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Hapur में दिगंबर जैन मुनि आचार्य नमोस्तु सागर जी महाराज के प्रवचन: कर्म और आत्मकल्याण का मार्ग

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Khabarwala 24 News Hapur: Hapur दिगंबर जैन मुनि 108 आचार्य नमोस्तु सागर जी महाराज ने सोमवार, 21 जुलाई 2025 को हापुड़ में जैन भक्तों को आध्यात्मिक मार्गदर्शन प्रदान किया। मेरठ रोड स्थित पार्श्वनाथ दिगंबर जैन मंदिर में शांतिधारा और कसेरठ बाजार के आदिनाथ दिगंबर जैन मंदिर में प्रवचन के दौरान उन्होंने कर्म और धर्म के महत्व पर जोर दिया।

प्रवचन में कर्म और धर्म का संदेश (Hapur)

आचार्य नमोस्तु सागर जी महाराज ने नमोस्तु भवन पर प्रातःकाल जैन साधकों को पूर्ण विधि-विधान के साथ आराधना कराई। इसके बाद पार्श्वनाथ दिगंबर जैन मंदिर में शांतिधारा उनकी उपस्थिति में संपन्न हुई। तत्पश्चात, वे आदिनाथ दिगंबर जैन मंदिर, कसेरठ बाजार पहुंचे, जहां उन्होंने जैन भक्तों को संबोधित करते हुए कहा:

“मनुष्य के दुख-सुख का कारण उसके स्वयं के किए गए अच्छे-बुरे कर्म हैं। पूर्व जन्म के कर्मों के कारण ही इस जन्म में सुख-दुख प्राप्त होते हैं। इस जन्म में पुण्य कर्म करने से दुख कमजोर पड़ते हैं। धर्म का अवलंबन कभी नहीं छोड़ना चाहिए, यह हर दुख में मनोबल बढ़ाता है और निराशा से बचाता है। आत्मा का कल्याण ही मोक्ष का द्वार है, उसी की ओर बढ़ना चाहिए।”

रचना दीदी ने भी भक्तों को प्रेरित करते हुए कहा:

“जीवन में आनंदित रहने के लिए सच्चे देव, शास्त्र और गुरु से जुड़े रहें। जब तक धर्म और गुरु का आशीर्वाद हमारे साथ है, कोई अनर्थ नहीं हो सकता।”

चातुर्मास का महत्व और भक्तों की उपस्थिति (Hapur)

यह आयोजन हापुड़ में आचार्य नमोस्तु सागर जी महाराज के चातुर्मास के हिस्से के रूप में हुआ, जो 24 वर्ष बाद जैन समाज को प्राप्त हुआ है। इस दौरान जैन समाज के अध्यक्ष अनिल जैन ने बताया कि मंगलवार, 22 जुलाई 2025 से प्रवचन मेरठ रोड स्थित नमोस्तु भवन पर आयोजित होंगे।

आयोजन में सतीश कुमार जैन, सुधीर जैन टप्पू, सुशील जैन, सुरेश चंद जैन, राजीव जैन, राकेश जैन, संदीप जैन, तरुण जैन, अर्चित जैन, सुबोध जैन, पंकज जैन, तुषार जैन, मीनू जैन, मनीषा जैन, नीता जैन, प्रदीप जैन, विनोद बाला जैन, राजेश जैन, रेखा जैन, मेघा जैन, पूजा जैन, मनीष जैन, मंजू जैन, मगन जैन, योगेश जैन सहित अनेक भक्त उपस्थित थे।

चातुर्मास: आध्यात्मिक उत्थान का अवसर (Hapur)

आचार्य नमोस्तु सागर जी महाराज ने अपने प्रवचनों में जैन धर्म के तप, संयम और त्याग के सिद्धांतों पर बल दिया। उन्होंने कहा कि चातुर्मास के चार महीनों का उपयोग आध्यात्मिक ज्ञान और धर्म प्रभावना के लिए करना चाहिए। यह अवसर जैन भक्तों के लिए आत्मकल्याण और मोक्ष मार्ग की ओर बढ़ने का एक सुनहरा मौका है।

 

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