Khabarwala 24 News New Delhi : Madras High Court मद्रास हाई कोर्ट का कहना है कि अगर नशे में किसी ड्राइवर द्वारा किसी की मौत हो जाती है, बीमा कंपनी को मुआवजा देना होगा। हालांकि बाद में वह वाहन मालिक से वसूली कर सकती है। मद्रास हाईकोर्ट ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण निर्णय देते हुए कहा कि भले ही पॉलिसी दस्तावेज में यह शर्त हो कि नशे की हालत में वाहन चलाना पॉलिसी के नियमों और शर्तों का उल्लंघन है, बीमा कंपनी अभी भी मुआवजा देने के लिए उत्तरदायी होगी। हालांकि, बीमा कंपनी बाद में यह राशि वाहन मालिक से वसूल सकती है।
मुआवजा परिवार का अधिकार (Madras High Court)
यह फैसला जस्टिस एम. धंडापानी ने भुवनेश्वरी बनाम एम/एस बीवीएम स्टोरेज सॉल्यूशंस प्राइवेट लिमिटेड मामले में सुनाया। उन्होंने केरल हाईकोर्ट के मुहम्मद राशिद बनाम गिरिवासन मामले का हवाला देते हुए कहा कि बीमा कंपनी को पहले मुआवजा जमा करना होगा। यदि किसी वाहन का चालक शराब के नशे में हो और उससे कोई सड़क दुर्घटना हो जाए, तब भी बीमा कंपनी को मृतक के परिवार को मुआवजा देना होगा।
उस वक्त चालक नशे में था (Madras High Court)
क्या है यह मामला? : मामला 30 दिसंबर 2017 का है, जब चेन्नई के तिरुनीरमलाई मेन रोड पर राजसेकरन नामक व्यक्ति सड़क किनारे पैदल चल रहे थे। तभी एक तेज रफ्तार वैन ने उन्हें पीछे से टक्कर मार दी, जिससे उनकी मौके पर ही मौत हो गई। मृतक के परिवार ने ₹65 लाख मुआवजे की मांग की थी, लेकिन मोटर एक्सीडेंट क्लेम्स ट्रिब्यूनल (MACT) ने ₹27.65 लाख का मुआवजा तय किया और बीमा कंपनी को जिम्मेदारी से मुक्त कर दिया, क्योंकि दुर्घटना के समय वाहन चालक नशे में था।
हाईकोर्ट का यह रहा फैसला (Madras High Court)
राजसेकरन के परिवार ने ट्रिब्यूनल के इस फैसले को चुनौती दी और कहा कि मृतक की मासिक आय का गलत आकलन किया गया है। हाईकोर्ट ने इस तर्क को स्वीकार करते हुए मुआवजा बढ़ाकर ₹30.25 लाख कर दिया। साथ ही, कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि बीमा कंपनी को छह हफ्तों के भीतर मुआवजा राशि जमा करनी होगी, लेकिन कंपनी बाद में यह रकम वाहन मालिक से वसूल सकती है।