Khabarwala 24 News New Delhi: Jutamaar Holi भारत के महत्वपूर्ण त्योहारों में एक होली है। इसे देश के लगभग सभी हिस्सों में बहुत ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है। देश के अलग-अलग हिस्सों में होली मनाने के तौर-तरीके भी अलग-अलग हैं। कहीं होली रंग-पिचकारी और कीचड़ से खेली जाती है, तो कहीं लाठी-डंडों से। ब्रज की लट्ठमार, तो मथुरा की फूलों वाली होली बहुत प्रचलित है। लेकिन क्या आपने कभी जूता मार होली के बारे में सुना है। चलिए इसके बारे में विस्तार से जानते हैं।
शाहजहांपुर में खेली जाती है जूता मार होली (Jutamaar Holi)
यूपी के जनपद शाहजहांपुर में जूता मार होली खेली जाती है।यह शाहजहांपुर के बरसों पुरानी परंपरा का हिस्सा है। बताया जाता है कि 18 वीं सदी के आसपास शाहजहांपुर में नवाब का जुलूस निकालकर होली मनाने की परंपरा की शुरुआत हुई थी। यही होली बाद में धीरे-धीरे जूता मार होली में बदल गई। वर्ष 1947 के बाद यहां जूते मारकर होली खेला जाने लगा। होली वाले दिन शाहजहांपुर में लाट साहब का जुलूस भी निकलता है।
किसने बसाया था शाहजहांपुर (Jutamaar Holi)
दरअसल, शाहजहांपुर को नवाब बहादुर खान ने बसाया था। स्थानीय कथाओं की मानें, तो इस वंश के आखिरी शासक नवाब अब्दुल्ला खान हिंदू और मुस्लिम दोनों समुदायों के बीच काफी लोकप्रिय थे। वे आपसी कलह की वजह से फर्रुखाबाद चले गए थे लेकिन 21 साल की उम्र में जब वे वापस लौटे तो शाहजहांपुर के लोगों ने उन्हें ऊंट पर बैठाकर शहर घुमाया और होली का त्योहार मनाया था।
लाट साहब को जूता मारने की परंपरा हुई शुरू (Jutamaar Holi)
इसी दौरान लाट साहब को जूता मारने की परंपरा शुरू हुई। तब से इस होली को ऐसे ही मनाया जाता है। होली वाले दिन किसी व्यक्ति को लाट साहब बनाकर भैंसे पर बैठा दिया जाता है और सभी लोग भैंसे को जूते-चप्पल और झाड़ू इत्यादि से मारते हैं।