Khabarwala 24 News New Delhi : Haryana Assembly Lok Sabha Seat केंद्र की मोदी सरकार परिसीमन की तैयारियों में है। हरियाणा में भी अंदरखाने परिसीमन को लेकर प्लानिंग चल रही है। परिसीमन के बाद हरियाणा में लोकसभा की सीटें 10 से बढ़कर 14 और विधानसभा सीटें 90 से बढ़कर 126 हो सकती हैं।
हरियाणा विधानसभा चुनाव में सकारात्मक माहौल में भी सत्ता से बाहर रही कांग्रेस की टेंशन परिसीमन को लेकर बढ़ गई है। परिसीमन का काम चूंकि अब भाजपा सरकार द्वारा किया जाना है, ऐसे में जाट बहुल संसदीय और विधानसभा सीटों में बड़े बदलाव होने के आसार हैं।
अस्तित्व में आ सकती नई संसदीय सीट (Haryana Assembly Lok Sabha Seat)
इतना ही नहीं, जाट बहुल कुछ सीटों को आरक्षित किया जा सकता है। रोहतक लोकसभा क्षेत्र को खत्म करके झज्जर को संसदीय क्षेत्र बनाया जा सकता है। इसी तरह, कैथल और जींद को मिलाकर भी नया संसदीय क्षेत्र बन सकता है। गुरुग्राम व फरीदाबाद संसदीय क्षेत्र में सबसे अधिक वोटर हैं। ऐसे में यहां भी एक नयी संसदीय सीट अस्तित्व में आ सकती है।
10 एकड़ जमीन चिह्नित की जा चुकी है (Haryana Assembly Lok Sabha Seat)
महेंद्रगढ़ संसदीय क्षेत्र फिर से बनाया जा सकता है। इसी वजह से हरियाणा की मनोहर सरकार के समय से ही चंडीगढ़ में नयी विधानसभा के भवन को लेकर कवायद शुरू हो गई थी। मनोहर पार्ट-।। में स्पीकर रहे ज्ञानचंद गुप्ता ने जमीन के लिए प्रयास शुरू किए थे। इसके बाद पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने भी केंद्रीय गृह मंत्री को जमीन के लिए पत्र लिखा। चंडीगढ़ में विधानसभा के नये भवन के लिए 10 एकड़ जमीन भी चिह्नित की जा चुकी है।
चुनाव नतीजों का आकलन कर रही BJP (Haryana Assembly Lok Sabha Seat)
सूत्रों का कहना है कि इस बार के लोकसभा व विधानसभा चुनाव का ही नहीं, इससे पहले हुए दो-तीन और चुनावों के नतीजों का आकलन भाजपा कर रही है। ग्राउंड पर सर्वे भी करवाया जा रहा है। ऐसे गांवों व इलाकों को चिह्नित किया जा रहा है, जहां भाजपा को झटका लगता रहा है। बहुत से ऐसे गांव भी हैं, जहां भाजपा आज तक चुनाव नहीं जीत पाई है।
ग्राउंड की सर्वे रिपोर्ट का अहम रोल (Haryana Assembly Lok Sabha Seat)
ग्राउंड की सर्वे रिपोर्ट भी परिसीमन में बड़ा अहम रोल अदा करेगी। इससे पहले का परिसीमन जब हुआ तो उस समय राज्य में 2002 में ओमप्रकाश चौटाला के नेतृत्व वाली इनेलो सरकार थी। हालांकि, मार्च-2005 में कांग्रेस की सरकार बनी और भूपेंद्र हुड्डा मुख्यमंत्री बने। लेकिन उस समय तक परिसीमन से जुड़ा अधिकांश कार्य चौटाला सरकार पूरा कर चुकी थी।
फाइनल नोटिफिकेशन 2008 में जारी (Haryana Assembly Lok Sabha Seat)
परिसीमन का फाइनल नोटिफिकेशन 2008 में जारी हुआ और 2009 के लोकसभा चुनाव में यह पहली बार लागू हुआ। उस समय राज्य में विधानसभा व लोकसभा की सीटों में तो बढ़ोतरी नहीं हुई। लेकिन कई सीटें खत्म हो गईं और उनकी जगह नयी सीटें अस्तित्व में आईं। अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सीटों में भी बदलाव हुआ। कुछ सीटों को ओपन कर दिया गया तो उनकी जगह ओपन सीटें रिजर्व हो गईं।
लोस व विस की अभी ये सीटें आरक्षित (Haryana Assembly Lok Sabha Seat)
वर्तमान में लोकसभा की दो- अम्बाला और सिरसा तथा विधानसभा की 17 सीटें अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित हैं। एससी के लिए आरक्षित विधानसभा हलकों में मुलाना, सढ़ौरा, शाहबाद, नीलोखेड़ी, इसराना, खरखौदा, गुहला, नरवाना, रतिया, कालांवाली, उकलाना, बवानीखेड़ा, पटौदी, बावल, होडल, कलानौर व झज्जर शामिल हैं। माना जा रहा है कि लोकसभा की कम से कम तीन और विधानसभा की 24 सीटें नये परिसीमन के बाद आरक्षित की जा सकती हैं।
भाजपा सरकार के हाथों में बड़ा ‘खेल’ (Haryana Assembly Lok Sabha Seat)
अब चूंकि केंद्र और हरियाणा में भाजपा की सरकार है, ऐसे में परिसीमन का पूरा कामकाज भाजपा के हिसाब से ही होने की उम्मीद है। माना जा रहा है कि भाजपा इस परिसीमन का पूरा सियासी फायदा उठाने की कोशिश करेगी। प्रदेश में कई ऐसे विधानसभा क्षेत्र हैं, जो भाजपा के लिए बड़ी चुनौती बने हुए हैं। परिसीमन में इन हलकों में बड़े बदलाव होने की संभावना है। जाट बहुल सीटों में गैर-जाट गांव मिलाकर ऐसे समीकरण भाजपा बनाने की कोशिश करेगी कि चुनाव में मुकाबला एकतरफा न रहे।