया गया था। इस फैसले ने उनकी सत्ता को खतरे में डाल दिया था। इसके अलावा, देश में बढ़ती राजनीतिक अस्थिरता, भ्रष्टाचार के आरोप और जयप्रकाश नारायण जैसे विपक्षी नेताओं के नेतृत्व में व्यापक जन आंदोलन ने सरकार के खिलाफ माहौल को और गरम कर दिया था।

Hapur --
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लोकतंत्र पर सबसे बड़ा खतरा (Hapur)

आपातकाल के 21 महीनों (25 जून 1975 से 21 मार्च 1977) तक देश में लोकतांत्रिक अधिकारों का हनन हुआ। नागरिकों के मौलिक अधिकार निलंबित कर दिए गए, प्रेस पर सख्त सेंसरशिप लागू की गई, और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के वरिष्ठ व सक्रिय स्वयंसेवकों सहित हजारों राजनीतिक कार्यकर्ताओं को जेल में डाल दिया गया। विपक्षी नेताओं पर कठोर कार्रवाई की गई, और देश में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को कुचल दिया गया। सुभाष यदुवंश ने कहा कि यह आपातकाल इंदिरा गांधी की सत्ता को बनाए रखने का एक प्रयास था, जो लोकतंत्र के मूल सिद्धांतों के खिलाफ था। उन्होंने इस अवधि को “लोकतंत्र पर सबसे बड़ा खतरा” करार दिया।

लोकतंत्र की कीमत समझाता है (Hapur)

जिला अध्यक्ष नरेश तोमर ने कहा कि आपातकाल का यह काला अध्याय हमें लोकतंत्र की कीमत समझाता है। उन्होंने कहा कि आज की पीढ़ी को इस घटना से सबक लेना चाहिए, ताकि भविष्य में ऐसी परिस्थितियां दोबारा न बनें। जिला पंचायत अध्यक्ष रेखा नागर ने जोर देकर कहा कि आपातकाल ने न केवल लोकतांत्रिक संस्थानों को कमजोर किया, बल्कि आम नागरिकों के जीवन को भी प्रभावित किया। उन्होंने युवाओं से अपील की कि वे लोकतंत्र की रक्षा के लिए हमेशा सजग रहें।

सत्ता के दुरुपयोग ने लोकतंत्र को खतरे में डाल दिया (Hapur)

विधायक गढ़मुक्तेश्वर हरेंद्र तेवतिया ने कहा कि आपातकाल के दौरान विपक्षी नेताओं और कार्यकर्ताओं की गिरफ्तारी पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि जयप्रकाश नारायण जैसे नेताओं ने इंदिरा सरकार के खिलाफ जनता को एकजुट किया, जिसने अंततः 1977 में आपातकाल के खात्मे और लोकतंत्र की बहाली का मार्ग प्रशस्त किया। विधायक विजय पाल आढ़ती ने कहा कि आपातकाल ने देश के इतिहास में एक ऐसा दौर लाया, जब सत्ता के दुरुपयोग ने लोकतंत्र को खतरे में डाल दिया था।

इन्हें किया सम्मानित

लोकतंत्र सेनानी आनंद प्रकाश, अशोक कुमार, सुरेश चंद जैन, ऋषि राम शर्मा, रामनाथ त्यागी , प्रेम नारायण सिंघल, सुरेश चंद्र गुप्ता, इंदु सिंघल, बीना रानी, अशोक कुमार शर्मा आदि को सम्मानित किया गया।

यह रहे मौजूद

इस अवसर पर पुनीत गोयल, राजीव सिरोही, मोहन सिंह, दीपक भाटी, मनोज बाल्मीकि, मनोज गौतम, राजीव शर्मा, जतिन साहनी, दीपक गौड़, कुणाल चौधरी, रिंकू सैनी, सुधाकर, सुयश वशिष्ठ और अन्य कार्यकर्ता मौजूद रहे।

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