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Hateshwari Mata Temple Hatkoti जंजीरों से बंधे कलश से मनोकामनाएं होती हैं पूरी ! जानिए हिमाचल के मां हाटेश्वरी मंदिर से जुड़ी मान्यता

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Khabarwala 24 News New Delhi: Hateshwari Mata Temple Hatkoti सनातन धर्म के लोगों के लिए हिमाचल प्रदेश में मौजूद प्रत्येक मंदिर का विशेष महत्व है। कहा जाता है यहां के कण-कण में देवी-देवताओं का वास है। इसलिए इसे देवभूमि भी कहा जाता है। यहां पर मौजूद हर एक मंदिर से ऐसी कहानियां जुड़ी हुई हैं, जिसे जानने के बाद लोगों को हैरानी जरूर होती है। आज हम आपको हिमाचल प्रदेश में मौजूद मां हाटेश्वरी मंदिर के बारे में बताने जा रहे हैं। जहां पर मौजूद एक अद्भुत कलश लोगों को अपनी तरफ आकर्षित करता है।

मंदिर से जुड़ी खास मान्यता (Hateshwari Mata Temple Hatkoti)

दरअसल यहां पर मौजूद कलश बार-बार भागने की कोशिश करता है। पढ़ने में बेशक ये अजीब लग रहा होगा, लेकिन ये सच है। कलश के इस तरह भागने की कहानी पूरे हिमाचल में विख्यात है। आइए चलिए विस्तार से जानते हैं इस मंदिर से जुड़ी खास मान्यता के बारे में।

मां हाटेश्वरी हिमाचल में कहां स्थित है? (Hateshwari Mata Temple Hatkoti)

हिमाचल प्रदेश के जुब्बल कोटखाई में सोनपुरी पहाड़ी पर मां हाटेश्वरी का प्राचीन मंदिर स्थित है। जो शिमला से करीब 110 किलोमीटर दूरी है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस मंदिर का निर्माण आज से करीब 700 से 800 साल पहले हुआ था। मां हाटकोटी के मंदिर में एक विशाल गर्भगृह है। जहां पर माता महिषासुर मर्दिनी की विशाल मूर्ति विराजमान है।

ये चमत्कारी कलश भागने की कोशिश करता है! (Hateshwari Mata Temple Hatkoti)

मां हाटेश्वरी मंदिर के बाहर प्रवेश द्वार के समीप बाईं तरफ एक कलश है, जिसे हर समय लोहे की जंजीरों से बांधकर रखा जाता है। इस जंजीर का दूसरा सिरा माता के पैरों से बंधा हुआ है। स्थानीय लोग इस कलश को चरु भी कहते हैं। कहा जाता है कि सावन और भादो माह में पब्बर नदी में जब-जब पानी का स्तर बढ़ता है, तो तब-तब कलश से सीटियों की आवाज आती है। इसके अलावा कलश अपने आप भागने की कोशिश करता है। इसी वजह से इसे हर समय मां के चरणों से बांधकर रखा जाता है।

हर मनोकामना दर्शन मात्र से होती है पूरी ! (Hateshwari Mata Temple Hatkoti)

लोक कथाओं के अनुसार, मंदिर में पहले दो कलश यानी चरु मौजूद थे। लेकिन कई साल पहले जब यहां बाढ़ आई थी, तो उसमें एक कलश बह गया था। इसी वजह से भी बचे हुए कलश को हमेशा बांधकर रखा जाता है। खास तिथि और त्योहार के दिन इस कलश में ब्राह्मण भोज भी बनाया जाता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, जो लोग सच्चे मन से इस मंदिर में मां हाटेश्वरी और कलश के दर्शन करते हैं, उनकी हर मनोकामना पूरी होती है।

Sheetal Kumar Nehra
Sheetal Kumar Nehrahttps://www.khabarwala24.com/
Sheetal Kumar Nehra एक सॉफ्टवेयर डेवलपर और कंटेंट राइटर हैं, जिन्हें मीडिया और समाचार सामग्री में 17 वर्षों से अधिक का विभिन्न संस्थानों (अमरउजाला, पंजाब केसरी, नवोदय टाइम्स आदि ) में कंटेंट रइटिंग का अनुभव है । उन्हें वेबसाइट डिजाइन करने, वेब एप्लिकेशन विकसित करने और सत्यापित और विश्वसनीय आउटलेट से प्राप्त वर्तमान घटनाओं पर लिखना बेहद पसंद है।

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