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Bhagavad Gita ka Gyan सनातन धर्मों के पवित्र ग्रंथों में से एक श्रीमद्भगवद्गीता, खुद पर से उठने लगे भरोसा, तो याद रखें गीता के ये उपदेश

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Khabarwala 24 News New Delhi : Bhagavad Gita ka Gyan सनातन धर्मों के पवित्र ग्रंथों में से एक श्रीमद्भगवद्गीता है। इसमें जीवन का सार बताया गया है। गीता में बताई बातें खुद भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को कुरुक्षेत्र की रणभूमि में बताया था। जब अर्जुन को युद्ध में ही अपने दुश्मन की कतारों में खड़े नजर आए, तो उनका मन युद्ध से डगमगाने लगा। इस समय श्रीकृष्ण ने उन्हें गीता का पाठ सुनाने के साथ अपने विराट रूप का साक्षात दर्शन कराया। गीता में बताई गई बातें शाश्वत हैं। गीता में बताई बातें निराशा में आशा की किरण की भांति काम करती हैं।

हर मुश्किलों से पार हो जाता है (Bhagavad Gita ka Gyan)

ऐसे में अगर आपका भी मन किन्हीं कारणों से हताश हो या खुद पर से भरोसा उठने लगा हो तो गीता की इन बातों का जरूर याद रखें, जो व्यक्ति गीता की इन बातों को अपने जीवन में अनुसरण करता है, वह हर मुश्किलों से पार हो जाता है। गीता की बातें कठिन परिस्थितियों में इंसान को हौसला देने का काम करती हैं।

आत्मा को शुद्ध रखने का प्रयास (Bhagavad Gita ka Gyan)

श्रीमद्भगवद्गीता में भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं कि इंसान को कभी अपने आपको नीचा नहीं गिराना चाहिए। स्वयं ही अपनी आत्मा को ऊपर उठाने की कोशिश करनी चाहिए, क्योंकि आत्मा ही इंसान की दोस्त है और आत्मा ही दुश्मन है. ऐसे में इंसान को अपनी आत्मा को शुद्ध रखने का प्रयास रखना चाहिए।

न जन्म लेती है, न ही मरती है (Bhagavad Gita ka Gyan)

गीता उपदेश में बताया गया है कि आत्मा न तो जन्म लेती है, न ही मरती है। यही वजह है कि आत्मा शाश्वत, नित्य और अविनाशी है. शरीर तो नष्ट हो जाती है। लेकिन आत्मा नहीं. ऐसे में यह कहा जा सकता है कि इंसान को किसी भी परिस्थितियों में डरना नहीं चाहिए।

स्थिति का साहस से सामना (Bhagavad Gita ka Gyan)

हमेशा इंसान को हर परिस्थिति का साहस के साथ सामना करना चाहिए। हमेशा साहस के साथ आगे बढ़ना चाहिए, क्योंकि आत्मा अमर होती है। गीता उपदेश में भगवान श्रीकृष्ण कहते हैं कि व्यक्ति को अपने कर्तव्यों का पालन करना चाहिए।

कर्तव्यों को नहीं भूलना चाहिए (Bhagavad Gita ka Gyan)

सुख-दुख, लाभ-हानि, जीत-हार जीवन में चाहे जैसी परिस्थिति हो हर परिस्थिति में व्यक्ति को अपने कर्तव्यों को नहीं भूलना चाहिए। ऐसे में यह कहा जा सकता है कि जीवन की हर परिस्थिति को समान रूप से ही स्वीकार करना चाहिए।

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