नागपुर, 27 सितंबर (khabarwala24)। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक डॉ. मोहन भागवत ने कहा कि संघ की प्रार्थना सिर्फ शब्द नहीं, बल्कि सामूहिक संकल्प और भाव का प्रतीक है। 1939 से स्वयंसेवक रोज शाखा में इस प्रार्थना का उच्चारण कर रहे हैं। इतने वर्षों की साधना से इसमें मंत्र जैसी शक्ति आ चुकी है। यह केवल कहने की बात नहीं, बल्कि प्रत्यक्ष अनुभव का विषय है।
डॉ. भागवत नागपुर के रेशीमबाग स्मृति भवन परिसर स्थित महर्षि व्यास सभागार में आयोजित एक विशेष लोकार्पण समारोह को संबोधित कर रहे थे। यहां संघ की स्वरबद्ध प्रार्थना और उसके विभिन्न भारतीय भाषाओं में अर्थ सहित अभिनव ध्वनिचित्रफीति (ऑडियो-वीडियो) का विमोचन किया गया। इस रचना में प्रसिद्ध संगीतकार राहुल रानडे, प्रख्यात गायक शंकर महादेवन और मशहूर उद्घोषक हरीश भिमानी का विशेष योगदान रहा।
सरसंघचालक ने कहा कि संघ की प्रार्थना संपूर्ण हिन्दू समाज के ध्येय को व्यक्त करती है। इसमें पहला नमस्कार भारत माता को है, उसके बाद ईश्वर को। इसमें भारत माता से कुछ मांगा नहीं गया, बल्कि उनकी सेवा और राष्ट्र के वैभव की प्रतिज्ञा की गई है। मांगा गया है तो ईश्वर से शक्ति, भक्ति और समर्पण।
उन्होंने स्पष्ट किया कि प्रार्थना केवल शब्दों और अर्थ का मेल नहीं है, बल्कि उससे भारत माता के प्रति प्रेम और भक्ति झलकती है। यही भाव इसे मंत्र का सामर्थ्य देता है।
मोहन भागवत ने बताया कि शाखा में छोटे-छोटे बाल और शिशु स्वयंसेवक भी प्रार्थना के समय ध्यान और अनुशासन से खड़े रहते हैं। भले ही उन्हें शब्दों का अर्थ न समझ में आए, लेकिन भाव का असर उन पर होता है। उन्होंने कहा, “किसी भी शाखा में सबसे चंचल बाल स्वयंसेवक भी प्रार्थना के समय पूरी तन्मयता से खड़ा रहता है। यह भाव की शक्ति है, जिसके लिए किसी विद्वत्ता की जरूरत नहीं होती।”
डॉ. भागवत ने कहा कि संघ का विश्वास है कि जब पूरा हिंदू समाज अपनी शक्ति का योगदान देगा, तभी भारत माता परम वैभव तक पहुंचेगी। इसके लिए पहले भाव, फिर अर्थ और उसके बाद शब्द की दिशा में बढ़ना होगा। लेकिन अगर गति तेज करनी है, तो शब्द से अर्थ और अर्थ से भाव की ओर भी जाना होगा।
उन्होंने कहा कि शब्द, अर्थ और भाव, ये तीनों का सामंजस्य संगीत में कम ही देखने को मिलता है। उन्होंने कहा, “जब मैंने पहली बार यह ट्रैक सुना तो तुरंत महसूस हुआ कि यह प्रार्थना को एक विशेष वातावरण में ले जाता है।” उन्होंने बताया कि इसका निर्माण इंग्लैंड की भूमि पर हुआ, जो अपने आप में विशेष है।
इस अवसर पर हरीश भिमानी ने भावुक होकर कहा कि आज का दिन उनके लिए अविस्मरणीय है। उन्होंने कहा, “भारत माता सबसे महत्वपूर्ण देवी हैं, जिनका मंदिर कहीं नहीं है। यह कार्य मेरे लिए सिर्फ अनुष्ठान नहीं, बल्कि अर्ध्य है।”
संगीतकार राहुल रानडे ने भी बताया कि यह विचार सबसे पहले हरीश भिमानी ने ही उनके सामने रखा था। समारोह में सरसंघचालक ने सभी कलाकारों का विशेष सत्कार किया।
समारोह में संघ प्रार्थना के हिंदी और मराठी अनुवादों की चित्रफीति प्रस्तुत की गई। इसे लंदन के रॉयल फिलहारमोनिक ऑर्केस्ट्रा के सहयोग से संगीतबद्ध किया गया है।
प्रख्यात गायक शंकर महादेवन ने प्रार्थना को स्वर दिया है। हरीश भिमानी ने हिंदी अनुवाद का वाचन किया है। सुप्रसिद्ध अभिनेता सचिन खेडेकर ने मराठी अनुवाद को स्वर दिया है। गुजराती, तेलुगु सहित लगभग 14 भारतीय भाषाओं में प्रार्थना के अनुवाद तैयार किए गए हैं, जिनका क्रमशः प्रदर्शन किया जाएगा।
Source : IANS
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