Tuesday, March 18, 2025

South-west corner and T-point वास्तु शास्त्र के अनुसार इन 4 घरों में रहने वाले लोग हमेशा कंगाल रहते हैं

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Khabarwala 24 News New Delhi : South-west corner and T-point ग्रहों का बाद में पहले गृह का हमारे जीवन पर सबसे ज्यादा प्रभाव पड़ता है। वास्तु शास्त्र के अनुसार 16 दिशाएं होती हैं। जिनमें से 8 दिशाएं अच्छी नहीं मानी गई है। उनमें ही प्रमुख रूप से 3 दिशाओं के बारे में जानना चाहिए। घर का मुख्‍यद्वारा जिस भी दिशा में है उस दिशा का प्रभाव जीवन पर पड़ता है। इसी के साथ ही घर की वास्तु रचना, स्थिति और आकार का संबंध भी भविष्य को दर्शाता है।

टी-प्वाइंट पर बने मकान | South-west corner and T-point

टी-प्वाइंट यानी तिराहे पर बने मकान। ऐसा मकान जिसके द्वार के सामने से आगे सीधी सड़क जाती हो और अलग-बगल से भी। मकान के प्रवेश द्वार के सामने यदि कोई रोड, गली या टी जक्शन हो, तो ये गंभीर वास्तुदोष उत्पन्न करते हैं, खासकर उन भवनों में जो दक्षिण व पश्चिममुखी होते हैं। ऐसे मकान में धन टिकता नहीं है और हमेशा आर्थिक तंगी बनी रहती है। यह मकान गृह कलह का कारण भी बनता है। घर के मुखिया को अचानक ही कोई रोग घेर लेता है।

कॉर्नर का मकान | South-west corner and T-point

वास्तु शास्त्र और लाल किताब के अनुसार कॉर्नर के मकान की दिशा तय करती है उसके अच्‍छे या खराब होने की। कार्नर का मकान आपकी जिंदगी संवार भी सकता है और बर्बाद भी कर सकता है। इसलिए यह जानना जरूरी है कि आप यदि किसी कार्नर के मकान में रह रहे हैं तो वह फलदायी है या कि नुकसानदायक। कॉर्नर का मकान में रहने के 8 से 10 साल के भीतर यह अपना असर दिखा देता है। यदि दक्षिण-पूर्व कार्नर है तो दुर्घटना में मौत होने का खतरा है। यदि वह कार्नर दक्षिण-पश्‍चिम का है तो घर परिवार के लोग कर्ज में डूब जाएंगे। आए दिन मकान में गृहकलह और रोग से लोग ग्रस्त रहेंगे। सभी तरक्की रुक जाएगी। जातक कंगाल बन जाएगा।

नैऋत्य कोण का मकान | South-west corner and T-point

ज्योतिष में नैऋत्य कोण का अधिष्ठाता ग्रह राहु है और यह कृष्ण वर्ण का एक क्रूर ग्रह है। राहु संकटों को जन्म देता है। यदि नैऋत्य का कार्नर है तो यह दिशा और भी नकारात्मक प्रभाव वाली बन जाती है। यदि मकान नया बना है तो 9 साल के बाद बुरे प्रभाव स्पष्ट नजर आएंगे। इस दिशा के खराब होने पर त्वचा रोग, कुष्ठ रोग, मस्तिष्क रोग आदि की सम्भावनाएं प्रबल रहती हैं। केतु और राहु की स्थिति के अनुसार छूत की बीमारी, रक्त विकार, दर्द, चेचक, हैजे, चर्म रोग का विचार किया जाता है। अस्पताल के चक्कर काटते काटते जातक धीरे धीरे कंगाल हो जाता है। नैऋत्य दिशा के घर में कई बार जीवन में अचानक से घटना-दुर्घटना के योग बनते हैं।

दक्षिण का मकान | South-west corner and T-point

दक्षिण दिशा को यम की दिशा मानी जाती है। दक्षिण दिशा में दक्षिणी ध्रुव है जिसका नकारात्मक प्रभाव बना रहता है। दक्षिण दिशा में मंगल ग्रह है। मंगल ग्रह एक क्रूर ग्रह है। इस दिशा में पैर करके सोने से भी मंगल दोष उत्पन्न होने की संभावना रहती है। । यह दिशा स्त्रियों के लिए अत्यंत अशुभ तथा अनिष्टकारी होती है। महिलाएं अधिकांश समय बीमार ही रहती है जिसके चलते आर्थिक बजट बिगड़ जाता है।

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