Saturday, July 27, 2024

Hindi Journalism Day पहला हिंदी अखबार उदन्त मार्तण्ड कलकत्ता से क्यों शुरू हुआ ?

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Khabarwala 24 News New Delhi: Hindi Journalism Day 30 मई वो तारीख है जब ‘उदन्त मार्तण्ड’ नाम से पहला हिन्दी अखबार निकाला गया। इसे पहली बार30 मई 1826 को साप्ताहिक समाचार पत्र के तौर पर निकाला गया, जिसकी शुरुआत की कानपुर के पंडित जुगल किशोर शुक्ल ने, जो इस अखबार के लिए प्रकाशक भी थे और संपादक भी। 30 मई को हिन्दी पत्रकारिता दिवस के तौर पर मनाया जाता है।

भारतीय इतिहास में दर्ज हुआ 30 मई (Hindi Journalism Day)

30 मई की तारीख भारतीय इतिहास में हिन्दी पत्रकारिता दिवस के तौर पर दर्ज हुई। यही वो तारीख थी जब उदन्त मार्तण्ड नाम से पहला हिन्दी अखबार निकाला गया। इसे पहली बार 30 मई 1826 को साप्ताहिक समाचार पत्र के तौर पर निकाला गया, जिसकी शुरुआत की कानपुर के पंडित जुगल किशोर शुक्ल ने, जो इस अखबार के लिए प्रकाशक भी थे और संपादक भी।

पंडित जुगल किशोर शुक्ल पेशे से वकील भी रहे थे। जिस दौर में इसका प्रकाशन हुआ वो दौर अंग्रेजों का था। कलकत्ता अंग्रेजों का बड़ा केंद्र था। कलकत्ता में अंग्रेजी और उर्दू और दूसरी भाषा के अखबर मौजूद थे, लेकिन हिन्दी भाषा के लोगों के पास उनकी भाषा का कोई अखबार नहीं था। उस दौर में हिंदी भाषियों को अपनी भाषा के समाचार पत्र की जरूरत महसूस हो रही थी. इस तरह इसकी शुरुआत हुई।

कैसी हुई शुरुआत (Hindi Journalism Day)

जुगल किशोर ने इसकी शुरुआत के लिए कलकत्ता को चुना। इस शहर को अपनी कर्मस्थली बनाया। ऐसा इसलिए क्योंकि उस दौर में ब्रिटिश भारत में अंग्रेजों का प्रभाव अधिक था। वहां अंग्रेजों की भाषा के बाद बांग्ला और उर्दू का भी असर देखने को मिल रहा था, लेकिन हिन्दी भाषा का एक भी समाचार पत्र नहीं था।

कोलकाता के बड़ा बाजार इलाके के अमर तल्ला लेन, कोलूटोला से साप्ताहिक अखबार के तौर पर की शुरुआत हुई। मंगलवार इसके प्रकाशन का दिन था, जब पाठकों के हाथों में पहला हिन्दी का अखबार पहुंचता था। उदन्त मार्तण्ड के नाम का मतलब था समाचार सूर्य.।अपने नाम की तरह ही यह हिन्दी समाचार दुनिया के सूर्य जैसा ही था।

पहले अंक की छपी 500 प्रतियां (Hindi Journalism Day)

उदन्त मार्तण्ड अपने आप में एक साहसिक प्रयोग था, जिसकी पहले अंक की 500 प्रतियां छापी गई थीं। हिन्दी भाषी पाठकों की कमी के कारण कलकत्ता में उसे उतने पाठक नहीं मिले। कलकत्ता को हिन्दी भाषी राज्यों से दूर होने के कारण अखबार को डाक के जरिए भेजा जाता था, लेकिन डाक विभाग की दरें ज्यादा होने के कारण इसे हिन्दी भाषी राज्यों में भेजना चुनौती बन गया। इसके विस्तार में दिक्कतें होने लगीं।

इसका समाधान निकालने के लिएपंडित जुगल किशोर ने ब्रिटिश सरकार ने डाक दरों में रियासत की बात कही ताकि हिन्दी भाषी प्रदेशों में इसे पाठकों तक पहुंचाया जा सके, लेकिन ब्रिटिश सरकार इसके लिए राजी नहीं हुई।

लंबे समय तक नहीं चला प्रकाशन (Hindi Journalism Day)

पैसों की तंगी की वजह से उदन्त मार्तण्ड का प्रकाशन लम्बे समय तक नहीं चल सका। नतीजा, 4 दिसम्बर 1826 में इसका प्रकाश बंद कर दिया गया। 79 अंक निकालने के बाद पंडित जुगल किशोर ने लिखा कि आज दिवस लौं उग चुक्यौ मार्तण्ड उदन्त, अस्ताचल को जात है दिनकर दिन अब अन्त. भले ही यह अखबार लम्बी दूरी नहींं तय कर पाया, लेकिन इतिहास में अपनी खास जगह बनाई और इसके बाद कई हिन्दी अखबारों का दौर शुरू हुआ, जो जारी है।

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