Nageshu Paatron : रात में कुली, दिन में शिक्षक, ब्रह्मपुर के 70 बच्चों को मिल रहा फायदा, अपनी कमाई से चला रहे जरूरतमंद बच्चों के लिए फ्री कोचिंग

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Khabarwala 24 News New Delhi : Nageshu Paatron आर्थिक मुश्किलों से लड़कर पढ़ाई करना कितना मुश्किल होता है। कुली की नौकरी करने वाले नागेशु पात्रों अच्छे से जानते थे। मगर आज नागेशु अपने जैसे दूसरे जरूरतमंद बच्चों के लिए एक फ्री कोचिंग क्लास चला रहे हैं। उनकी इस पहल से आज ब्रह्मपुर, ओडिशा के 70 बच्चों को फायदा मिल रहा है। नागेशु ने बताया कि अपनी कमाई से हर महीने 5000 रुपये खर्च करके इन बच्चों को पढ़ाने में उन्हें काफी परेशानियों का सामना भी करना पड़ता है। लेकिन बावजूद इसके वह अपनी जरूरतों को मार कर इन बच्चों को बेहतर भविष्य देने में जुटे हैं। उनकी यह पहल यूँ ही जारी रहे इसलिए उन्हें आपकी मदद की भी जरूरत है। अगर अपनी छोटी सी आय खर्च करके नागेशु जरूरतमंद बच्चों के लिए इतना कुछ सकते हैं तो उनकी मदद करके हम भी इस बदलाव का हिस्सा क्यों न बनें।

खुद के दम पर शुरू की फ्री कोचिंग (Nageshu Paatron)

नागेशु पात्रों पढ़-लिखकर एक अच्छी सरकारी नौकरी हासिल करना चाहते थे। लेकिन MA तक की पढ़ाई करने बाद भी, उन्हें कुली की नौकरी मिली। ऐसा नहीं था कि वह मेहनती नहीं थे लेकिन आर्थिक रूप से कमजोर होने के कारण अच्छे कोचिंग और सुविधाओं की कमी हमेशा उनको खलती रहती थी। पढ़ाई पूरी करने के बाद भी वह अपना दिन का समय कुछ न कुछ पढ़ने लिखने और आगे बढ़ने में ही खर्च करते। लेकिन जब लॉकडाउन लगा तभी नागेशु ने खुद के दम पर फ्री कोचिंग शुरू की।

कोरोना में तीन बच्चों से शुरू किया काम (Nageshu Paatron)

पात्रों ने कुली की नौकरी करते हुए ही अपनी MA तक की पढ़ाई पूरी की। उस दौरान वह रात में कुली का काम करते और दिन में कॉलेज जाते थे। उन्होंने अपने आस-पास के तीन बच्चों को पढ़ना शुरू किया। धीरे-धीरे उनकी इस फ्री कोचिंग से कई और बच्चे भी जुड़ने लगें। कोरोनाकाल ख़त्म होने के बाद उन्होंने किराये पर एक कमरा लेकर इन बच्चों की नियमित रूप से पढ़ाना शुरू किया और बच्चों की संख्यां तीन फिर दस और आज 70 तक पहुंच गई।

खुद तकलीफों में जीकर संवार रहें भविष्य (Nageshu Paatron)

शुरुआत में तो वह पहले की ही तरह रात भर कुली काम करके, दिन में बच्चों को पढ़ाते थे। इस बीच रात को थोड़ा बहुत समय निकालकर स्टेशन में ही सो जाते थे।करीबन तीन साल इसी तरह काम करने के बाद उन्होंने कुली की नौकरी छोड़ने का फैसला किया ताकि सही तरीके से इन बच्चों की शिक्षा पर ध्यान दे सकें। अपने खुद का खर्च निकालने के लिए उन्होंने शहर की एक प्राइवेट स्कूल में पढ़ाना शुरू किया।

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