Khabarwala 24 News New Delhi : Tatiya Village Uttar Pradesh दशकों पहले लोग बिना बिजली के भी गुजारा करते थे लेकिन, अब बिजली के बिना आप मिनट भर नहीं रह सकते। मोबाइल का भी यही हाल है कि इसके बिना आप रह नहीं सकते हैं। मगर क्या आप यकीन करेंगे कि ऐसी भी जगह है जहां लोग अभी भी बिजली के उपकरण और मोबाइल (Mobile) यूज नहीं करते हैं।
गांव भक्ति और साधना का महत्व समझाता है (Tatiya Village Uttar Pradesh )
आप शायद यकीन नहीं करेंगे लेकिन यह सच है। उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) में वृंदावन के पास ऐसा ही एक गांव है जहां जाकर आपको लगेगा कि आप पुराने जमाने में हैं। इस इलाके में नीम, कदंब, पीपल के काफी पेड़ हैं और उनके पत्तों पर भी राधा नाम उभरा हुआ दिखता है। यहां के साधु संत दक्षिणा नहीं लेते हैं, उनके लिए गांव के घरों से ही भोजन भेजा जाता है। देखा जाए तो तकनीक के इस दौर में ये अनोखा गांव भक्ति और साधना का महत्व समझाता है।
टटिया गांव में नहीं हैं बल्ब और पंखे (Tatiya Village Uttar Pradesh)
Tatiya Village Uttar Pradesh इस अनोखे गांव का नाम है टटिया गांव. इस गांव के सभी लोग बेहद पुराने दौर की तरह अभी भी मस्त होकर जिंदगी जी रहे हैं। यहां मोबाइल और AC तो छोड़िए लोगों के घरों में पंखे तक नहीं है। यहां अभी भी डोरी खींच कर चलाने वाला पंखा चल रहा है। यहां बिजली का कोई सामान नहीं है।
रात में रोशनी के लिए लोग लैंप और डिबरी जलाते हैं (Tatiya Village Uttar Pradesh )
इस गांव में कोई मोबाइल लेकर भी नहीं जाता है। यहां तक कि रात में रोशनी के लिए लोग लैंप और डिबरी जलाते हैं क्योंकि यहां बिजली के बल्ब तक नहीं जलाए जाते हैं। यहां मोबाइल ले जाना तो निषेध है ही, इसके अलावा यहां पानी पीने के लिए भी कुएं का इस्तेमाल होता है। इस गांव में सभी औरतें सिर ढक कर रहती हैं और हर वक्त पूजा-पाठ में लोग रमे रहते हैं।
गांव में मोबाइल ले जाने पर है रोक (Tatiya Village Uttar Pradesh)
Tatiya Village Uttar Pradesh कहते हैं कि जब वृंदावन के सातवें आचार्य ललित किशोरी देव जी ने निधिवन छोड़ा तो वे इस जगह पर ध्यान करने के लिए बैठ गए। यहां खुला जंगल था। शिकारियों और जानवरों से बचाने के लिए भक्तों ने आस-पास बांस के डंडों से उनके लिए छत और आस-पास घेरा बना दिया।
भक्ति में लीन साधु संत मिल जाएंगे (Tatiya Village Uttar Pradesh )
बांस की छड़ियों को इस इलाके में टटिया (Tatiya) कहा जाता है इसलिए इस जगह का नाम टटिया गांव पड़ गया। इस इलाके में लोग दिन रात भजन कीर्तन में डूबे रहते हैं। यहां कदम-कदम पर आपको भक्ति में लीन साधु संत मिल जाएंगे। यहां भगवान की आरती नहीं होती है बल्कि राधा रानी और भगवान कृष्ण के गीत गाए जाते हैं।