Khabarwala 24 News New Delhi : Sudarshan Setu Dwarka गुजरात में भारत का सबसे लंबा सिग्नेचर ब्रिज खुलने को तैयार है। ओखा-बेट सिग्नेचर ब्रिज के निर्माण के पीछे, पीएम मोदी के विजन का ही हाथ बताया जा रहा है। ब्रिज का उद्घाटन 25 फरवरी को पीएम मोदी के हाथों होना है।
यह पुल द्वारकाधीश मंदिर जाने वाले श्रद्धालुओं और स्थानीय निवासियों के लिए राहत पहुंचाने वाला होगा। इसके जरिए पानी के रास्ते जो सफर पांच घंटे में होता है, वह अब तीन घंटे में ही पूरा हो जाएगा। इस सिग्नेचर ब्रिज की कई खासियतें हैं, जो इसे एक अनूठी पहचान देती है। ओखा-बेट सिग्नेचर ब्रिज के निर्माण से पहले, तीर्थयात्री द्वारका स्थित द्वारकाधीश मंदिर तक पहुंचने के लिए जल परिवहन पर निर्भर थे। जो अब खत्म हो जाएगा।
द्वारकाधीश मंदिर तक कनेक्टिविटी को बढ़ावा (Sudarshan Setu Dwarka)
2.5 किमी लंबा सुदर्शन सेतू द्वारका के ओखा और बेट को जोड़ता है। इससे द्वारकाधीश मंदिर तक कनेक्टिविटी को बढ़ावा मिलेगा। ₹978 करोड़ की लागत से निर्मित इस ब्रिज को मोदी सरकार ने 2017 में बनाना शुरू किया था। पीएम मोदी ने ही सुदर्शन सेतू की आधारशिला रखी थी, जिसका उद्घाटन भी अब पीएम मोदी ही करने वाले हैं। स्थानीय लोगों के लिए भी ब्रिज बनने से आने- जाने में आसानी होगी। साथ ही बेट द्वारका में विकास के कई रास्ते खुल जाएंगे।
निर्माणाधीन सुदर्शन सेतू की खासियतें व फायदे (Sudarshan Setu Dwarka)
अब समुद्र की लहरों के बीच तीर्थयात्री सड़क मार्ग के जरिए द्वारकाधीश मंदिर तक पहुंच सकेंगे। इसके साथ ही यहां के स्थानीय लोगों को भी मेडिकल इमरजेंसी में स्पेशल बोट करके जाने की जरूरत पड़ती है। जो अब खत्म हो जाएगा। बेट द्वारका और ओखा के बीच बने 2.5 किलोमीटर लंबे सिग्नेचर ब्रिज में 12 व्यूइंग गैलेरी बनाई गई है। फुटपाथ पर दोनों साइड पर श्रीमद भगवत गीता के श्लोक ओर भगवान श्रीकृष्ण के चित्र लगाए गए हैं।
सुदर्शन सेतू के खंभों पर मोर का पंख बनाया
फुटपाथ के दोनों साइड के ऊपरवाले हिस्सों में सोलर पैनल लगाए गए हैं जिससे 1 मेगावॉट बिजली का उत्पादन होगा। इसी बिजली का प्रयोग ब्रिज पर लगी लाइटिंग के लिए किया जाएगा, बाकि बिजली ओखा गांव में सप्लाई की जाएगी। पुल पर टूरिस्ट गैलरी में लोग कुछ समय रूक कर कच्छ की खाड़ी के समुद्र को देख सकते हैं। यहां से सूर्यास्त का नजारा भी देखने लायक होगा, जिसका आनंद टूरिस्ट उठा सकते हैं। सुदर्शन सेतू के खंभों पर मोर का पंख बनाया गया है, जो काफी दूर से दिखता है।