Thursday, May 1, 2025

Pakistan जनरल मुनीर हताशा; इस्तीफों की बाढ़, पाक फौज का क्या है हाल?

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Khabarwala 24 News New Delhi : Pakistan के सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर भड़काऊ बयान देकर भारत के खिलाफ माहौल बनाने की कोशिश कर रहे हैं। उनके हालिया बयान के बाद पहलगाम में हुए आतंकी हमले को लेकर गंभीर सवाल उठ रहे हैं। हाल ही में दिए पाक जनरल मुनीर ने बयान में कश्मीर को पाकिस्तान की “जुगुलर वेन” यानी ‘शिरा’ बताया और कहा, “हमारा रुख स्पष्ट है, यह हमारी शिरा थी, हमारी ही रहेगी और हम इसे भूलेंगे नहीं। हम अपने कश्मीरी भाइयों की जंग को नहीं छोड़ेंगे।”

सैन्य अनुशासन और युद्ध क्षमता 

इस बयान के कुछ ही दिन बाद इस बात को बल मिला कि Pakistan  जनरल का यह बयान सिर्फ रट नहीं, एक रणनीतिक इशारा था। कई विश्लेषकों का मानना है कि सैनिकों में बड़ी संख्या में इमरान खान समर्थक हैं, जो मौजूदा सैन्य नेतृत्व से नाराज हैं। सेना के भीतर टॉप जनरल्स और फील्ड लेवल जवानों के बीच अविश्वास की दरारें गहरी हो रही हैं। यह स्थिति सैन्य अनुशासन और युद्ध क्षमता दोनों के लिए खतरा है।

जनता के निशाने पर पाक जनरल 

Pakistan सेना एक बड़े विश्वास संकट से जूझ रही है। सेना के राजनीतिक हस्तक्षेप और इमरान खान की गिरफ्तारी के बाद आम जनता का गुस्सा खुलकर फूट पड़ा। सैन्य प्रतिष्ठानों पर हुए हमलों और PTI समर्थकों की गिरफ्तारियों ने सेना को जनता की नजरों में दोषी बना दिया। यही वजह है कि पहली बार सेना के खिलाफ खुली नफरत सड़कों और सोशल मीडिया पर दिखने लगी है, जो सीधे तौर पर सैनिकों के मनोबल को चोट पहुंचा रही है।

पाकिस्तान सेना में इस्तीफों की बाढ़! 

हाल ही में सोशल मीडिया पर कई ऐसे दस्तावेज वायरल हुए, जिनमें दावा किया गया कि Pakistan सेना में बड़ी संख्या में अधिकारी और जवान इस्तीफा दे रहे हैं। अप्रैल 26 को जारी एक कथित एडवाइजरी में सेना के जवानों से ‘मनोबल बनाए रखने’ और ‘राष्ट्र के प्रति निष्ठा जताने’ की अपील की गई थी। हालांकि पाकिस्तान के अखबार डॉन ने इन दस्तावेजों को फर्जी करार दिया है, लेकिन उसने भी माना कि सैनिकों के मन में असंतोष और थकान एक हकीकत है।

दबाव में पाक सैनिक, नेतृत्व हताश 

Pakistan  सैनिकों को अब दो मोर्चों पर जूझना पड़ रहा है – एक तरफ आंतरिक विद्रोह और जनता का गुस्सा, दूसरी तरफ बलूचिस्तान और खैबर पख्तूनख्वा में लगातार हो रहे आतंकी हमले। केवल मार्च 2025 में ही 335 लोग आतंकवाद में मारे गए, जो एक दशक का सबसे खतरनाक महीना रहा। बम धमाके, घात लगाकर हमले, और निरंतर तनाव ने सैनिकों को मानसिक और शारीरिक रूप से थका दिया है।

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