Khabarwala24NewsHapur: नामधारी पंथ के छवें गुरु श्री सतगुरू सेवा राम जी का जोती – जोत गुरुपर्व बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। जिसमें दिन रात 19 से 21 मार्च तक सत्संग रूपी अमृत वर्षा संगतों पर हुई।
19 तारीख की सुबह दो अखण्ड पाठ (गुरू ग्रन्थ साहिब) जी की आरम्भता हुई और साथ में श्री गुरू उपदेश, श्री जपुजी साहिब, श्री अखथंड वरनी वरनी जी की आरम्भता से हुई। जिसका समापन आज 21 मार्च को हुआ। समागम में सुबह से नाम सिमरन (हरि जाप ) के बाद अखण्ड ‘आसादी वार’ कीर्तन की आरम्भता हुई । इसके उपरान्त गुणी ज्ञानी रागी जत्थों ने अपने मधुर कंठ से संगतों को कीर्तन सुनाया। और सतगुरू सेवाराम जी के परोपकारों का वर्णन संगतों के
साझा किया।
सतगुरू ने बगीचा लगाया, बच्चा-बच्चा राम बोलता….
समागम में शीशगंज गुरुद्वारा के हजूरी रागी मनोहर सिंह, गुरविंदर सिंह, खुर्जा से आए रागी गजेंद्र सिंह, दिल्ली से आए हजूरी रागी भूपेन्द्र सिंह व थाईलेंड से आई साहिबजादी बीना होड़ा ने अपने मधुर कंठ से शर्बद गायन करके उपस्थित संगतं का मन मोह लिया। दिल्ली से आई कनिका ने मधुर कंड से कविता सतगुरू ने बगीचा लगाया, बच्चा-बच्चा राम बोलता गाकर सबका मन मोह लिया।
तीन वचनों पर चले तो वह सतगुरु जी का प्यारा बन सकता है
पंथ के हाजर सतगुरू शाह रतन शाह जी महाराज ने सत्गुरू सेवारामजी के बताए मार्ग पर “पराया अन्न” पराया धन’ व ‘पराया तन (पर स्त्री) से परहेज को बताया। अगर मनुष्य इन तीनों वचनों पर चले तो वह सतगुरु जी का प्यारा बन सकता है व अपना जन्म सफल कर सकता
शाह रतन शाह जी महाराज ने बताया कि संसारिक वस्तुओं के मांगने पर हमें वह प्राप्त तो हो जाती है।” परन्तु अंत समय जो हमारे साथ जाना है उसकी मांग, मनुष्य करना भूल जाता है। अगर मनुष्य अमृतवेले उठ कर नाम-सिमरन (हरिजाप) की मांग करता है तो वह अपना लोक-परलोक सफल कर लेता है। हमें अपने ईष्ट प्रभु से अमृत वेला संभालने के लिए प्रार्थना करनी चाहिए और अपना जीवन सफल करना चाहिए।
विदेशों से भी आई संगत
समागम मैं दूर-दराज से संगतों का आवागमन रहा । दूर- विदेश से कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, अमेरिका, थाइलेंड से भी संगतों ने समागम में हिस्सा लिया । लंगर की सेवा, जोड़ाघर, अमानती सामान घर की सेवा तीनों दिन लगा चलती रही। सम्पूर्ण समागम का संचालन सरदार जसबीर सिंह बत्रा जी ने किया । सरदार खुशबीर सिंह बत्रा, सुभाष बांगा, हनवन्त सिंह, अशोक डंग, बबलू, राजपाल, आदि का विशेष सहयोग रहा।